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#भक्ति #शक्ति #आत्म #प्रेम

171 View

पल्लव की डायरी आत्मनिर्भय कैसे बनते झूठ का यहाँ कारोबार है आपदाओं को अवसर बनाने की होड़ सियासतों के रोज लगते दाँव है आत्मसम्मान सब का खो रहा किस्मत आजमाने का नही मार्ग है फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया समस्याओं का खड़ा पहाड़ है सच्चाई की फजीहत हो गयी गुमराह सारा जहान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #motivate  पल्लव की डायरी
आत्मनिर्भय कैसे बनते
झूठ का यहाँ कारोबार है
आपदाओं को अवसर बनाने की होड़
सियासतों के रोज लगते दाँव है
आत्मसम्मान सब का खो रहा
किस्मत आजमाने का नही मार्ग है
फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया
समस्याओं का खड़ा पहाड़ है
सच्चाई की फजीहत हो गयी
गुमराह सारा जहान है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#motivate आत्म निर्भर कैसे बनते

21 Love

Unsplash "खामोशी का आईना" शहर की भीड़ से, कहीं दूर, सुकून के पल तलाशता हूं, शोरगुल की आगोश में खोया हुआ, मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं। न जाने कब और कहां, मेरे खयालों का जहां मिल जाए, इस उम्मीद में, खामोशी का आईना तलाशता हूं। ©Sandeep Kothar

#मानसिकस्वास्थ्य #आत्मविश्वास #सुकूनकीतलाश #जीवनयात्रा #आत्मज्ञान #मोटिवेशनल  Unsplash "खामोशी का आईना"

शहर की भीड़ से, कहीं दूर,
सुकून के पल तलाशता हूं,
शोरगुल की आगोश में खोया हुआ,
मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं।

न जाने कब और कहां,
मेरे खयालों का जहां मिल जाए,
इस उम्मीद में,
खामोशी का आईना तलाशता हूं।

©Sandeep Kothar

प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़

19 Love

एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं बसाती बच्ची की देखभाल और carrier की खातिर कठिन मेहनत करती हैं मर्द समाज क़ो देखता हैं पर औरत के प्यार क़ो नहीं पहचान पाता हाथ उठा कर मर्द बनता हैं ऐसे मर्द एकाकी जीवन जीते हैं.... ©puja udeshi

 एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके 
आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची 
के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर 
बनने वो दुबारा घर भी नहीं बसाती बच्ची की 
देखभाल और carrier की खातिर कठिन मेहनत करती हैं मर्द समाज क़ो देखता हैं पर औरत के प्यार क़ो नहीं पहचान पाता 
हाथ उठा कर मर्द बनता हैं ऐसे मर्द एकाकी जीवन जीते हैं....

©puja udeshi

एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं

28 Love

#भक्ति #शक्ति #आत्म #प्रेम

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पल्लव की डायरी आत्मनिर्भय कैसे बनते झूठ का यहाँ कारोबार है आपदाओं को अवसर बनाने की होड़ सियासतों के रोज लगते दाँव है आत्मसम्मान सब का खो रहा किस्मत आजमाने का नही मार्ग है फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया समस्याओं का खड़ा पहाड़ है सच्चाई की फजीहत हो गयी गुमराह सारा जहान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #motivate  पल्लव की डायरी
आत्मनिर्भय कैसे बनते
झूठ का यहाँ कारोबार है
आपदाओं को अवसर बनाने की होड़
सियासतों के रोज लगते दाँव है
आत्मसम्मान सब का खो रहा
किस्मत आजमाने का नही मार्ग है
फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया
समस्याओं का खड़ा पहाड़ है
सच्चाई की फजीहत हो गयी
गुमराह सारा जहान है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#motivate आत्म निर्भर कैसे बनते

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Unsplash "खामोशी का आईना" शहर की भीड़ से, कहीं दूर, सुकून के पल तलाशता हूं, शोरगुल की आगोश में खोया हुआ, मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं। न जाने कब और कहां, मेरे खयालों का जहां मिल जाए, इस उम्मीद में, खामोशी का आईना तलाशता हूं। ©Sandeep Kothar

#मानसिकस्वास्थ्य #आत्मविश्वास #सुकूनकीतलाश #जीवनयात्रा #आत्मज्ञान #मोटिवेशनल  Unsplash "खामोशी का आईना"

शहर की भीड़ से, कहीं दूर,
सुकून के पल तलाशता हूं,
शोरगुल की आगोश में खोया हुआ,
मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं।

न जाने कब और कहां,
मेरे खयालों का जहां मिल जाए,
इस उम्मीद में,
खामोशी का आईना तलाशता हूं।

©Sandeep Kothar

प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़

19 Love

एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं बसाती बच्ची की देखभाल और carrier की खातिर कठिन मेहनत करती हैं मर्द समाज क़ो देखता हैं पर औरत के प्यार क़ो नहीं पहचान पाता हाथ उठा कर मर्द बनता हैं ऐसे मर्द एकाकी जीवन जीते हैं.... ©puja udeshi

 एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके 
आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची 
के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर 
बनने वो दुबारा घर भी नहीं बसाती बच्ची की 
देखभाल और carrier की खातिर कठिन मेहनत करती हैं मर्द समाज क़ो देखता हैं पर औरत के प्यार क़ो नहीं पहचान पाता 
हाथ उठा कर मर्द बनता हैं ऐसे मर्द एकाकी जीवन जीते हैं....

©puja udeshi

एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं

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