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कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है, जो प्रकृति पर कहर ढा रहा? कौन है जो चुराने चला, जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा? समय को घेरने वाला कौन, जो हर पल को सर्दी में ढल रहा? उतार दिया है काम का बोझ, काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा। सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे, इंसान बैठा अलाव जला रहा। निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न, हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा। अब तो पानी पीना भी मुश्किल है, कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा? ©theABHAYSINGH_BIPIN

#loV€fOR€v€R #कविता #yaadein #pra #Sa  कौन है जो सूरज को धमका रहा,
कोहरे का जाल यूं फैला रहा?
क्यों उजाले को निगलने चला,
सांसों तक को ठंडा बना रहा?

ठंड में अब पानी भी डरा रहा,
खुद को भाप में बदल रहा।
किसको यह कारीगरी सूझी है,
जो प्रकृति पर कहर ढा रहा?

कौन है जो चुराने चला,
जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा?
समय को घेरने वाला कौन,
जो हर पल को सर्दी में ढल रहा?

उतार दिया है काम का बोझ,
काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा।
सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे,
इंसान बैठा अलाव जला रहा।

निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न,
हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा।
अब तो पानी पीना भी मुश्किल है,
कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा?

©theABHAYSINGH_BIPIN

कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु

11 Love

White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही

14 Love

White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं, ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है। हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है, सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है। तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है, जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है। हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते, सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते। मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा, हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा। ©#Mr.India

#मोटिवेशनल #inspirationalquotes #motivation_for_life #inspirational #mrindiapoetry #Motivational  White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है,
सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है।
उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं,
ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है।

हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है,
सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है।
तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है,
जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है।

हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते,
सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते।
मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा,
हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा।

©#Mr.India

ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प

18 Love

शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की चहचहाट थमी। आकाश रंग बदलता, शाम आई, मन को भाती। * संध्या का समय: आज का दिन हुआ समाप्त, तारे निकले, चाँद आया। हवा चलती, शीतल लगती, मन शांत, आनंद भरा। * शाम की यादें: बचपन की शामें याद आतीं, दोस्तों संग खेलते थे। खेतों में दौड़ते फिरते, खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍 ©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City

#KavitaNojotoHindi #कविता #nojoto😀😀 #♥️💔💔 #shaamkikavita  शाम की छोटी कविताएँ
यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं:
 * शाम का नजारा:
   धूप छिपी, छाया फैली,
   चिड़ियों की चहचहाट थमी।
   आकाश रंग बदलता,
   शाम आई, मन को भाती।
 * संध्या का समय:
   आज का दिन हुआ समाप्त,
   तारे निकले, चाँद आया।
   हवा चलती, शीतल लगती,
   मन शांत, आनंद भरा।
 * शाम की यादें:
   बचपन की शामें याद आतीं,
   दोस्तों संग खेलते थे।
   खेतों में दौड़ते फिरते,
   खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍

©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City

शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की

7 Love

Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह घर के आंगन में वह नवोढ़ा भीगती नाचती और काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ उनके माथे पर हाथ फेर दो मां इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच। -अरुण कमल ©gudiya

#मातृभूमि #NatureQuotes #nojoyopoetry #nojotohindi  Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच 
तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि 

धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता 
और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर 
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता 


और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती 
यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में 

सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके 
वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह

 घर के आंगन में वह  नवोढ़ा भीगती नाचती और 
काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते 
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो 

कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ
 आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै 
तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की 
लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में 

खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे
 लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए 
यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां 
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर 
छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है 
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर 
सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के 
यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के 

यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ 
उनके माथे पर हाथ फेर दो मां 
इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से 
तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि 
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं 
नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच।
-अरुण कमल

©gudiya

#NatureQuotes #मातृभूमि #Nojoto #nojotohindi #nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

19 Love

#AnjaliSinghal #loveshayari #lovequotes #lovestatus

"इश्क़ बह चुका है रग-रग में अब तो! निकले कैसे...किनारा मिले तब तो!!" #love #Quotes #loveshayari #lovestatus #lovequotes #AnjaliSi

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कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है, जो प्रकृति पर कहर ढा रहा? कौन है जो चुराने चला, जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा? समय को घेरने वाला कौन, जो हर पल को सर्दी में ढल रहा? उतार दिया है काम का बोझ, काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा। सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे, इंसान बैठा अलाव जला रहा। निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न, हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा। अब तो पानी पीना भी मुश्किल है, कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा? ©theABHAYSINGH_BIPIN

#loV€fOR€v€R #कविता #yaadein #pra #Sa  कौन है जो सूरज को धमका रहा,
कोहरे का जाल यूं फैला रहा?
क्यों उजाले को निगलने चला,
सांसों तक को ठंडा बना रहा?

ठंड में अब पानी भी डरा रहा,
खुद को भाप में बदल रहा।
किसको यह कारीगरी सूझी है,
जो प्रकृति पर कहर ढा रहा?

कौन है जो चुराने चला,
जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा?
समय को घेरने वाला कौन,
जो हर पल को सर्दी में ढल रहा?

उतार दिया है काम का बोझ,
काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा।
सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे,
इंसान बैठा अलाव जला रहा।

निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न,
हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा।
अब तो पानी पीना भी मुश्किल है,
कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा?

©theABHAYSINGH_BIPIN

कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु

11 Love

White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही

14 Love

White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं, ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है। हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है, सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है। तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है, जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है। हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते, सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते। मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा, हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा। ©#Mr.India

#मोटिवेशनल #inspirationalquotes #motivation_for_life #inspirational #mrindiapoetry #Motivational  White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है,
सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है।
उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं,
ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है।

हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है,
सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है।
तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है,
जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है।

हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते,
सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते।
मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा,
हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा।

©#Mr.India

ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प

18 Love

शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की चहचहाट थमी। आकाश रंग बदलता, शाम आई, मन को भाती। * संध्या का समय: आज का दिन हुआ समाप्त, तारे निकले, चाँद आया। हवा चलती, शीतल लगती, मन शांत, आनंद भरा। * शाम की यादें: बचपन की शामें याद आतीं, दोस्तों संग खेलते थे। खेतों में दौड़ते फिरते, खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍 ©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City

#KavitaNojotoHindi #कविता #nojoto😀😀 #♥️💔💔 #shaamkikavita  शाम की छोटी कविताएँ
यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं:
 * शाम का नजारा:
   धूप छिपी, छाया फैली,
   चिड़ियों की चहचहाट थमी।
   आकाश रंग बदलता,
   शाम आई, मन को भाती।
 * संध्या का समय:
   आज का दिन हुआ समाप्त,
   तारे निकले, चाँद आया।
   हवा चलती, शीतल लगती,
   मन शांत, आनंद भरा।
 * शाम की यादें:
   बचपन की शामें याद आतीं,
   दोस्तों संग खेलते थे।
   खेतों में दौड़ते फिरते,
   खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍

©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City

शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की

7 Love

Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह घर के आंगन में वह नवोढ़ा भीगती नाचती और काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ उनके माथे पर हाथ फेर दो मां इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच। -अरुण कमल ©gudiya

#मातृभूमि #NatureQuotes #nojoyopoetry #nojotohindi  Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच 
तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि 

धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता 
और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर 
जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता 


और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती 
यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में 

सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके 
वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह

 घर के आंगन में वह  नवोढ़ा भीगती नाचती और 
काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते 
और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो 

कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ
 आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै 
तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की 
लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में 

खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे
 लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए 
यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां 
धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर 
छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है 
पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर 
सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के 
यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के 

यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ 
उनके माथे पर हाथ फेर दो मां 
इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से 
तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि 
मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं 
नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच।
-अरुण कमल

©gudiya

#NatureQuotes #मातृभूमि #Nojoto #nojotohindi #nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच

19 Love

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"इश्क़ बह चुका है रग-रग में अब तो! निकले कैसे...किनारा मिले तब तो!!" #love #Quotes #loveshayari #lovestatus #lovequotes #AnjaliSi

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