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पल्लव की डायरी आत्मनिर्भय कैसे बनते झूठ का यहाँ कारोबार है आपदाओं को अवसर बनाने की होड़ सियासतों के रोज लगते दाँव है आत्मसम्मान सब का खो रहा किस्मत आजमाने का नही मार्ग है फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया समस्याओं का खड़ा पहाड़ है सच्चाई की फजीहत हो गयी गुमराह सारा जहान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #motivate  पल्लव की डायरी
आत्मनिर्भय कैसे बनते
झूठ का यहाँ कारोबार है
आपदाओं को अवसर बनाने की होड़
सियासतों के रोज लगते दाँव है
आत्मसम्मान सब का खो रहा
किस्मत आजमाने का नही मार्ग है
फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया
समस्याओं का खड़ा पहाड़ है
सच्चाई की फजीहत हो गयी
गुमराह सारा जहान है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#motivate आत्म निर्भर कैसे बनते

19 Love

Unsplash रिश्तों की अनुभूति जगत में, बीज खुशी के बोती है। फसलें उगती अपनेपन की, मन की पीड़ा खोती है। मत रखना मन में बैर कभी, छोटी छोटी बातों पर तन्हाई से लीपट के फिर, आंखें अपनी रोती है।। निलम अग्रवाला ©Nilam Agarwalla

#रिश्ते #कविता  Unsplash 
रिश्तों की अनुभूति जगत में, बीज खुशी के बोती है।
फसलें उगती अपनेपन की, मन की पीड़ा खोती है।
मत रखना मन में बैर कभी, छोटी छोटी बातों पर
तन्हाई से लीपट के फिर, आंखें अपनी रोती है।।
निलम अग्रवाला

©Nilam Agarwalla
#मोटिवेशनल #रिश्ते  रिश्ते कुछ छट गए कुछ अपने बच गए रिश्ते छट गए कुछ अपने बच गए

रिश्ते आजीवन हम सभी बनाते तरह तरह के रिश्ते इन रिश्तों के बीच में पड़कर हरदम रहते पिसते किसी से सुख मिलता है हमको किसी से मिलता दुःख अलग अलग रिश्तों पर अपना रोज बदलता रुख कोई रिश्ता नया बनाते मिलती हमे मिठास लेकिन जब जर्जर हो जाता नहीं फटकते पास बेखुद कोई दोस्त है बनता कोई बनता दुस्मन बिन रिश्तों के रूप कई हैं टूटें जब होता गम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#रिश्ते #कविता  रिश्ते
आजीवन हम सभी बनाते
तरह तरह के रिश्ते
इन रिश्तों के बीच में पड़कर
हरदम रहते पिसते

किसी से सुख मिलता है हमको
किसी से मिलता दुःख
अलग अलग रिश्तों पर अपना
रोज बदलता रुख

कोई रिश्ता नया बनाते
मिलती हमे मिठास
लेकिन जब जर्जर हो जाता
नहीं फटकते पास

बेखुद कोई दोस्त है बनता
कोई  बनता दुस्मन
बिन रिश्तों के रूप कई हैं
टूटें जब होता गम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

पल्लव की डायरी आत्मनिर्भय कैसे बनते झूठ का यहाँ कारोबार है आपदाओं को अवसर बनाने की होड़ सियासतों के रोज लगते दाँव है आत्मसम्मान सब का खो रहा किस्मत आजमाने का नही मार्ग है फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया समस्याओं का खड़ा पहाड़ है सच्चाई की फजीहत हो गयी गुमराह सारा जहान है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #motivate  पल्लव की डायरी
आत्मनिर्भय कैसे बनते
झूठ का यहाँ कारोबार है
आपदाओं को अवसर बनाने की होड़
सियासतों के रोज लगते दाँव है
आत्मसम्मान सब का खो रहा
किस्मत आजमाने का नही मार्ग है
फरेबों और झूठो ने गठ जोड़ बना लिया
समस्याओं का खड़ा पहाड़ है
सच्चाई की फजीहत हो गयी
गुमराह सारा जहान है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#motivate आत्म निर्भर कैसे बनते

19 Love

Unsplash रिश्तों की अनुभूति जगत में, बीज खुशी के बोती है। फसलें उगती अपनेपन की, मन की पीड़ा खोती है। मत रखना मन में बैर कभी, छोटी छोटी बातों पर तन्हाई से लीपट के फिर, आंखें अपनी रोती है।। निलम अग्रवाला ©Nilam Agarwalla

#रिश्ते #कविता  Unsplash 
रिश्तों की अनुभूति जगत में, बीज खुशी के बोती है।
फसलें उगती अपनेपन की, मन की पीड़ा खोती है।
मत रखना मन में बैर कभी, छोटी छोटी बातों पर
तन्हाई से लीपट के फिर, आंखें अपनी रोती है।।
निलम अग्रवाला

©Nilam Agarwalla
#मोटिवेशनल #रिश्ते  रिश्ते कुछ छट गए कुछ अपने बच गए रिश्ते छट गए कुछ अपने बच गए

रिश्ते आजीवन हम सभी बनाते तरह तरह के रिश्ते इन रिश्तों के बीच में पड़कर हरदम रहते पिसते किसी से सुख मिलता है हमको किसी से मिलता दुःख अलग अलग रिश्तों पर अपना रोज बदलता रुख कोई रिश्ता नया बनाते मिलती हमे मिठास लेकिन जब जर्जर हो जाता नहीं फटकते पास बेखुद कोई दोस्त है बनता कोई बनता दुस्मन बिन रिश्तों के रूप कई हैं टूटें जब होता गम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#रिश्ते #कविता  रिश्ते
आजीवन हम सभी बनाते
तरह तरह के रिश्ते
इन रिश्तों के बीच में पड़कर
हरदम रहते पिसते

किसी से सुख मिलता है हमको
किसी से मिलता दुःख
अलग अलग रिश्तों पर अपना
रोज बदलता रुख

कोई रिश्ता नया बनाते
मिलती हमे मिठास
लेकिन जब जर्जर हो जाता
नहीं फटकते पास

बेखुद कोई दोस्त है बनता
कोई  बनता दुस्मन
बिन रिश्तों के रूप कई हैं
टूटें जब होता गम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
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