fire quotes
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कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है, जो प्रकृति पर कहर ढा रहा? कौन है जो चुराने चला, जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा? समय को घेरने वाला कौन, जो हर पल को सर्दी में ढल रहा? उतार दिया है काम का बोझ, काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा। सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे, इंसान बैठा अलाव जला रहा। निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न, हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा। अब तो पानी पीना भी मुश्किल है, कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा? ©theABHAYSINGH_BIPIN

#loV€fOR€v€R #कविता #yaadein #pra #Sa  कौन है जो सूरज को धमका रहा,
कोहरे का जाल यूं फैला रहा?
क्यों उजाले को निगलने चला,
सांसों तक को ठंडा बना रहा?

ठंड में अब पानी भी डरा रहा,
खुद को भाप में बदल रहा।
किसको यह कारीगरी सूझी है,
जो प्रकृति पर कहर ढा रहा?

कौन है जो चुराने चला,
जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा?
समय को घेरने वाला कौन,
जो हर पल को सर्दी में ढल रहा?

उतार दिया है काम का बोझ,
काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा।
सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे,
इंसान बैठा अलाव जला रहा।

निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न,
हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा।
अब तो पानी पीना भी मुश्किल है,
कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा?

©theABHAYSINGH_BIPIN

कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है,

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अग्नि जलती हुई अग्नि कहती है मेरे भीतर ताप पास बुलाती यदि हो कोई रहा ठंड से कांप मुझे देख भयभीत है कोई किसी को मुझसे प्रीत मेरे ऊपर लिखे गए हैं अगणित सुंदर गीत धधक रही हूँ किसी हृदय में बन नफरत या प्रेम या फिर मैं प्रतिशोध रूप में ज्वाला मेरी देन चूल्हे में जाकर मैं प्रतिदिन सबकी भूख मिटाती मुझसे अहित न होने पाए दुनिया को समझाती बेखुद ईश्वर से विनती है हाथ जोड़कर मेरी परहित में न होने पाए कभी भी मुझसे देरी ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #अग्नि  अग्नि
जलती हुई अग्नि कहती है
मेरे भीतर ताप
पास बुलाती  यदि हो कोई
रहा ठंड से कांप

मुझे देख भयभीत है कोई
किसी को मुझसे प्रीत
मेरे ऊपर लिखे गए हैं
अगणित सुंदर गीत

धधक रही हूँ किसी हृदय में
बन नफरत या प्रेम
या फिर मैं प्रतिशोध रूप में
ज्वाला मेरी देन

चूल्हे में जाकर मैं प्रतिदिन
सबकी भूख मिटाती
मुझसे अहित न होने पाए
दुनिया को समझाती

बेखुद ईश्वर से विनती है
हाथ जोड़कर मेरी
परहित में न होने पाए
कभी भी मुझसे देरी

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

लगी हुई है आग मेरे घर में मैं बिना मरे जल रहा हूं आस में है सब ठीक हो जाएगा सब मैं वो कभी न आने वाला कल रहा हूं हुआ न कभी मन को खुशी का अहसास हर लम्हा दर्द मे पलता जो मैं वो मरा हुआ पल रहा हूं जल उठी है रूह मेरी रोज के दर्द से मैं बिना मरे जल रहा हूं 🚶Awara अम्बर ©Awara अम्बर ,M

 लगी हुई है आग मेरे घर में 
मैं बिना मरे जल रहा हूं 
आस में है सब ठीक हो
जाएगा सब
मैं वो कभी न आने वाला
कल रहा हूं 
हुआ न कभी मन को
खुशी का अहसास 
हर लम्हा दर्द मे पलता जो
मैं वो मरा हुआ पल रहा हूं 
जल उठी है रूह मेरी
रोज के दर्द से 
मैं बिना मरे जल रहा हूं 
🚶Awara अम्बर

©Awara अम्बर ,M

लगी हुई है आग मेरे घर में मैं बिना मरे जल रहा हूं आस में है सब ठीक हो जाएगा सब मैं वो कभी न आने वाला कल रहा हूं हुआ न कभी मन को खुशी का अहसास हर लम्हा दर्द मे पलता जो मैं वो मरा हुआ पल रहा हूं जल उठी है रूह मेरी रोज के दर्द से मैं बिना मरे जल रहा हूं 🚶Awara अम्बर ©Awara अम्बर ,M

18 Love

इन दिनों कुछ शब्द है जो गूंज रहे है देश में असल में चुभ रहे है भविष्य के कानों में मॉब लिंचिंग से मौत और दंगे,अब हैरान नहीं करते खौंफ जगाते हैं बहुतों को अपने आज और कल के होने में कभी संभल तो कभी अजमेर, मणिपुर का तो अभी जिक्र भी नहीं आग की लपटें, चारों और धुआं ही धुआं और पथराव ये तस्वीरे हर रोज की खबर है, जिसे मैं देखना नहीं चाहता मैं भविष्य आज खड़ा हूं इस असीम शोर-नहीं-बवाल में शिमला कितना ठंडा है... फिर उसमें ऊबाल क्यों कुछ तो गलत है शायद सही सुझाव सोच से परे है क्या किसी को शांति पसंद नहीं जिस पर अमल हो क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं चाहता मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता वक्त रहते इसका अंत हो, समस्या का निदान हो ये सूरज की लालिमा का रंग सूरज से ही निकले तो अच्छा है धरती से सूरज को जाएगा तो सब कुछ जलना ही है मुझे तो कल में जीना है और ज्वलंत लपटें चुभ रही है मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं जानता।। -C2 . ©C2

#कविता #harmony #justice #protest #peace  इन दिनों कुछ शब्द है जो गूंज रहे है देश में 
असल में चुभ रहे है भविष्य के कानों में
मॉब लिंचिंग से मौत और दंगे,अब हैरान नहीं करते
खौंफ जगाते हैं बहुतों को अपने आज और कल के होने में
कभी संभल तो कभी अजमेर, मणिपुर का तो अभी जिक्र भी नहीं
आग की लपटें, चारों और धुआं ही धुआं और पथराव
ये तस्वीरे हर रोज की खबर है, जिसे मैं देखना नहीं चाहता
मैं भविष्य आज खड़ा हूं इस असीम शोर-नहीं-बवाल में
शिमला कितना ठंडा है... फिर उसमें ऊबाल क्यों 
कुछ तो गलत है शायद सही सुझाव सोच से परे है 
क्या किसी को शांति पसंद नहीं जिस पर अमल हो
क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं चाहता 
मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता 
वक्त रहते इसका अंत हो, समस्या का निदान हो
ये सूरज की लालिमा का रंग सूरज से ही निकले तो अच्छा है
धरती से सूरज को जाएगा तो सब कुछ जलना  ही है 
मुझे तो कल में जीना है और ज्वलंत लपटें चुभ रही है
मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता 
क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं जानता।।
 -C2


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©C2

I have lit the fire, I will have to burn in it ©Pawan Soni Ji

#pawansoniji  I have lit the fire, 
I will have to burn in it

©Pawan Soni Ji

#pawansoniji

12 Love

ہر دن نیا عالم بپا ہے مجھ پر میں میرا ہوتا جلاتا خود کو ریان بلال ©Riyaan Bilal

#Riyaanbilal #India #Pagal #iqbal  ہر دن نیا عالم      بپا  ہے مجھ   پر
میں میرا  ہوتا  جلاتا   خود      کو
ریان بلال

©Riyaan Bilal

#Riyaanbilal #iqbal #India #Pagal #Dil #ishq @Shah Jahangir attitude shayari sad shayari english translation motivational shayari shayari sad alone shayari girl

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