एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके
आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची
के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर
बनने वो दुबारा घर भी नहीं बसाती बच्ची की
देखभाल और carrier की खातिर कठिन मेहनत करती हैं मर्द समाज क़ो देखता हैं पर औरत के प्यार क़ो नहीं पहचान पाता
हाथ उठा कर मर्द बनता हैं ऐसे मर्द एकाकी जीवन जीते हैं....
©puja udeshi
एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके
आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची
के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर
बनने वो दुबारा घर भी नहीं बसाती बच्ची की
देखभाल और carrier की खातिर कठिन मेहनत करती हैं मर्द समाज क़ो देखता हैं पर औरत के प्यार क़ो नहीं पहचान पाता
हाथ उठा कर मर्द बनता हैं ऐसे मर्द एकाकी जीवन जीते हैं....