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White रचना दिनांक 4,, नवम्बर 2024 वार सोमवार समय दोपहर तीन बजे, ््निज विचार ््् ्््भावचित्र ्््् ््् ्््शीर्षक ्् ्््सृष्टि ब़म्ह कर्म सृजन में , मानसिक रूप ईश वंदना, प्रेयर नमन में , समरुपता एक ऐकेश्वर नरकंकाल है,, यही शबद शब्दों का ज्ञानरस लोकसृजनमें में , यह जीवन समर्पित भाव आनंद में ्््् ्््् मन काढी तन की माटी,, जब चढ़े काम की अंगेठी पे , सो अगन लगे,सो तपन लगे,वो भट्टे कुम्हार के, वो धधक उठी है वो मटके हाण्डी से पके,, वो घट्टी में चक्का पीसन लागी रै।। जो काया माया के ढोल मंजीरै ,, चक्का चाले बाजै घर घर कै, मैं काल घड़ी का कांचा हाण्डा में,।। कुंभकार की माटी के बासण में,, जल शीतल होय जाय रै।। अरै मचा बवंडर काया माया के, मोह जाल में फंसे जीव जगत में ज्ञान से, तो मचा बवंडर वो सूरज्ञान इंगला पिंगला , नाड़ी शोधन सुष्मणा चली गई।। आ गयी वो लै आयी यह डौली बोली शैली में,, प्रेम प्यार में हो गई दिवानी, तेरे बूंलन्द इस दिल जहां में,, तेरे मेरे का अब रहा नहीं कुछ,सब खैला है, ये वक्त का मैला ठैला है।। कौन कहां है अता पता नहीं है,, ये,चला चली का दौर है।। अब रहा सवाल कि तू मूझसे बेखबर है,, मैं तो आपके साथ खड़ा हूं, , आप मेरे लिए एक ईश्वर सत्य हो ।। ये टेम टेम की बात है हैरान परेशान जमाने से, वो मंज़र देखा इन्सान अपनी रूह में समाया हुआ खो गया हममें तुममें, सब कुछ प्रभू आत्म संतोष में ।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद 4,, नवम्बर,,2024,, ©Shailendra Anand

#विचार #Sad_Status  White रचना दिनांक   4,, नवम्बर 2024
वार  सोमवार
समय दोपहर तीन बजे,
््निज विचार ्््
्््भावचित्र ््््
्््
्््शीर्षक ््
्््सृष्टि ब़म्ह कर्म सृजन में ,
मानसिक रूप ईश वंदना, प्रेयर नमन में ,
समरुपता एक ऐकेश्वर नरकंकाल है,,
 यही शबद शब्दों का ज्ञानरस लोकसृजनमें में ,
यह जीवन समर्पित भाव आनंद में ््््
््््
मन काढी तन की माटी,,
 जब चढ़े काम की अंगेठी पे ,
सो अगन लगे,सो तपन लगे,वो भट्टे कुम्हार के, 
वो धधक उठी है  वो मटके हाण्डी से पके,,
 वो घट्टी  में चक्का पीसन लागी रै।।
 जो काया माया के ढोल मंजीरै ,,
चक्का चाले बाजै घर घर कै,
 मैं काल घड़ी का कांचा हाण्डा में,।।
 कुंभकार की माटी के बासण में,,
 जल शीतल होय जाय रै।।
अरै मचा बवंडर काया माया के,
 मोह जाल में फंसे  जीव जगत में ज्ञान से,
 तो मचा बवंडर वो सूरज्ञान इंगला पिंगला ,
नाड़ी शोधन सुष्मणा चली गई।।
आ गयी वो लै आयी यह डौली बोली शैली में,,
प्रेम प्यार में  हो गई दिवानी,
 तेरे बूंलन्द इस दिल जहां में,,
तेरे मेरे का अब रहा नहीं कुछ,सब खैला है,
 ये वक्त का मैला ठैला है।।
कौन कहां है अता पता नहीं है,,
ये,चला चली का दौर है।।
 अब  रहा सवाल  कि तू मूझसे बेखबर है,,
 मैं तो आपके साथ खड़ा हूं,
, आप मेरे लिए एक ईश्वर सत्य हो ।।
 ये टेम टेम की बात है  हैरान परेशान जमाने से,
 वो मंज़र देखा इन्सान अपनी रूह में
 समाया हुआ खो गया हममें तुममें,
 सब कुछ प्रभू आत्म संतोष में ।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद 
4,, नवम्बर,,2024,,

©Shailendra Anand

#Sad_Status अनमोल विचार ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

13 Love

White रचना दिनांक,,,29,,,10,,,2024 वार,,,मंगल वार समय सुबह। ,,4..30 ,,््बजे ््््निजविचार ््् ्््भावचित्र ्् ्््शीर्षक ्् ््््धनवंतरी पूजन ््् ््््छाया चित्र में दिखाया गया है धनवंतरी पूजणऔषधीय गुणान्चा जीवन में , एक आयुर्वेद में रोग उपचारधन संपत्ति का संवरक्षण में अनर्थकारी अपव्यय को रोकने वाले , सत्कर्मों का स्वरूप हीमानव जीवन की सेवा की औषधी है ््् ्््् कार्तिक कृष्ण पक्ष तिथि त्रयोदशी मंगल वासरे मंगलकारज में , कूबेर और धनकारकं धनलक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी कर्म भाव में स्थित है।। मां लक्ष्मी धनदायी धनाध्यक्षं महादेवी पाद प्रक्षालन में, देही नमोस्तुते नमस्ते देवी धनाक्षी धनाध्क्षं धनक्षंरी अखरी नक्षत्री नवकार महालक्ष्मी पूजण मां माहेश्वरी दशा दिशा कर्म से नवीन भाव में ,, समय घड़ी विलक्षण प्रयोग विधि करहु विविध संस्कार जग में,, जगदीश्वरी मां दैवीय शक्ति महाकाली महालक्ष्मी दैवीभ्यौ नमो नमः।।, भाग्यांक में कर्म रेखा में कर्म भूमि वर्चस्व यजमान भाग्य भाव विधाता , कर्म भाव में स्थित सोच योग साधना तपस्या कर्मियों का स्वरूप ही जिंदगी का आनंद स्वरूपा भगवती चरण में आस्था निज भाव से पुजा अर्चना कर रहे हैं।। रुप में स्वरुप में विराज रही हैं मनोभाव अदभुत झलक झकाव स्वपन आत्मप्रेम ,, आत्मसाक्षात्कार भेज मंगल कारकं दिव्य दर्शन कर रहे , आपकी कृपालु दया करो महाराणी यश तेजोमय दिव्य समृद्धि संस्कार, परिवार में, वृद्धि सम्रद्धि सामुद्रिक लच्छिन लक्ष्मी जी प्रसन्न हो ,, पातालकोट पाताल निवासिनि धनधान्य प्रदायिनी।। आनंद करणी इन्द्र देव अर्चनंमाधवं गोविंदं श्रीकृष्णं नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते अस्तु कर्मणा में, लक्ष्मी नारायण व्दार पाल श्रृषी मुनि संन्यासी का स्वरूप दर्शन मात्र से , कल्याण नमोस्तुते नमोस्तुते मां सरस्वती दैवीय शक्ति पूंज नमो नमः अस्ति ।। जलशायिने जलमध्ये में नयन अश्रुजल बह निकले ध्वनि स्वर पुकार नाद ऐं, क्लीं श्रीं क्लीं श्रीं चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली लाती है।। जगत जननी महालक्ष्मी पूजन नमोनारायण दैवीय शक्ति भक्ति भाव सहित,, नायकं आनंद दे यही मेरी कामना उत्साह उमंग हर्षोल्लास है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 29,,,10,,,2024 ©Shailendra Anand

#भक्ति #Dhanteras  White रचना दिनांक,,,29,,,10,,,2024
वार,,,मंगल वार
समय सुबह। ,,4..30  ,,््बजे
््््निजविचार ्््
्््भावचित्र ््
्््शीर्षक ््
््््धनवंतरी पूजन ्््
््््छाया चित्र में दिखाया गया है धनवंतरी पूजणऔषधीय गुणान्चा जीवन में ,
एक आयुर्वेद में रोग उपचारधन संपत्ति का संवरक्षण में अनर्थकारी अपव्यय को रोकने वाले ,
सत्कर्मों का स्वरूप हीमानव जीवन की सेवा की औषधी है ्््
््््
कार्तिक कृष्ण पक्ष  तिथि  त्रयोदशी मंगल वासरे मंगलकारज में ,
कूबेर और धनकारकं धनलक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी कर्म भाव में स्थित है।।
मां लक्ष्मी धनदायी धनाध्यक्षं महादेवी पाद प्रक्षालन में,
 देही नमोस्तुते नमस्ते देवी धनाक्षी धनाध्क्षं धनक्षंरी अखरी नक्षत्री 
नवकार महालक्ष्मी पूजण मां माहेश्वरी  दशा दिशा कर्म से नवीन भाव में ,,
समय घड़ी विलक्षण प्रयोग विधि करहु विविध संस्कार जग में,,
 जगदीश्वरी मां दैवीय शक्ति महाकाली महालक्ष्मी दैवीभ्यौ नमो नमः।।,
भाग्यांक में कर्म रेखा में कर्म भूमि वर्चस्व यजमान भाग्य भाव विधाता ,
कर्म भाव में स्थित सोच योग साधना तपस्या कर्मियों का स्वरूप ही जिंदगी का
 आनंद स्वरूपा भगवती चरण में आस्था निज भाव से पुजा अर्चना कर रहे हैं।।
 रुप में स्वरुप में विराज रही हैं मनोभाव अदभुत झलक झकाव स्वपन आत्मप्रेम ,,
आत्मसाक्षात्कार भेज मंगल कारकं दिव्य दर्शन कर रहे ,
आपकी कृपालु दया करो महाराणी यश तेजोमय दिव्य समृद्धि संस्कार,
 परिवार में, वृद्धि सम्रद्धि सामुद्रिक लच्छिन लक्ष्मी जी प्रसन्न हो ,,
पातालकोट पाताल निवासिनि धनधान्य प्रदायिनी।।
आनंद करणी इन्द्र देव अर्चनंमाधवं गोविंदं श्रीकृष्णं नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते अस्तु कर्मणा में,
 लक्ष्मी नारायण व्दार पाल श्रृषी मुनि संन्यासी का स्वरूप दर्शन मात्र से ,
कल्याण नमोस्तुते नमोस्तुते मां सरस्वती दैवीय शक्ति पूंज नमो नमः अस्ति ।।
जलशायिने जलमध्ये में नयन अश्रुजल बह निकले ध्वनि स्वर पुकार नाद ऐं,
 क्लीं श्रीं क्लीं श्रीं चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली लाती है।।
 जगत जननी महालक्ष्मी पूजन नमोनारायण दैवीय शक्ति भक्ति भाव सहित,,
 नायकं आनंद दे यही मेरी कामना उत्साह उमंग हर्षोल्लास है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
29,,,10,,,2024

©Shailendra Anand

#Dhanteras भक्ति वीडियो कवि शैलेंद्र आनंद

11 Love

White रचना दिनांक ््24,,10,,,2024 वार। गुरुवार समय,,, सुबह ्््पांच बजे ््््निज विचार ््््् ्््भावचित्र ््् ्््शीर्षक ््् ्््छाया चित्र में दिखाया गया चित्र में देख रहा है ,ब़ीज से अपनी दिशा में आगे पीछे कर देख रहा है, गगन निहारते पल भर में खो गई तस्वीर है आज के दौर में ,,बच्चों बढे जवान सभी जीवों में मनुष्य शरीर में ,, प्राण वायु और पंचतत्व की काया माया से सजाया है््््््् सच में आंखें खोल कर देख रहा मेरे पास आ रही है, प्रेम और उदारता की प्रतिमूर्ति मानवीय मूल्यों पर आधारित, श्रम जीवन और समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही, चिंता की लकीरें खींच गई तस्वीर में दिख रहा है नवयुवक निहार रहा है,, रुठ में तमाम भ्रष्ट तंत्र हावी हो जाता है।। अपना भविष्य खुद जाने अंजाने में स्वयं से खिलवाड़ कर रहा है, उच्च शिक्षा प्राप्त सड़कों पर धक्के खा रहे हैं ।। उन्हें उचित स्थान पर योग्यता की कसौटी पर रोजगार उपलब्ध नहीं है ,, सरकारियातंत्र लचार पंगु बना हुआ है, जो सिर्फ सिर्फ स्वरोजगार प्रशिक्षण शिविर योजनाएं चलाई जा रही है ,।। और रहा सहा तात्कालिक रूप सरकार का प्रमुख ठैला,फैरी लगाने का सुझाव देते नजर आते हैं।। केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति बद से बद्तर हो चुकी है,, विश्व बैंक से दो हजार चौदह से दो हजार चौवीस तक करोड़ों रुपए का कर्ज से डुबी हुई,, अर्थ व्यवस्था का सुधार हो ऐसी स्थिति अभी ऐसे आसार दिखाई दे नहीं रहें हैं।। इस कारण बताओ मैं जिंदगी में मानसिक सम्प्रेषण दबाव में, युवा पीढ़ी बेरोजगार युवाओं की फौज तैयार है,, मंहगाई खात जात है।। और अप्रत्यक्ष रूप से जीवन व्यतीत करते में आयी कठिनाई के दौर में, बच्चों जवान में बढ़ते अपराध हिंसा से तनाव बना रहता है।। राजनैतिक दल विचारधारा वाले जाति, धर्म, संप्रदाय, वर्णाश्रम , व्यवस्था, छल प्रपंच धूर्रता से चुनावी सभा में झूठी घोषणाओं का पूलिन्दा लेकर,, देश में प्रदेश में नर नारी में अंतर्कलह स्थापित करने वाली चूनावी रंग रुठ से , अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले दूराचार से अपनी दिशा लेकर चलते हैं।। ऐसे असंख्य लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून से ऊपर उठकर चल रहे ,, तंत्र से लोकतंत्र लाचार है।। जो खुद न्याय पाओ मर्यादा की पंक्ति में लाचार हो कर खड़े होते देख सकते हो,, यह कथन सच्चाई है जिसे हम तुम्हारे साथ में मानसिक रूप से रूबरू होकर चर्चा आम कर रहे हैं।। क्या यही मेरे देश की दशा और दिशा में आमूलचूल परिवर्तन क्या आ है,, क्या हम दिलों से ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 24,,,10,,,2024 ©Shailendra Anand

#विचार #Sad_Status  White रचना दिनांक ््24,,10,,,2024
वार।      गुरुवार
समय,,, सुबह ्््पांच   बजे
््््निज विचार ्््््
्््भावचित्र ्््
्््शीर्षक ्््
्््छाया चित्र में दिखाया गया चित्र में देख रहा है ,ब़ीज से अपनी दिशा में आगे पीछे कर देख रहा है,
 गगन निहारते पल भर में  खो गई  तस्वीर है आज के दौर में  ,,बच्चों बढे जवान सभी जीवों में मनुष्य शरीर में ,,
प्राण वायु और पंचतत्व की काया माया से सजाया है्््््््

सच में आंखें खोल कर देख रहा मेरे पास आ रही है,
 प्रेम और उदारता की प्रतिमूर्ति मानवीय मूल्यों पर आधारित,
 श्रम जीवन और समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही,
 चिंता की लकीरें खींच गई तस्वीर में दिख रहा है नवयुवक निहार रहा है,,
रुठ में तमाम भ्रष्ट तंत्र हावी हो जाता है।। अपना भविष्य खुद जाने अंजाने में स्वयं से खिलवाड़ कर रहा है,
 उच्च शिक्षा प्राप्त सड़कों पर धक्के खा रहे हैं ।।
उन्हें उचित स्थान पर योग्यता की कसौटी पर रोजगार उपलब्ध नहीं है ,,
सरकारियातंत्र  लचार पंगु बना हुआ है,
 जो सिर्फ सिर्फ स्वरोजगार प्रशिक्षण शिविर योजनाएं चलाई जा रही है ,।।
और रहा सहा तात्कालिक रूप सरकार का प्रमुख ठैला,फैरी लगाने का सुझाव देते नजर आते हैं।।
केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति बद से बद्तर हो चुकी है,,
विश्व बैंक से दो हजार चौदह से दो हजार चौवीस तक करोड़ों रुपए का कर्ज से डुबी हुई,,
 अर्थ व्यवस्था का सुधार हो ऐसी स्थिति अभी ऐसे आसार दिखाई दे नहीं रहें हैं।।
इस कारण बताओ मैं जिंदगी में मानसिक सम्प्रेषण दबाव में,
 युवा पीढ़ी बेरोजगार युवाओं की फौज तैयार है,,
मंहगाई खात जात है।।
 और अप्रत्यक्ष रूप से जीवन व्यतीत करते में आयी कठिनाई के दौर में,
 बच्चों जवान में बढ़ते अपराध हिंसा से तनाव बना रहता है।।
राजनैतिक दल विचारधारा वाले जाति, धर्म, संप्रदाय, वर्णाश्रम , व्यवस्था,
छल प्रपंच धूर्रता से चुनावी सभा में झूठी घोषणाओं का पूलिन्दा लेकर,,
 देश में प्रदेश में नर नारी में अंतर्कलह स्थापित करने वाली चूनावी रंग रुठ से ,
अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले दूराचार से अपनी दिशा लेकर चलते हैं।।

ऐसे असंख्य लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून से ऊपर उठकर चल रहे ,,
तंत्र से लोकतंत्र लाचार है।।
जो खुद न्याय पाओ मर्यादा की पंक्ति में लाचार हो कर खड़े होते देख सकते हो,,
यह कथन सच्चाई है जिसे हम तुम्हारे साथ में मानसिक रूप से रूबरू होकर चर्चा आम कर रहे हैं।।
क्या यही मेरे देश की दशा और दिशा में आमूलचूल परिवर्तन क्या आ है,,
क्या हम दिलों से ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
24,,,10,,,2024

©Shailendra Anand

#Sad_Status अच्छे विचारों ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

12 Love

बहुत मित्र कभी नहीं होते मित्र जीवन में कम ही हो सकते है पहचान बहुतों से हो सकती है सहजता बहुतों से हो सकती है पहचान दुनिया से हो सकती है उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता । ©seema patidar

#Bhakti  बहुत मित्र कभी नहीं होते 
मित्र जीवन में कम ही हो सकते है
पहचान बहुतों से हो सकती है
सहजता बहुतों से हो सकती है
पहचान दुनिया से हो सकती है
उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है
उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है
उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है
उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है
ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है
जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता ।

©seema patidar

आनंद पथ

12 Love

White विधि करहु विविध संस्कार जग में,, मैं लेखक कवि शैलेंद्र आनंद हूं।। स्वतंत्र आवाज़ में दबाव रहित ना ग़ुप ना समुह ना किसी संगठन का मैं गुलाम हूं।। मैं तो भारत प्रजातांत्रिक देश का कूलदीपक हूं।। ना कोई मेरा तेरा मन करे वो लफ्जो से भावना से कर्म से भाग्य विधाता सर्वग्य है।। जिसका आनंद करण जौहर में जलना रणकौशल वीरों की शान है।। अगर मगर ख्याल रखना झण्डाबदार सरकार का दायित्व नहीं है,, कलम दवात कागज पर लिखकर चित्र विचित्र बात है।। मां भगवती चरण शरण में, मैं शैलेंद्र आनंद तुम्हारा अपना मित्र सहोदर भ्राता हूं तुम्हारी आन बान शान में कसीदे पढ़े लिखे लोग पार्टी नहीं देश बडा है महान है।। मैं गांधी,सुभाष, भगतसिंह, अब्दुल हमीद,, और ,नेहरु इंदिरा गांधी की आवाज का कायल हूं।। जय हिन्द जय भारत मां भारती को सदैव तत्पर प्रमाण पत्र प्रणाम,, मेरा नाम शैलेंद्र आनंद, जवान वन्देमातरम कहना है और ,, भारत मां शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा जाना है।। ्््भावचित्र निज विचार ्््््कवि शैलेंद्र आनंद https://www.facebook.com/share/p/hRnvXghQhuZCa9Y2/?mibextid=oFDknk ©Shailendra Anand

#भक्ति #Dussehra  White विधि करहु विविध संस्कार जग में,,
मैं लेखक कवि शैलेंद्र आनंद हूं।।
स्वतंत्र आवाज़ में दबाव रहित ना ग़ुप ना समुह ना किसी संगठन का मैं गुलाम हूं।।
मैं तो भारत प्रजातांत्रिक देश का कूलदीपक हूं।।
ना कोई मेरा तेरा मन करे वो लफ्जो से भावना से कर्म से भाग्य विधाता सर्वग्य है।।
जिसका आनंद करण जौहर में जलना रणकौशल वीरों की शान है।।
अगर मगर ख्याल रखना झण्डाबदार सरकार का दायित्व नहीं है,,
 कलम दवात कागज पर लिखकर चित्र विचित्र बात है।।
मां भगवती चरण शरण में,
मैं शैलेंद्र आनंद तुम्हारा अपना मित्र सहोदर भ्राता हूं तुम्हारी आन बान शान में कसीदे पढ़े लिखे लोग पार्टी नहीं देश बडा है महान है।।
मैं गांधी,सुभाष, भगतसिंह, अब्दुल हमीद,,
 और ,नेहरु इंदिरा गांधी की आवाज का कायल हूं।।
जय हिन्द जय भारत मां भारती को सदैव तत्पर प्रमाण पत्र प्रणाम,,
 मेरा नाम शैलेंद्र आनंद,
जवान वन्देमातरम कहना है और ,,
भारत मां शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा जाना है।।
्््भावचित्र
 निज विचार
्््््कवि शैलेंद्र आनंद https://www.facebook.com/share/p/hRnvXghQhuZCa9Y2/?mibextid=oFDknk

©Shailendra Anand

#Dussehra देश भक्ति ्् कवि शैलेंद्र आनंद

9 Love

जज़्बातों की खाई में, फिसल गए चिकनाई में, उऋण नहीं हो पायेंगे, उम्र कटी भरपाई में, अपनापन का अंदेशा, फिसलन है इस काई में, प्रेम प्यार सब भूल गए, झूठी मान बड़ाई में, फैशन के युग में यारों, फर्क़ न चाचा ताई में, लालच लोभ बढ़े इतने, प्रेम न भाई भाई में, 'गुंजन' ये महसूस हुआ, सुख आनंद भलाई में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#मोटिवेशनल #सुख  जज़्बातों   की   खाई में, 
फिसल गए चिकनाई में,

उऋण  नहीं  हो  पायेंगे,
उम्र    कटी   भरपाई में,

अपनापन  का   अंदेशा, 
फिसलन है इस काई में,

प्रेम प्यार सब भूल गए,  
झूठी   मान   बड़ाई में,

फैशन  के  युग में यारों, 
फर्क़  न  चाचा ताई में,

लालच लोभ बढ़े इतने, 
प्रेम  न   भाई  भाई में,

'गुंजन' ये महसूस हुआ, 
सुख आनंद  भलाई में, 
   --शशि भूषण मिश्र
     'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#सुख आनंद भलाई में#

10 Love

White रचना दिनांक 4,, नवम्बर 2024 वार सोमवार समय दोपहर तीन बजे, ््निज विचार ््् ्््भावचित्र ्््् ््् ्््शीर्षक ्् ्््सृष्टि ब़म्ह कर्म सृजन में , मानसिक रूप ईश वंदना, प्रेयर नमन में , समरुपता एक ऐकेश्वर नरकंकाल है,, यही शबद शब्दों का ज्ञानरस लोकसृजनमें में , यह जीवन समर्पित भाव आनंद में ्््् ्््् मन काढी तन की माटी,, जब चढ़े काम की अंगेठी पे , सो अगन लगे,सो तपन लगे,वो भट्टे कुम्हार के, वो धधक उठी है वो मटके हाण्डी से पके,, वो घट्टी में चक्का पीसन लागी रै।। जो काया माया के ढोल मंजीरै ,, चक्का चाले बाजै घर घर कै, मैं काल घड़ी का कांचा हाण्डा में,।। कुंभकार की माटी के बासण में,, जल शीतल होय जाय रै।। अरै मचा बवंडर काया माया के, मोह जाल में फंसे जीव जगत में ज्ञान से, तो मचा बवंडर वो सूरज्ञान इंगला पिंगला , नाड़ी शोधन सुष्मणा चली गई।। आ गयी वो लै आयी यह डौली बोली शैली में,, प्रेम प्यार में हो गई दिवानी, तेरे बूंलन्द इस दिल जहां में,, तेरे मेरे का अब रहा नहीं कुछ,सब खैला है, ये वक्त का मैला ठैला है।। कौन कहां है अता पता नहीं है,, ये,चला चली का दौर है।। अब रहा सवाल कि तू मूझसे बेखबर है,, मैं तो आपके साथ खड़ा हूं, , आप मेरे लिए एक ईश्वर सत्य हो ।। ये टेम टेम की बात है हैरान परेशान जमाने से, वो मंज़र देखा इन्सान अपनी रूह में समाया हुआ खो गया हममें तुममें, सब कुछ प्रभू आत्म संतोष में ।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद 4,, नवम्बर,,2024,, ©Shailendra Anand

#विचार #Sad_Status  White रचना दिनांक   4,, नवम्बर 2024
वार  सोमवार
समय दोपहर तीन बजे,
््निज विचार ्््
्््भावचित्र ््््
्््
्््शीर्षक ््
्््सृष्टि ब़म्ह कर्म सृजन में ,
मानसिक रूप ईश वंदना, प्रेयर नमन में ,
समरुपता एक ऐकेश्वर नरकंकाल है,,
 यही शबद शब्दों का ज्ञानरस लोकसृजनमें में ,
यह जीवन समर्पित भाव आनंद में ््््
््््
मन काढी तन की माटी,,
 जब चढ़े काम की अंगेठी पे ,
सो अगन लगे,सो तपन लगे,वो भट्टे कुम्हार के, 
वो धधक उठी है  वो मटके हाण्डी से पके,,
 वो घट्टी  में चक्का पीसन लागी रै।।
 जो काया माया के ढोल मंजीरै ,,
चक्का चाले बाजै घर घर कै,
 मैं काल घड़ी का कांचा हाण्डा में,।।
 कुंभकार की माटी के बासण में,,
 जल शीतल होय जाय रै।।
अरै मचा बवंडर काया माया के,
 मोह जाल में फंसे  जीव जगत में ज्ञान से,
 तो मचा बवंडर वो सूरज्ञान इंगला पिंगला ,
नाड़ी शोधन सुष्मणा चली गई।।
आ गयी वो लै आयी यह डौली बोली शैली में,,
प्रेम प्यार में  हो गई दिवानी,
 तेरे बूंलन्द इस दिल जहां में,,
तेरे मेरे का अब रहा नहीं कुछ,सब खैला है,
 ये वक्त का मैला ठैला है।।
कौन कहां है अता पता नहीं है,,
ये,चला चली का दौर है।।
 अब  रहा सवाल  कि तू मूझसे बेखबर है,,
 मैं तो आपके साथ खड़ा हूं,
, आप मेरे लिए एक ईश्वर सत्य हो ।।
 ये टेम टेम की बात है  हैरान परेशान जमाने से,
 वो मंज़र देखा इन्सान अपनी रूह में
 समाया हुआ खो गया हममें तुममें,
 सब कुछ प्रभू आत्म संतोष में ।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद 
4,, नवम्बर,,2024,,

©Shailendra Anand

#Sad_Status अनमोल विचार ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

13 Love

White रचना दिनांक,,,29,,,10,,,2024 वार,,,मंगल वार समय सुबह। ,,4..30 ,,््बजे ््््निजविचार ््् ्््भावचित्र ्् ्््शीर्षक ्् ््््धनवंतरी पूजन ््् ््््छाया चित्र में दिखाया गया है धनवंतरी पूजणऔषधीय गुणान्चा जीवन में , एक आयुर्वेद में रोग उपचारधन संपत्ति का संवरक्षण में अनर्थकारी अपव्यय को रोकने वाले , सत्कर्मों का स्वरूप हीमानव जीवन की सेवा की औषधी है ््् ्््् कार्तिक कृष्ण पक्ष तिथि त्रयोदशी मंगल वासरे मंगलकारज में , कूबेर और धनकारकं धनलक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी कर्म भाव में स्थित है।। मां लक्ष्मी धनदायी धनाध्यक्षं महादेवी पाद प्रक्षालन में, देही नमोस्तुते नमस्ते देवी धनाक्षी धनाध्क्षं धनक्षंरी अखरी नक्षत्री नवकार महालक्ष्मी पूजण मां माहेश्वरी दशा दिशा कर्म से नवीन भाव में ,, समय घड़ी विलक्षण प्रयोग विधि करहु विविध संस्कार जग में,, जगदीश्वरी मां दैवीय शक्ति महाकाली महालक्ष्मी दैवीभ्यौ नमो नमः।।, भाग्यांक में कर्म रेखा में कर्म भूमि वर्चस्व यजमान भाग्य भाव विधाता , कर्म भाव में स्थित सोच योग साधना तपस्या कर्मियों का स्वरूप ही जिंदगी का आनंद स्वरूपा भगवती चरण में आस्था निज भाव से पुजा अर्चना कर रहे हैं।। रुप में स्वरुप में विराज रही हैं मनोभाव अदभुत झलक झकाव स्वपन आत्मप्रेम ,, आत्मसाक्षात्कार भेज मंगल कारकं दिव्य दर्शन कर रहे , आपकी कृपालु दया करो महाराणी यश तेजोमय दिव्य समृद्धि संस्कार, परिवार में, वृद्धि सम्रद्धि सामुद्रिक लच्छिन लक्ष्मी जी प्रसन्न हो ,, पातालकोट पाताल निवासिनि धनधान्य प्रदायिनी।। आनंद करणी इन्द्र देव अर्चनंमाधवं गोविंदं श्रीकृष्णं नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते अस्तु कर्मणा में, लक्ष्मी नारायण व्दार पाल श्रृषी मुनि संन्यासी का स्वरूप दर्शन मात्र से , कल्याण नमोस्तुते नमोस्तुते मां सरस्वती दैवीय शक्ति पूंज नमो नमः अस्ति ।। जलशायिने जलमध्ये में नयन अश्रुजल बह निकले ध्वनि स्वर पुकार नाद ऐं, क्लीं श्रीं क्लीं श्रीं चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली लाती है।। जगत जननी महालक्ष्मी पूजन नमोनारायण दैवीय शक्ति भक्ति भाव सहित,, नायकं आनंद दे यही मेरी कामना उत्साह उमंग हर्षोल्लास है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 29,,,10,,,2024 ©Shailendra Anand

#भक्ति #Dhanteras  White रचना दिनांक,,,29,,,10,,,2024
वार,,,मंगल वार
समय सुबह। ,,4..30  ,,््बजे
््््निजविचार ्््
्््भावचित्र ््
्््शीर्षक ््
््््धनवंतरी पूजन ्््
््््छाया चित्र में दिखाया गया है धनवंतरी पूजणऔषधीय गुणान्चा जीवन में ,
एक आयुर्वेद में रोग उपचारधन संपत्ति का संवरक्षण में अनर्थकारी अपव्यय को रोकने वाले ,
सत्कर्मों का स्वरूप हीमानव जीवन की सेवा की औषधी है ्््
््््
कार्तिक कृष्ण पक्ष  तिथि  त्रयोदशी मंगल वासरे मंगलकारज में ,
कूबेर और धनकारकं धनलक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी कर्म भाव में स्थित है।।
मां लक्ष्मी धनदायी धनाध्यक्षं महादेवी पाद प्रक्षालन में,
 देही नमोस्तुते नमस्ते देवी धनाक्षी धनाध्क्षं धनक्षंरी अखरी नक्षत्री 
नवकार महालक्ष्मी पूजण मां माहेश्वरी  दशा दिशा कर्म से नवीन भाव में ,,
समय घड़ी विलक्षण प्रयोग विधि करहु विविध संस्कार जग में,,
 जगदीश्वरी मां दैवीय शक्ति महाकाली महालक्ष्मी दैवीभ्यौ नमो नमः।।,
भाग्यांक में कर्म रेखा में कर्म भूमि वर्चस्व यजमान भाग्य भाव विधाता ,
कर्म भाव में स्थित सोच योग साधना तपस्या कर्मियों का स्वरूप ही जिंदगी का
 आनंद स्वरूपा भगवती चरण में आस्था निज भाव से पुजा अर्चना कर रहे हैं।।
 रुप में स्वरुप में विराज रही हैं मनोभाव अदभुत झलक झकाव स्वपन आत्मप्रेम ,,
आत्मसाक्षात्कार भेज मंगल कारकं दिव्य दर्शन कर रहे ,
आपकी कृपालु दया करो महाराणी यश तेजोमय दिव्य समृद्धि संस्कार,
 परिवार में, वृद्धि सम्रद्धि सामुद्रिक लच्छिन लक्ष्मी जी प्रसन्न हो ,,
पातालकोट पाताल निवासिनि धनधान्य प्रदायिनी।।
आनंद करणी इन्द्र देव अर्चनंमाधवं गोविंदं श्रीकृष्णं नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते अस्तु कर्मणा में,
 लक्ष्मी नारायण व्दार पाल श्रृषी मुनि संन्यासी का स्वरूप दर्शन मात्र से ,
कल्याण नमोस्तुते नमोस्तुते मां सरस्वती दैवीय शक्ति पूंज नमो नमः अस्ति ।।
जलशायिने जलमध्ये में नयन अश्रुजल बह निकले ध्वनि स्वर पुकार नाद ऐं,
 क्लीं श्रीं क्लीं श्रीं चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास में खुशहाली लाती है।।
 जगत जननी महालक्ष्मी पूजन नमोनारायण दैवीय शक्ति भक्ति भाव सहित,,
 नायकं आनंद दे यही मेरी कामना उत्साह उमंग हर्षोल्लास है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
29,,,10,,,2024

©Shailendra Anand

#Dhanteras भक्ति वीडियो कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक ््24,,10,,,2024 वार। गुरुवार समय,,, सुबह ्््पांच बजे ््््निज विचार ््््् ्््भावचित्र ््् ्््शीर्षक ््् ्््छाया चित्र में दिखाया गया चित्र में देख रहा है ,ब़ीज से अपनी दिशा में आगे पीछे कर देख रहा है, गगन निहारते पल भर में खो गई तस्वीर है आज के दौर में ,,बच्चों बढे जवान सभी जीवों में मनुष्य शरीर में ,, प्राण वायु और पंचतत्व की काया माया से सजाया है््््््् सच में आंखें खोल कर देख रहा मेरे पास आ रही है, प्रेम और उदारता की प्रतिमूर्ति मानवीय मूल्यों पर आधारित, श्रम जीवन और समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही, चिंता की लकीरें खींच गई तस्वीर में दिख रहा है नवयुवक निहार रहा है,, रुठ में तमाम भ्रष्ट तंत्र हावी हो जाता है।। अपना भविष्य खुद जाने अंजाने में स्वयं से खिलवाड़ कर रहा है, उच्च शिक्षा प्राप्त सड़कों पर धक्के खा रहे हैं ।। उन्हें उचित स्थान पर योग्यता की कसौटी पर रोजगार उपलब्ध नहीं है ,, सरकारियातंत्र लचार पंगु बना हुआ है, जो सिर्फ सिर्फ स्वरोजगार प्रशिक्षण शिविर योजनाएं चलाई जा रही है ,।। और रहा सहा तात्कालिक रूप सरकार का प्रमुख ठैला,फैरी लगाने का सुझाव देते नजर आते हैं।। केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति बद से बद्तर हो चुकी है,, विश्व बैंक से दो हजार चौदह से दो हजार चौवीस तक करोड़ों रुपए का कर्ज से डुबी हुई,, अर्थ व्यवस्था का सुधार हो ऐसी स्थिति अभी ऐसे आसार दिखाई दे नहीं रहें हैं।। इस कारण बताओ मैं जिंदगी में मानसिक सम्प्रेषण दबाव में, युवा पीढ़ी बेरोजगार युवाओं की फौज तैयार है,, मंहगाई खात जात है।। और अप्रत्यक्ष रूप से जीवन व्यतीत करते में आयी कठिनाई के दौर में, बच्चों जवान में बढ़ते अपराध हिंसा से तनाव बना रहता है।। राजनैतिक दल विचारधारा वाले जाति, धर्म, संप्रदाय, वर्णाश्रम , व्यवस्था, छल प्रपंच धूर्रता से चुनावी सभा में झूठी घोषणाओं का पूलिन्दा लेकर,, देश में प्रदेश में नर नारी में अंतर्कलह स्थापित करने वाली चूनावी रंग रुठ से , अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले दूराचार से अपनी दिशा लेकर चलते हैं।। ऐसे असंख्य लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून से ऊपर उठकर चल रहे ,, तंत्र से लोकतंत्र लाचार है।। जो खुद न्याय पाओ मर्यादा की पंक्ति में लाचार हो कर खड़े होते देख सकते हो,, यह कथन सच्चाई है जिसे हम तुम्हारे साथ में मानसिक रूप से रूबरू होकर चर्चा आम कर रहे हैं।। क्या यही मेरे देश की दशा और दिशा में आमूलचूल परिवर्तन क्या आ है,, क्या हम दिलों से ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््् 24,,,10,,,2024 ©Shailendra Anand

#विचार #Sad_Status  White रचना दिनांक ््24,,10,,,2024
वार।      गुरुवार
समय,,, सुबह ्््पांच   बजे
््््निज विचार ्््््
्््भावचित्र ्््
्््शीर्षक ्््
्््छाया चित्र में दिखाया गया चित्र में देख रहा है ,ब़ीज से अपनी दिशा में आगे पीछे कर देख रहा है,
 गगन निहारते पल भर में  खो गई  तस्वीर है आज के दौर में  ,,बच्चों बढे जवान सभी जीवों में मनुष्य शरीर में ,,
प्राण वायु और पंचतत्व की काया माया से सजाया है्््््््

सच में आंखें खोल कर देख रहा मेरे पास आ रही है,
 प्रेम और उदारता की प्रतिमूर्ति मानवीय मूल्यों पर आधारित,
 श्रम जीवन और समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही,
 चिंता की लकीरें खींच गई तस्वीर में दिख रहा है नवयुवक निहार रहा है,,
रुठ में तमाम भ्रष्ट तंत्र हावी हो जाता है।। अपना भविष्य खुद जाने अंजाने में स्वयं से खिलवाड़ कर रहा है,
 उच्च शिक्षा प्राप्त सड़कों पर धक्के खा रहे हैं ।।
उन्हें उचित स्थान पर योग्यता की कसौटी पर रोजगार उपलब्ध नहीं है ,,
सरकारियातंत्र  लचार पंगु बना हुआ है,
 जो सिर्फ सिर्फ स्वरोजगार प्रशिक्षण शिविर योजनाएं चलाई जा रही है ,।।
और रहा सहा तात्कालिक रूप सरकार का प्रमुख ठैला,फैरी लगाने का सुझाव देते नजर आते हैं।।
केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति बद से बद्तर हो चुकी है,,
विश्व बैंक से दो हजार चौदह से दो हजार चौवीस तक करोड़ों रुपए का कर्ज से डुबी हुई,,
 अर्थ व्यवस्था का सुधार हो ऐसी स्थिति अभी ऐसे आसार दिखाई दे नहीं रहें हैं।।
इस कारण बताओ मैं जिंदगी में मानसिक सम्प्रेषण दबाव में,
 युवा पीढ़ी बेरोजगार युवाओं की फौज तैयार है,,
मंहगाई खात जात है।।
 और अप्रत्यक्ष रूप से जीवन व्यतीत करते में आयी कठिनाई के दौर में,
 बच्चों जवान में बढ़ते अपराध हिंसा से तनाव बना रहता है।।
राजनैतिक दल विचारधारा वाले जाति, धर्म, संप्रदाय, वर्णाश्रम , व्यवस्था,
छल प्रपंच धूर्रता से चुनावी सभा में झूठी घोषणाओं का पूलिन्दा लेकर,,
 देश में प्रदेश में नर नारी में अंतर्कलह स्थापित करने वाली चूनावी रंग रुठ से ,
अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले दूराचार से अपनी दिशा लेकर चलते हैं।।

ऐसे असंख्य लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून से ऊपर उठकर चल रहे ,,
तंत्र से लोकतंत्र लाचार है।।
जो खुद न्याय पाओ मर्यादा की पंक्ति में लाचार हो कर खड़े होते देख सकते हो,,
यह कथन सच्चाई है जिसे हम तुम्हारे साथ में मानसिक रूप से रूबरू होकर चर्चा आम कर रहे हैं।।
क्या यही मेरे देश की दशा और दिशा में आमूलचूल परिवर्तन क्या आ है,,
क्या हम दिलों से ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
24,,,10,,,2024

©Shailendra Anand

#Sad_Status अच्छे विचारों ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

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बहुत मित्र कभी नहीं होते मित्र जीवन में कम ही हो सकते है पहचान बहुतों से हो सकती है सहजता बहुतों से हो सकती है पहचान दुनिया से हो सकती है उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता । ©seema patidar

#Bhakti  बहुत मित्र कभी नहीं होते 
मित्र जीवन में कम ही हो सकते है
पहचान बहुतों से हो सकती है
सहजता बहुतों से हो सकती है
पहचान दुनिया से हो सकती है
उससे कम लोगो से संबंध हो सकते है
उससे और कम लोगो से मित्रता हो सकती है
उससे और कम लोगो पर विश्वास हो सकता है
उससे भी और कम लोगो से प्रेम हो सकता है
ऐसा प्रेम स्थायी और अनंत होता है
जो जीवन की किसी परिस्थिति में समाप्त नहीं होता ।

©seema patidar

आनंद पथ

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White विधि करहु विविध संस्कार जग में,, मैं लेखक कवि शैलेंद्र आनंद हूं।। स्वतंत्र आवाज़ में दबाव रहित ना ग़ुप ना समुह ना किसी संगठन का मैं गुलाम हूं।। मैं तो भारत प्रजातांत्रिक देश का कूलदीपक हूं।। ना कोई मेरा तेरा मन करे वो लफ्जो से भावना से कर्म से भाग्य विधाता सर्वग्य है।। जिसका आनंद करण जौहर में जलना रणकौशल वीरों की शान है।। अगर मगर ख्याल रखना झण्डाबदार सरकार का दायित्व नहीं है,, कलम दवात कागज पर लिखकर चित्र विचित्र बात है।। मां भगवती चरण शरण में, मैं शैलेंद्र आनंद तुम्हारा अपना मित्र सहोदर भ्राता हूं तुम्हारी आन बान शान में कसीदे पढ़े लिखे लोग पार्टी नहीं देश बडा है महान है।। मैं गांधी,सुभाष, भगतसिंह, अब्दुल हमीद,, और ,नेहरु इंदिरा गांधी की आवाज का कायल हूं।। जय हिन्द जय भारत मां भारती को सदैव तत्पर प्रमाण पत्र प्रणाम,, मेरा नाम शैलेंद्र आनंद, जवान वन्देमातरम कहना है और ,, भारत मां शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा जाना है।। ्््भावचित्र निज विचार ्््््कवि शैलेंद्र आनंद https://www.facebook.com/share/p/hRnvXghQhuZCa9Y2/?mibextid=oFDknk ©Shailendra Anand

#भक्ति #Dussehra  White विधि करहु विविध संस्कार जग में,,
मैं लेखक कवि शैलेंद्र आनंद हूं।।
स्वतंत्र आवाज़ में दबाव रहित ना ग़ुप ना समुह ना किसी संगठन का मैं गुलाम हूं।।
मैं तो भारत प्रजातांत्रिक देश का कूलदीपक हूं।।
ना कोई मेरा तेरा मन करे वो लफ्जो से भावना से कर्म से भाग्य विधाता सर्वग्य है।।
जिसका आनंद करण जौहर में जलना रणकौशल वीरों की शान है।।
अगर मगर ख्याल रखना झण्डाबदार सरकार का दायित्व नहीं है,,
 कलम दवात कागज पर लिखकर चित्र विचित्र बात है।।
मां भगवती चरण शरण में,
मैं शैलेंद्र आनंद तुम्हारा अपना मित्र सहोदर भ्राता हूं तुम्हारी आन बान शान में कसीदे पढ़े लिखे लोग पार्टी नहीं देश बडा है महान है।।
मैं गांधी,सुभाष, भगतसिंह, अब्दुल हमीद,,
 और ,नेहरु इंदिरा गांधी की आवाज का कायल हूं।।
जय हिन्द जय भारत मां भारती को सदैव तत्पर प्रमाण पत्र प्रणाम,,
 मेरा नाम शैलेंद्र आनंद,
जवान वन्देमातरम कहना है और ,,
भारत मां शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा जाना है।।
्््भावचित्र
 निज विचार
्््््कवि शैलेंद्र आनंद https://www.facebook.com/share/p/hRnvXghQhuZCa9Y2/?mibextid=oFDknk

©Shailendra Anand

#Dussehra देश भक्ति ्् कवि शैलेंद्र आनंद

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जज़्बातों की खाई में, फिसल गए चिकनाई में, उऋण नहीं हो पायेंगे, उम्र कटी भरपाई में, अपनापन का अंदेशा, फिसलन है इस काई में, प्रेम प्यार सब भूल गए, झूठी मान बड़ाई में, फैशन के युग में यारों, फर्क़ न चाचा ताई में, लालच लोभ बढ़े इतने, प्रेम न भाई भाई में, 'गुंजन' ये महसूस हुआ, सुख आनंद भलाई में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#मोटिवेशनल #सुख  जज़्बातों   की   खाई में, 
फिसल गए चिकनाई में,

उऋण  नहीं  हो  पायेंगे,
उम्र    कटी   भरपाई में,

अपनापन  का   अंदेशा, 
फिसलन है इस काई में,

प्रेम प्यार सब भूल गए,  
झूठी   मान   बड़ाई में,

फैशन  के  युग में यारों, 
फर्क़  न  चाचा ताई में,

लालच लोभ बढ़े इतने, 
प्रेम  न   भाई  भाई में,

'गुंजन' ये महसूस हुआ, 
सुख आनंद  भलाई में, 
   --शशि भूषण मिश्र
     'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#सुख आनंद भलाई में#

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