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आज ये मज़हब और इंसान जैसे दबा-दबा सा है चंद फ़रेबीयों और मक्कारों के नापाक वज़न से दंगे करवा कर मकानों का फ़ैलाया मलबा सा है इन्हें कोई मतलब ही नही इंसानियत और वतन से ©अदनासा-

#फ़रेबीयों #इंसानियत #मक्कारों #अदनासा #हिंदी #शायरी  आज  ये मज़हब और  इंसान जैसे  दबा-दबा सा है
चंद फ़रेबीयों  और  मक्कारों  के  नापाक वज़न से
दंगे  करवा कर  मकानों  का फ़ैलाया  मलबा सा है
इन्हें कोई मतलब ही नही  इंसानियत और वतन से

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/6RPsewRXA #हिंदी #मज़हब #इंसानियत #नापाक #मक्कारों #फ़रेबीयों #वतन #वज़न #Pinterest #अद

23 Love

White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
कब छटेगे दुविधाओं के बादल
साफ कभी अरमानो का आसमान होगा
खता हमने कुछ की नही
फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है
कण कण में भगवान रहते
फिर सर्वे कर गुमराह कियो है
सियासी दाँव मजहब बन गया
इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा

29 Love

ये दौर है या इंसानियत का जनाजा, जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा। सच का चेहरा धुंध में गुम सा है, हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है। मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में, अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में। हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया, सच और झूठ का फर्क मिटा दिया। खून पसीने से जो पहचान बनाई थी, आज उसी पर सौदे की बारी आई थी। वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम, अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम। ©नवनीत ठाकुर

#इंसानियत #शायरी  ये दौर है या इंसानियत का जनाजा,
जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा।
सच का चेहरा धुंध में गुम सा है,
हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है।

मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में,
अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में।
हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया,
सच और झूठ का फर्क मिटा दिया।


खून पसीने से जो पहचान बनाई थी,
आज उसी पर सौदे की बारी आई थी।
वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम,
अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम।

©नवनीत ठाकुर

#इंसानियत का ज़नाजा

17 Love

......... . ©Rajesh Arora

#शायरी  ......... .

©Rajesh Arora

शायरी शायरी दोस्ती शायरी लव शायरी हिंदी शायरी शायरी लव रोमांटिक

19 Love

#Motivational

इंसानियत सबसे बड़ी चीज है

198 View

#मौहम्मद_इब्राहीम_सुल्तान_मिर्जा #mohammad_ibraheem_sultan_mirza #मोटिवेशनल #इंसानियत #islamic_videos_deeniyat

आज ये मज़हब और इंसान जैसे दबा-दबा सा है चंद फ़रेबीयों और मक्कारों के नापाक वज़न से दंगे करवा कर मकानों का फ़ैलाया मलबा सा है इन्हें कोई मतलब ही नही इंसानियत और वतन से ©अदनासा-

#फ़रेबीयों #इंसानियत #मक्कारों #अदनासा #हिंदी #शायरी  आज  ये मज़हब और  इंसान जैसे  दबा-दबा सा है
चंद फ़रेबीयों  और  मक्कारों  के  नापाक वज़न से
दंगे  करवा कर  मकानों  का फ़ैलाया  मलबा सा है
इन्हें कोई मतलब ही नही  इंसानियत और वतन से

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/6RPsewRXA #हिंदी #मज़हब #इंसानियत #नापाक #मक्कारों #फ़रेबीयों #वतन #वज़न #Pinterest #अद

23 Love

White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
कब छटेगे दुविधाओं के बादल
साफ कभी अरमानो का आसमान होगा
खता हमने कुछ की नही
फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है
कण कण में भगवान रहते
फिर सर्वे कर गुमराह कियो है
सियासी दाँव मजहब बन गया
इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा

29 Love

ये दौर है या इंसानियत का जनाजा, जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा। सच का चेहरा धुंध में गुम सा है, हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है। मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में, अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में। हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया, सच और झूठ का फर्क मिटा दिया। खून पसीने से जो पहचान बनाई थी, आज उसी पर सौदे की बारी आई थी। वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम, अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम। ©नवनीत ठाकुर

#इंसानियत #शायरी  ये दौर है या इंसानियत का जनाजा,
जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा।
सच का चेहरा धुंध में गुम सा है,
हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है।

मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में,
अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में।
हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया,
सच और झूठ का फर्क मिटा दिया।


खून पसीने से जो पहचान बनाई थी,
आज उसी पर सौदे की बारी आई थी।
वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम,
अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम।

©नवनीत ठाकुर

#इंसानियत का ज़नाजा

17 Love

......... . ©Rajesh Arora

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©Rajesh Arora

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इंसानियत सबसे बड़ी चीज है

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