Unsplash "खामोशी का आईना"
शहर की भीड़ से, कहीं दूर,
सुकून के पल तलाशता हूं,
शोरगुल की आगोश में खोया हुआ,
मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं।
न जाने कब और कहां,
मेरे खयालों का जहां मिल जाए,
इस उम्मीद में,
खामोशी का आईना तलाशता हूं।
©Sandeep Kothar
प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़ और शोरगुल से दूर सुकून और शांति की तलाश में है।
मैं आपको बताना चाहता हूं कि हम सभी इस जीवन में अपने आप को ढूंढने की यात्रा पर हैं। हमें अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहार को समझने में मदद मिलती है, जिससे हम अपने जीवन में सुधार कर सकते हैं।
मेरी कविता आपको अपने आप को समझने और अपने जीवन में सुधार करने के लिए प्रेरित करती है। यह आपको अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी और आपको अपने जीवन को सुकून और शांति से भरने में मदद करेगी।
*कविता के मुख्य बिंदु*