आज ये मज़हब और इंसान जैसे दबा-दबा सा है चंद फ़रेबीयों और मक्कारों के नापाक वज़न से दंगे करवा कर मकानों का फ़ैलाया मलबा सा है इन्हें कोई मतलब ही नही.
1 Stories
17 Love
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here