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New hindi love poetry by abhash jha Status, Photo, Video

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White नाम नहीं बस वह अनुभव चाहता हूँ जिससे नाम बनाई जाती है यहाँ सीखता रहूँ बस मात्र ये आशीर्वाद चाहता हूँ वो महाविद्या चाहता हूँ मैं ©Bharat Bhushan pathak

#Thinking  White नाम नहीं
बस 
वह अनुभव 
चाहता हूँ 
जिससे
नाम बनाई
जाती
है यहाँ
सीखता
रहूँ 
बस मात्र 
ये
आशीर्वाद चाहता
हूँ
वो महाविद्या 
चाहता 
हूँ मैं

©Bharat Bhushan pathak

#Thinking poetry in hindi hindi poetry hindi poetry on life love poetry in hindi poetry on love

11 Love

अनंग रूप कृष्ण का मयूर पंख सोहता। निकुंज कुंज ग्वाल बाल वेणु तान मोहता।। ©Bharat Bhushan pathak

 अनंग रूप कृष्ण का मयूर पंख सोहता।
निकुंज कुंज ग्वाल बाल वेणु तान मोहता।।

©Bharat Bhushan pathak

love poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love poetry lovers hindi poetry

12 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है। धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।। स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी। पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।। कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा। दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा। तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये। फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।। अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए। मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।। जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा। जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।। अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा। गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा ©Bharat Bhushan pathak

#सप्तश्लोकी_अनुष्टुप_छंद #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है।
धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।।
स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी।
पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।।
कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा।
दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा।
 तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये।
 फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।।
 अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए।
  मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।।
 जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा।
 जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।।
अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा।
 गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा

©Bharat Bhushan pathak

#SunSet #सप्तश्लोकी_अनुष्टुप_छंद love poetry in hindi poetry on love hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi

12 Love

Unsplash एक खामोशी जब. गहरी अता हो... जिस्म मिटे... रूह खुदा हो... ये शोरत,नाम ,मुकाम सभी... मिट्टी, मिट्टी... या फिर धुआ, धुआ हो.. होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... ज़मीन पे तेरे होने पर... आखरी नींद तेरे सोने पर. ©Anudeep

#library  Unsplash एक खामोशी जब.
गहरी अता हो... 
जिस्म मिटे... 
रूह खुदा हो... 

ये  शोरत,नाम ,मुकाम सभी... 
मिट्टी, मिट्टी...
या फिर धुआ, धुआ हो.. 

होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... 
ज़मीन पे तेरे होने पर... 
आखरी नींद तेरे सोने पर.

©Anudeep

#library poetry in hindi love poetry in hindi hindi poetry hindi poetry

21 Love

खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

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11 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

#newday love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry

13 Love

White नाम नहीं बस वह अनुभव चाहता हूँ जिससे नाम बनाई जाती है यहाँ सीखता रहूँ बस मात्र ये आशीर्वाद चाहता हूँ वो महाविद्या चाहता हूँ मैं ©Bharat Bhushan pathak

#Thinking  White नाम नहीं
बस 
वह अनुभव 
चाहता हूँ 
जिससे
नाम बनाई
जाती
है यहाँ
सीखता
रहूँ 
बस मात्र 
ये
आशीर्वाद चाहता
हूँ
वो महाविद्या 
चाहता 
हूँ मैं

©Bharat Bhushan pathak

#Thinking poetry in hindi hindi poetry hindi poetry on life love poetry in hindi poetry on love

11 Love

अनंग रूप कृष्ण का मयूर पंख सोहता। निकुंज कुंज ग्वाल बाल वेणु तान मोहता।। ©Bharat Bhushan pathak

 अनंग रूप कृष्ण का मयूर पंख सोहता।
निकुंज कुंज ग्वाल बाल वेणु तान मोहता।।

©Bharat Bhushan pathak

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है। धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।। स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी। पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।। कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा। दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा। तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये। फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।। अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए। मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।। जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा। जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।। अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा। गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा ©Bharat Bhushan pathak

#सप्तश्लोकी_अनुष्टुप_छंद #SunSet  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी पधारी जो,संग लेकर ठंड है।
धूम यहाँ मचाई ये ,बढ़ गया घमंड है।।
स्वेटर बंद बैगों से,बाहर निकले सभी।
पजामे क्यों रहे बंदी,झट वे निकले तभी।।
कहीं मार न खा जाऊँ,मन विचार ज्यों जगा।
दमदार लड़ाई थी,देख ये ठंड भी भगा।
 तभी फरवरी आई,संग बसंत को लिये।
 फाल्गुन मार्च संगी हो,रंगीन सबको किये।।
 अप्रैल गरमाया है,शिथिल जो पड़े हुए।
  मई आते डरी पृथ्वी,ताप को सहते हुए।।
 जून प्रचंड लू से तो,सहमती धरा सदा।
 जुलाई भींग हर्षाई,मौज चली धरा मना।।
अगस्त भींग ज़ोरों भी,राष्ट्रगीत बजा रहा।
 गुरु को शीश अभी जाके,सितम्बर झुका ज़रा

©Bharat Bhushan pathak

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Unsplash एक खामोशी जब. गहरी अता हो... जिस्म मिटे... रूह खुदा हो... ये शोरत,नाम ,मुकाम सभी... मिट्टी, मिट्टी... या फिर धुआ, धुआ हो.. होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... ज़मीन पे तेरे होने पर... आखरी नींद तेरे सोने पर. ©Anudeep

#library  Unsplash एक खामोशी जब.
गहरी अता हो... 
जिस्म मिटे... 
रूह खुदा हो... 

ये  शोरत,नाम ,मुकाम सभी... 
मिट्टी, मिट्टी...
या फिर धुआ, धुआ हो.. 

होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... 
ज़मीन पे तेरे होने पर... 
आखरी नींद तेरे सोने पर.

©Anudeep

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खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

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11 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

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