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White बहौत सालों बाद लिख रहा हूं यारों... पर ये सोचकर रुक जाता hun कि konsa किशा लिखूं ©Bhomsha oad

#शायरी #यादें  White बहौत सालों बाद लिख रहा हूं यारों... पर ये सोचकर रुक जाता hun कि konsa किशा लिखूं

©Bhomsha oad

कुछ लोगों का व्यक्तित्व रोजमर्रा काम करते हुए भी खास छाप छोड़ जाता है।         ऐसा ही व्यक्तित्व था किशोर कुमार सारस्वत,रतनगढ ( किशोर )काउंटर कैशियर  का। वह जब लेन-देन के समय नोट गिनता था  तो उसकी बोडी में  एक आकर्षक लय पैदा होती थी और मैं उसको देख कर आनंदित होता था। यों  लगता था जैसे यह पैसे गिनने की  मशीन ही है । वह अपने काम को आन्दित होकर करता था और जैसे ही उसके पास लाईन कम होती तो दूसरी लाईन में दूर खड़े ग्राहक को आवाज देकर अपनी लाईन में बुला लेता था । हमेशा चेहरे पर एक ताजगी भरी मुस्कराहट रहती थी। सब से हंस कर उनकी बात सुनता और यथासंभव समस्या का हल भी बताता था। आज भी मैं जब भी किसी बैंक में जाता हूं तो हर‌ काउंटर पर नजर डालता हूं कि क्या पता कहीं कोई किशोर जैसा दिख जाये।। ©Mohan Sardarshahari

#विचार  कुछ लोगों का व्यक्तित्व रोजमर्रा काम करते हुए भी खास छाप छोड़ जाता है।
        ऐसा ही व्यक्तित्व था किशोर कुमार सारस्वत,रतनगढ ( किशोर )काउंटर कैशियर  का। वह जब लेन-देन के समय नोट गिनता था  तो उसकी बोडी में  एक आकर्षक लय पैदा होती थी और मैं उसको देख कर आनंदित होता था। यों  लगता था जैसे यह पैसे गिनने की  मशीन ही है । वह अपने काम को आन्दित होकर करता था और जैसे ही उसके पास लाईन कम होती तो दूसरी लाईन में दूर खड़े ग्राहक को आवाज देकर अपनी लाईन में बुला लेता था । हमेशा चेहरे पर एक ताजगी भरी मुस्कराहट रहती थी। सब से हंस कर उनकी बात सुनता और यथासंभव समस्या का हल भी बताता था। आज भी मैं जब भी किसी बैंक में जाता हूं तो हर‌ काउंटर पर नजर डालता हूं कि क्या पता कहीं कोई किशोर जैसा दिख जाये।।

©Mohan Sardarshahari

कोई किशोर जैसा दिख जाये

13 Love

White कुछ लोग कुछ रिश्ते, हमारे हाथों में नही होते, हां हम उन्हे चाहते हैं बहुत, मगर कह नही सकते, बता नही सकते, जता नही सकते, बस अच्छा लगता है, उन्हें आस पास देखना, महसूस करना .... हां मुमकिन नही होता उनसे हर बात कहना, मगर एक आस होती है कि, वो कभी मजाक में ही पूछे तो सही कि कुछ कहना तो नही... हम संभालकर,सहेजकर रखना चाहते हैं, हमेशा के लिए उन्हें, खुद के बहुत पास, इतना की उनकी खुशी और तकलीफ का एहसास भी, हमे बिना कहे हो जाए, डर भी लगता है कि, हमारा इतना लगाव कहीं, उन्हें हमसे दूर न कर दे , हां अच्छा लगता है उनकी खुशी के लिए, दुआ करना,उन्हे खुश देखना, वैसे तो बिछड़ना रीत है दुनिया की, मगर फिर भी इक आस रहती है कि वो नही बिछड़ेंगे कभी, शायद कहीं तो,कुछ मायने रखते होंगे हम भी, थोड़ा ही सही,थोड़ी तो हमारी कद्र भी होगी, कि हम जैसा फिर कोई शायद ही मिले, फिर कभी... ©पूर्वार्थ

#यादें  White कुछ लोग 
कुछ रिश्ते,
हमारे हाथों में नही होते,
हां हम उन्हे चाहते हैं बहुत,
मगर कह नही सकते,
बता नही सकते, जता नही सकते,
बस अच्छा लगता है,
उन्हें आस पास देखना,
महसूस करना ....
हां मुमकिन नही होता उनसे हर बात कहना,
मगर एक आस होती है कि,
वो कभी मजाक में ही पूछे तो सही
कि कुछ कहना तो नही...
हम संभालकर,सहेजकर रखना चाहते हैं,
हमेशा के लिए उन्हें,
खुद के बहुत पास,
इतना की उनकी खुशी और तकलीफ का एहसास भी,
हमे बिना कहे हो जाए,
डर भी लगता है कि,
हमारा इतना लगाव कहीं,
उन्हें हमसे दूर न कर दे ,
हां अच्छा लगता है उनकी खुशी के लिए,
दुआ करना,उन्हे खुश देखना,
वैसे तो बिछड़ना रीत है दुनिया की,
मगर फिर भी इक आस रहती है कि
वो नही बिछड़ेंगे कभी,
शायद कहीं तो,कुछ मायने रखते होंगे हम भी,
थोड़ा ही सही,थोड़ी तो हमारी कद्र भी होगी,
कि हम जैसा फिर कोई शायद ही मिले,
फिर कभी...

©पूर्वार्थ
#शायरी

बदलते दौर में हमारी पुरानी यादें यादगार रहेगी जैसे हमारा रिश्ता कल था वैसे हि आज रहेगी

54 View

#कोट्स

बचपन की यादें......

432 View

बचपन की यादें..

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White बहौत सालों बाद लिख रहा हूं यारों... पर ये सोचकर रुक जाता hun कि konsa किशा लिखूं ©Bhomsha oad

#शायरी #यादें  White बहौत सालों बाद लिख रहा हूं यारों... पर ये सोचकर रुक जाता hun कि konsa किशा लिखूं

©Bhomsha oad

कुछ लोगों का व्यक्तित्व रोजमर्रा काम करते हुए भी खास छाप छोड़ जाता है।         ऐसा ही व्यक्तित्व था किशोर कुमार सारस्वत,रतनगढ ( किशोर )काउंटर कैशियर  का। वह जब लेन-देन के समय नोट गिनता था  तो उसकी बोडी में  एक आकर्षक लय पैदा होती थी और मैं उसको देख कर आनंदित होता था। यों  लगता था जैसे यह पैसे गिनने की  मशीन ही है । वह अपने काम को आन्दित होकर करता था और जैसे ही उसके पास लाईन कम होती तो दूसरी लाईन में दूर खड़े ग्राहक को आवाज देकर अपनी लाईन में बुला लेता था । हमेशा चेहरे पर एक ताजगी भरी मुस्कराहट रहती थी। सब से हंस कर उनकी बात सुनता और यथासंभव समस्या का हल भी बताता था। आज भी मैं जब भी किसी बैंक में जाता हूं तो हर‌ काउंटर पर नजर डालता हूं कि क्या पता कहीं कोई किशोर जैसा दिख जाये।। ©Mohan Sardarshahari

#विचार  कुछ लोगों का व्यक्तित्व रोजमर्रा काम करते हुए भी खास छाप छोड़ जाता है।
        ऐसा ही व्यक्तित्व था किशोर कुमार सारस्वत,रतनगढ ( किशोर )काउंटर कैशियर  का। वह जब लेन-देन के समय नोट गिनता था  तो उसकी बोडी में  एक आकर्षक लय पैदा होती थी और मैं उसको देख कर आनंदित होता था। यों  लगता था जैसे यह पैसे गिनने की  मशीन ही है । वह अपने काम को आन्दित होकर करता था और जैसे ही उसके पास लाईन कम होती तो दूसरी लाईन में दूर खड़े ग्राहक को आवाज देकर अपनी लाईन में बुला लेता था । हमेशा चेहरे पर एक ताजगी भरी मुस्कराहट रहती थी। सब से हंस कर उनकी बात सुनता और यथासंभव समस्या का हल भी बताता था। आज भी मैं जब भी किसी बैंक में जाता हूं तो हर‌ काउंटर पर नजर डालता हूं कि क्या पता कहीं कोई किशोर जैसा दिख जाये।।

©Mohan Sardarshahari

कोई किशोर जैसा दिख जाये

13 Love

White कुछ लोग कुछ रिश्ते, हमारे हाथों में नही होते, हां हम उन्हे चाहते हैं बहुत, मगर कह नही सकते, बता नही सकते, जता नही सकते, बस अच्छा लगता है, उन्हें आस पास देखना, महसूस करना .... हां मुमकिन नही होता उनसे हर बात कहना, मगर एक आस होती है कि, वो कभी मजाक में ही पूछे तो सही कि कुछ कहना तो नही... हम संभालकर,सहेजकर रखना चाहते हैं, हमेशा के लिए उन्हें, खुद के बहुत पास, इतना की उनकी खुशी और तकलीफ का एहसास भी, हमे बिना कहे हो जाए, डर भी लगता है कि, हमारा इतना लगाव कहीं, उन्हें हमसे दूर न कर दे , हां अच्छा लगता है उनकी खुशी के लिए, दुआ करना,उन्हे खुश देखना, वैसे तो बिछड़ना रीत है दुनिया की, मगर फिर भी इक आस रहती है कि वो नही बिछड़ेंगे कभी, शायद कहीं तो,कुछ मायने रखते होंगे हम भी, थोड़ा ही सही,थोड़ी तो हमारी कद्र भी होगी, कि हम जैसा फिर कोई शायद ही मिले, फिर कभी... ©पूर्वार्थ

#यादें  White कुछ लोग 
कुछ रिश्ते,
हमारे हाथों में नही होते,
हां हम उन्हे चाहते हैं बहुत,
मगर कह नही सकते,
बता नही सकते, जता नही सकते,
बस अच्छा लगता है,
उन्हें आस पास देखना,
महसूस करना ....
हां मुमकिन नही होता उनसे हर बात कहना,
मगर एक आस होती है कि,
वो कभी मजाक में ही पूछे तो सही
कि कुछ कहना तो नही...
हम संभालकर,सहेजकर रखना चाहते हैं,
हमेशा के लिए उन्हें,
खुद के बहुत पास,
इतना की उनकी खुशी और तकलीफ का एहसास भी,
हमे बिना कहे हो जाए,
डर भी लगता है कि,
हमारा इतना लगाव कहीं,
उन्हें हमसे दूर न कर दे ,
हां अच्छा लगता है उनकी खुशी के लिए,
दुआ करना,उन्हे खुश देखना,
वैसे तो बिछड़ना रीत है दुनिया की,
मगर फिर भी इक आस रहती है कि
वो नही बिछड़ेंगे कभी,
शायद कहीं तो,कुछ मायने रखते होंगे हम भी,
थोड़ा ही सही,थोड़ी तो हमारी कद्र भी होगी,
कि हम जैसा फिर कोई शायद ही मिले,
फिर कभी...

©पूर्वार्थ
#शायरी

बदलते दौर में हमारी पुरानी यादें यादगार रहेगी जैसे हमारा रिश्ता कल था वैसे हि आज रहेगी

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#कोट्स

बचपन की यादें......

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बचपन की यादें..

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