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पल्लव की डायरी हँसी खुशी और खेलकूद से मस्ती में हम सब जीते थे बे परवाह होकर जिम्मेदारी से बचते फेमली में आनन्द से रहते थे दादा दादी ताऊ चाचा सब के चेहते हम अपनी जिज्ञासा का समाधान करते थे जरूरत के समय पापा नही डिमांडे दादा दादी से पूरी करते थे नही डरे हम कही पर भी रौब फेमली के बल पर स्कूल और मोहल्लों में रखते थे मगर आज नैनो परिवार डर के साये में रहते है चिड़चिड़े मन बच्चों के रहते दब्बू पन में जीते है घर से बहार निकले नही माँ बाप चिंताओं में रहते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#Internationalfamilyday #कविता  पल्लव की डायरी
हँसी खुशी और खेलकूद से
मस्ती में हम सब जीते थे
बे परवाह होकर जिम्मेदारी से बचते
फेमली में आनन्द से रहते थे
दादा दादी ताऊ चाचा सब के चेहते हम
अपनी जिज्ञासा का समाधान करते थे
जरूरत के समय पापा नही
डिमांडे दादा दादी से पूरी करते थे
नही डरे हम कही पर भी
रौब फेमली के बल पर 
स्कूल और मोहल्लों में रखते थे
मगर आज नैनो परिवार डर के साये में रहते है
चिड़चिड़े मन बच्चों के रहते
दब्बू पन में जीते है
घर से बहार निकले नही
माँ बाप चिंताओं में रहते है
                                        प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Internationalfamilyday दादा दादी सबके चेहते हम

19 Love

शेखर yadav ©Shekhar Yadav

 शेखर yadav

©Shekhar Yadav

माँ की गोद

17 Love

Grandparents say 24-01-2025 जो भूल चुके थे वो हमारा बचपन याद आया , दादी तेरे जाने के बाद अपना आँगन याद आया ! बहुएं तुम्हारी लड़ रहे हैं तुम्हारे अपने बेटों से ,, तुम्हारी लाश जली नहीं है और उन्हें कंगन याद आया..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya

#मिस #SAD  Grandparents say 24-01-2025

जो भूल चुके थे  वो हमारा  बचपन याद आया ,

दादी तेरे जाने के बाद अपना आँगन याद आया !

बहुएं  तुम्हारी  लड़ रहे  हैं तुम्हारे  अपने बेटों से ,,

तुम्हारी लाश जली नहीं है और उन्हें कंगन याद आया..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya

#मिस यु दादी

18 Love

White रस्ते पे आँखों की बिनाई गवां बैठी है माँ, बेटा जो दूर जा बसा, दिल जला बैठी है माँ। दर-ओ-दीवार सुनते हैं फ़साना तन्हाई का, हर कोना तेरे बग़ैर वीरां बना बैठी है माँ। तेरी हँसी की रौशनी से चमकते थे जहाँ, अब उस चिराग़ की लौ बुझा बैठी है माँ। राह ताकते-ताकते धुंधला गई हैं निगाहें, मगर उम्मीद का दिया जला बैठी है माँ। हर सहर तुझसे मिलने की दुआ करती है, शबनम के साथ आँसू बहा बैठी है माँ। क्या तुझे एहसास भी है इस तड़पती रूह का? तुझसे बिछड़के ख़ुद को सज़ा दे बैठी है माँ। अगर कभी लौट आ, तो दर खुले मिलेंगे, तेरे ख़्वाबों का घर अभी बचा बैठी है माँ। 'पूनम' हर दर्द को सीने में छुपा लेती है, बेटे की राह में अपना वजूद मिटा बैठी है माँ। स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली लेखिका समाज सेविका ©meri_lekhni_12

 White रस्ते पे आँखों की बिनाई गवां बैठी है माँ,
बेटा जो दूर जा बसा, दिल जला बैठी है माँ।

दर-ओ-दीवार सुनते हैं फ़साना तन्हाई का,
हर कोना तेरे बग़ैर वीरां बना बैठी है माँ।

तेरी हँसी की रौशनी से चमकते थे जहाँ,
अब उस चिराग़ की लौ बुझा बैठी है माँ।

राह ताकते-ताकते धुंधला गई हैं निगाहें,
मगर उम्मीद का दिया जला बैठी है माँ।

हर सहर तुझसे मिलने की दुआ करती है,
शबनम के साथ आँसू बहा बैठी है माँ।

क्या तुझे एहसास भी है इस तड़पती रूह का?
तुझसे बिछड़के ख़ुद को सज़ा दे बैठी है माँ।

अगर कभी लौट आ, तो दर खुले मिलेंगे,
तेरे ख़्वाबों का घर अभी बचा बैठी है माँ।

'पूनम' हर दर्द को सीने में छुपा लेती है,
बेटे की राह में अपना वजूद मिटा बैठी है माँ।

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 

पूनम सिंह भदौरिया 
दिल्ली 
लेखिका 
समाज सेविका

©meri_lekhni_12

माँ /मेरी माँ

7 Love

White आंख अपनी उम्र भर रोती रही रोज दाने खेत में बोती रही, आश के दीपक सदा ढोती रही।। फेर नजरें वक्त है चलता बना, आंख अपनी उम्र भर रोती रही।। हाथ में मद से भरा प्याला लिए, दौलतें मां बाप की सोती रही।। दोस्ती हमसे सभी करते चले, दुश्मनी है मीत गल जोती रही।। थे बिना पूंजी हर्ष दिन भले, बिछ गई बिस्तर तले थोती रही।। ©RJ VAIRAGYA

#rjvairagyasharma #rjharshsharma #sad_qoute  White आंख अपनी उम्र भर रोती रही

रोज दाने खेत में बोती रही,
आश के दीपक सदा ढोती रही।।

फेर नजरें वक्त है चलता बना,
आंख अपनी उम्र भर रोती रही।।

हाथ में मद से भरा प्याला लिए,
दौलतें मां बाप की सोती रही।।

दोस्ती हमसे सभी करते चले,
दुश्मनी है मीत गल जोती रही।।

थे बिना पूंजी हर्ष दिन भले,
बिछ गई बिस्तर तले थोती रही।।

©RJ VAIRAGYA

#sad_qoute त्रिलोचन जी की कविता है #rjharshsharma #rjvairagyasharma

13 Love

White *माँ* माता के जैसा नहीं,जग में कोई और। खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।। हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा। जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।। माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता। देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।। ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह। पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।। वारे अपनी देह,आप गीले में सोती। चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।। जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता। झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।। स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

#मोटिवेशनल #कविता #ममता #माँ  White 
 *माँ*

माता के जैसा नहीं,जग में कोई और।
खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।।
हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा।
जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।।
माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता।
देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।।

ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह।
पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।।
वारे अपनी देह,आप गीले में सोती।
चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।।
जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता।
झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।।

     स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                      उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

पल्लव की डायरी हँसी खुशी और खेलकूद से मस्ती में हम सब जीते थे बे परवाह होकर जिम्मेदारी से बचते फेमली में आनन्द से रहते थे दादा दादी ताऊ चाचा सब के चेहते हम अपनी जिज्ञासा का समाधान करते थे जरूरत के समय पापा नही डिमांडे दादा दादी से पूरी करते थे नही डरे हम कही पर भी रौब फेमली के बल पर स्कूल और मोहल्लों में रखते थे मगर आज नैनो परिवार डर के साये में रहते है चिड़चिड़े मन बच्चों के रहते दब्बू पन में जीते है घर से बहार निकले नही माँ बाप चिंताओं में रहते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#Internationalfamilyday #कविता  पल्लव की डायरी
हँसी खुशी और खेलकूद से
मस्ती में हम सब जीते थे
बे परवाह होकर जिम्मेदारी से बचते
फेमली में आनन्द से रहते थे
दादा दादी ताऊ चाचा सब के चेहते हम
अपनी जिज्ञासा का समाधान करते थे
जरूरत के समय पापा नही
डिमांडे दादा दादी से पूरी करते थे
नही डरे हम कही पर भी
रौब फेमली के बल पर 
स्कूल और मोहल्लों में रखते थे
मगर आज नैनो परिवार डर के साये में रहते है
चिड़चिड़े मन बच्चों के रहते
दब्बू पन में जीते है
घर से बहार निकले नही
माँ बाप चिंताओं में रहते है
                                        प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Internationalfamilyday दादा दादी सबके चेहते हम

19 Love

शेखर yadav ©Shekhar Yadav

 शेखर yadav

©Shekhar Yadav

माँ की गोद

17 Love

Grandparents say 24-01-2025 जो भूल चुके थे वो हमारा बचपन याद आया , दादी तेरे जाने के बाद अपना आँगन याद आया ! बहुएं तुम्हारी लड़ रहे हैं तुम्हारे अपने बेटों से ,, तुम्हारी लाश जली नहीं है और उन्हें कंगन याद आया..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya

#मिस #SAD  Grandparents say 24-01-2025

जो भूल चुके थे  वो हमारा  बचपन याद आया ,

दादी तेरे जाने के बाद अपना आँगन याद आया !

बहुएं  तुम्हारी  लड़ रहे  हैं तुम्हारे  अपने बेटों से ,,

तुम्हारी लाश जली नहीं है और उन्हें कंगन याद आया..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya

#मिस यु दादी

18 Love

White रस्ते पे आँखों की बिनाई गवां बैठी है माँ, बेटा जो दूर जा बसा, दिल जला बैठी है माँ। दर-ओ-दीवार सुनते हैं फ़साना तन्हाई का, हर कोना तेरे बग़ैर वीरां बना बैठी है माँ। तेरी हँसी की रौशनी से चमकते थे जहाँ, अब उस चिराग़ की लौ बुझा बैठी है माँ। राह ताकते-ताकते धुंधला गई हैं निगाहें, मगर उम्मीद का दिया जला बैठी है माँ। हर सहर तुझसे मिलने की दुआ करती है, शबनम के साथ आँसू बहा बैठी है माँ। क्या तुझे एहसास भी है इस तड़पती रूह का? तुझसे बिछड़के ख़ुद को सज़ा दे बैठी है माँ। अगर कभी लौट आ, तो दर खुले मिलेंगे, तेरे ख़्वाबों का घर अभी बचा बैठी है माँ। 'पूनम' हर दर्द को सीने में छुपा लेती है, बेटे की राह में अपना वजूद मिटा बैठी है माँ। स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली लेखिका समाज सेविका ©meri_lekhni_12

 White रस्ते पे आँखों की बिनाई गवां बैठी है माँ,
बेटा जो दूर जा बसा, दिल जला बैठी है माँ।

दर-ओ-दीवार सुनते हैं फ़साना तन्हाई का,
हर कोना तेरे बग़ैर वीरां बना बैठी है माँ।

तेरी हँसी की रौशनी से चमकते थे जहाँ,
अब उस चिराग़ की लौ बुझा बैठी है माँ।

राह ताकते-ताकते धुंधला गई हैं निगाहें,
मगर उम्मीद का दिया जला बैठी है माँ।

हर सहर तुझसे मिलने की दुआ करती है,
शबनम के साथ आँसू बहा बैठी है माँ।

क्या तुझे एहसास भी है इस तड़पती रूह का?
तुझसे बिछड़के ख़ुद को सज़ा दे बैठी है माँ।

अगर कभी लौट आ, तो दर खुले मिलेंगे,
तेरे ख़्वाबों का घर अभी बचा बैठी है माँ।

'पूनम' हर दर्द को सीने में छुपा लेती है,
बेटे की राह में अपना वजूद मिटा बैठी है माँ।

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 

पूनम सिंह भदौरिया 
दिल्ली 
लेखिका 
समाज सेविका

©meri_lekhni_12

माँ /मेरी माँ

7 Love

White आंख अपनी उम्र भर रोती रही रोज दाने खेत में बोती रही, आश के दीपक सदा ढोती रही।। फेर नजरें वक्त है चलता बना, आंख अपनी उम्र भर रोती रही।। हाथ में मद से भरा प्याला लिए, दौलतें मां बाप की सोती रही।। दोस्ती हमसे सभी करते चले, दुश्मनी है मीत गल जोती रही।। थे बिना पूंजी हर्ष दिन भले, बिछ गई बिस्तर तले थोती रही।। ©RJ VAIRAGYA

#rjvairagyasharma #rjharshsharma #sad_qoute  White आंख अपनी उम्र भर रोती रही

रोज दाने खेत में बोती रही,
आश के दीपक सदा ढोती रही।।

फेर नजरें वक्त है चलता बना,
आंख अपनी उम्र भर रोती रही।।

हाथ में मद से भरा प्याला लिए,
दौलतें मां बाप की सोती रही।।

दोस्ती हमसे सभी करते चले,
दुश्मनी है मीत गल जोती रही।।

थे बिना पूंजी हर्ष दिन भले,
बिछ गई बिस्तर तले थोती रही।।

©RJ VAIRAGYA

#sad_qoute त्रिलोचन जी की कविता है #rjharshsharma #rjvairagyasharma

13 Love

White *माँ* माता के जैसा नहीं,जग में कोई और। खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।। हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा। जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।। माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता। देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।। ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह। पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।। वारे अपनी देह,आप गीले में सोती। चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।। जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता। झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।। स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

#मोटिवेशनल #कविता #ममता #माँ  White 
 *माँ*

माता के जैसा नहीं,जग में कोई और।
खुद भूखी प्यासी रहे, हमें खिलाए कौर।।
हमें खिलाए कौर, नहीं माता सम दूजा।
जननी को प्रभु मान,करो तुम विधिवत् पूजा।।
माँ बेटे का यहाँ,जगत में सुन्दर नाता।
देवों से भी बड़ी,लोक में होती माता।।

ममता अंतस में भरी, करे पुत्र को नेह।
पालन पोषण के लिए,वारे अपनी देह।।
वारे अपनी देह,आप गीले में सोती।
चलती नंगे पाव, पुत्र को सर पर ढोती।।
जग में माँ की तरह, नहीं दूजे में समता।
झुकता सबका शीश,देख माता की ममता।।

     स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम"
                                      उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
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