मेरे गांव में बहुत कब्रगाह है
जितने इंसा के पास खेत नहीं है,
उससे अधिक कब्र है.!
घूमते रहता हूँ अक्सर मैं वहाँ अकेले
इंसानों से डरता हूँ,
कब्रों से कभी आज तक डरा नहीं मैं.!
बहुत शांति है उधर, देखो
कोई किसी को परेशा नहीं करता शायद.!
देख़ो न एकदम बगल बगल है
चुप चाप है,
कोई किसी से बोलता भी नहीं है.!
शायद उनके पास खंज़र या
कोई बंदूक हो देखता हूँ मैं भी
गया था एकदम पास
कुछ भी दिखा नहीं, मिला भी नहीं..!
आओ शोर से परेशां हो लगता है तुम भी
किसी दिन मिलाउ उनसे
जो एकदम से चुपचाप है.!
बहुत सपनें ख़्वाव दौलत सब दफन है इसमें
तुम भी लें सकते है इनमें से
जरूरत हो तो बताना मुझसे
इन कब्रो में जगह बहुत है.!!
©Shreyansh Gaurav
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