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New लगाकर आग शहर को Status, Photo, Video

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White ये नफरत की आग ही, करे सबको तबाह। पलभर में घर फूंक दे, निकले दिल से आह।। ले जाए जाने कहां, ये नफरत की आग। जाति-धर्म के नाम पर, पड़े दिलों पर दाग।। घृणा द्वेष से पूर्ण क्यूं, मानव अब तो जाग। कर देगी बर्बाद सब,ये नफरत की आग।। -निलम ©Nilam Agarwalla

#कविता #आग  White 
ये नफरत की आग ही, करे सबको तबाह।
पलभर में घर फूंक दे, निकले दिल से आह।।

ले जाए जाने  कहां, ये नफरत की आग।
जाति-धर्म के नाम पर, पड़े दिलों पर दाग।।

घृणा द्वेष से पूर्ण क्यूं, मानव अब तो जाग।
कर देगी बर्बाद सब,ये नफरत की आग।।

 -निलम

©Nilam Agarwalla

#आग

15 Love

White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा... शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#शायरी #GoodMorning  White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा...
शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना...

©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#GoodMorning शहर

14 Love

आग उठती लपटें धुआँ उगलती जब जलती है आग कोई देखकर घेरे उसको कोई रहा है भाग किसी को जीवन दान करे यह किसी को देती कष्ट तपकर कोई स्वर्ण कहलाता कोई होता है नस्ट धधक रही हो अगर हृदय में बनकर के यह ज्वाला खतरोंसे है मनुज खेलता बन जाता मतवाला यही सृजन की जननी बेखुद यही मार्ग विध्वंशक पंच तत्व में शामिल है यह सभी झुकाएँ मस्तक ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #आग  आग

उठती लपटें धुआँ उगलती
जब जलती है आग
कोई देखकर घेरे उसको
कोई रहा है भाग

किसी को जीवन दान करे यह
किसी को देती कष्ट
तपकर कोई स्वर्ण कहलाता
कोई होता है नस्ट

धधक रही हो अगर हृदय में
बनकर के यह ज्वाला
खतरोंसे है मनुज  खेलता
बन जाता मतवाला

यही सृजन की जननी बेखुद
यही मार्ग विध्वंशक
पंच तत्व में शामिल है यह
सभी झुकाएँ मस्तक

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#आग

11 Love

जाल नहीं फेंको घबराकर, करो मशक्कत जोर लगाकर, दरिया की मछलियाँ सयानी, चल देती हैं चारा खाकर, तोड़ नहीं पाओगे बादल, बरसेगा ये ख़ुद ही आकर, स्वाभिमान को जिन्दा रखना, माया बन जायेगी चाकर, आँसू और मुस्कान ख़ुशी में, मन ही मन मत रखो दबाकर, बाधाओं से मत घबराना, मंज़िल तक दम लेना जाकर, 'गुंजन' छेड़ो तार हृदय का, सुनो मधुर संगीत बजाकर, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #करो  जाल  नहीं  फेंको  घबराकर, 
करो मशक्कत जोर लगाकर, 

दरिया की  मछलियाँ सयानी, 
चल  देती  हैं   चारा  खाकर, 

तोड़   नहीं   पाओगे   बादल, 
बरसेगा  ये  ख़ुद  ही  आकर, 

स्वाभिमान को जिन्दा रखना, 
माया   बन   जायेगी  चाकर, 

आँसू और  मुस्कान  ख़ुशी में, 
मन ही मन मत रखो दबाकर, 

बाधाओं   से   मत   घबराना, 
मंज़िल तक दम लेना जाकर, 

'गुंजन'  छेड़ो  तार  हृदय का, 
सुनो  मधुर  संगीत  बजाकर, 
 ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#करो मशक्कत जोर लगाकर#

12 Love

White जब Relation जबरदस्ती से चलने लगे तो ऐसे Relation को आग लगा देना चाहिये ©Arun kumar

#sad_thoughts  White जब Relation जबरदस्ती 
से चलने लगे 

तो ऐसे Relation को 
आग लगा देना चाहिये

©Arun kumar

#sad_thoughts आग लगा दो

9 Love

White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ... ©Lõkêsh

 White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह  महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ...

©Lõkêsh

शहर…

11 Love

White ये नफरत की आग ही, करे सबको तबाह। पलभर में घर फूंक दे, निकले दिल से आह।। ले जाए जाने कहां, ये नफरत की आग। जाति-धर्म के नाम पर, पड़े दिलों पर दाग।। घृणा द्वेष से पूर्ण क्यूं, मानव अब तो जाग। कर देगी बर्बाद सब,ये नफरत की आग।। -निलम ©Nilam Agarwalla

#कविता #आग  White 
ये नफरत की आग ही, करे सबको तबाह।
पलभर में घर फूंक दे, निकले दिल से आह।।

ले जाए जाने  कहां, ये नफरत की आग।
जाति-धर्म के नाम पर, पड़े दिलों पर दाग।।

घृणा द्वेष से पूर्ण क्यूं, मानव अब तो जाग।
कर देगी बर्बाद सब,ये नफरत की आग।।

 -निलम

©Nilam Agarwalla

#आग

15 Love

White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा... शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#शायरी #GoodMorning  White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा...
शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना...

©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#GoodMorning शहर

14 Love

आग उठती लपटें धुआँ उगलती जब जलती है आग कोई देखकर घेरे उसको कोई रहा है भाग किसी को जीवन दान करे यह किसी को देती कष्ट तपकर कोई स्वर्ण कहलाता कोई होता है नस्ट धधक रही हो अगर हृदय में बनकर के यह ज्वाला खतरोंसे है मनुज खेलता बन जाता मतवाला यही सृजन की जननी बेखुद यही मार्ग विध्वंशक पंच तत्व में शामिल है यह सभी झुकाएँ मस्तक ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #आग  आग

उठती लपटें धुआँ उगलती
जब जलती है आग
कोई देखकर घेरे उसको
कोई रहा है भाग

किसी को जीवन दान करे यह
किसी को देती कष्ट
तपकर कोई स्वर्ण कहलाता
कोई होता है नस्ट

धधक रही हो अगर हृदय में
बनकर के यह ज्वाला
खतरोंसे है मनुज  खेलता
बन जाता मतवाला

यही सृजन की जननी बेखुद
यही मार्ग विध्वंशक
पंच तत्व में शामिल है यह
सभी झुकाएँ मस्तक

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#आग

11 Love

जाल नहीं फेंको घबराकर, करो मशक्कत जोर लगाकर, दरिया की मछलियाँ सयानी, चल देती हैं चारा खाकर, तोड़ नहीं पाओगे बादल, बरसेगा ये ख़ुद ही आकर, स्वाभिमान को जिन्दा रखना, माया बन जायेगी चाकर, आँसू और मुस्कान ख़ुशी में, मन ही मन मत रखो दबाकर, बाधाओं से मत घबराना, मंज़िल तक दम लेना जाकर, 'गुंजन' छेड़ो तार हृदय का, सुनो मधुर संगीत बजाकर, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #करो  जाल  नहीं  फेंको  घबराकर, 
करो मशक्कत जोर लगाकर, 

दरिया की  मछलियाँ सयानी, 
चल  देती  हैं   चारा  खाकर, 

तोड़   नहीं   पाओगे   बादल, 
बरसेगा  ये  ख़ुद  ही  आकर, 

स्वाभिमान को जिन्दा रखना, 
माया   बन   जायेगी  चाकर, 

आँसू और  मुस्कान  ख़ुशी में, 
मन ही मन मत रखो दबाकर, 

बाधाओं   से   मत   घबराना, 
मंज़िल तक दम लेना जाकर, 

'गुंजन'  छेड़ो  तार  हृदय का, 
सुनो  मधुर  संगीत  बजाकर, 
 ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#करो मशक्कत जोर लगाकर#

12 Love

White जब Relation जबरदस्ती से चलने लगे तो ऐसे Relation को आग लगा देना चाहिये ©Arun kumar

#sad_thoughts  White जब Relation जबरदस्ती 
से चलने लगे 

तो ऐसे Relation को 
आग लगा देना चाहिये

©Arun kumar

#sad_thoughts आग लगा दो

9 Love

White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ... ©Lõkêsh

 White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह  महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ...

©Lõkêsh

शहर…

11 Love

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