fire quotes
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मैं सर्द रातों की सिगड़ी सा तू हवा सी आती जाती मैं बुझता बार बार तू मुझमें आग लगाती ©Ankush Agarwal Singhal

#विचार  मैं सर्द रातों की सिगड़ी सा
तू हवा सी आती जाती
मैं बुझता बार बार
तू मुझमें आग लगाती

©Ankush Agarwal Singhal

मैं सर्द रातों की सिगड़ी सा तू हवा सी आती जाती मैं बुझता बार बार तू मुझमें आग लगाती ©Ankush Agarwal Singhal

9 Love

वक्त बदलते देर नही लगता कल पंखे से प्यार था आज आग से । © Pooja Rai

#wishes  वक्त बदलते देर नही लगता
        कल पंखे से प्यार था  
                      आज आग से ।

© Pooja Rai

वक्त बदलते देर नही लगता कल पंखे से प्यार था आज आग से । © Pooja Rai

12 Love

आग अपने ही लगाते है, जिंदगी मे भी... लाश को भी... ☹️ ©Anamika Raj

#Quotes  आग अपने ही लगाते है,
जिंदगी मे भी...
लाश को भी... 
☹️

©Anamika Raj

आग अपने ही लगाते है

12 Love

कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है, जो प्रकृति पर कहर ढा रहा? कौन है जो चुराने चला, जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा? समय को घेरने वाला कौन, जो हर पल को सर्दी में ढल रहा? उतार दिया है काम का बोझ, काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा। सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे, इंसान बैठा अलाव जला रहा। निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न, हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा। अब तो पानी पीना भी मुश्किल है, कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा? ©theABHAYSINGH_BIPIN

#loV€fOR€v€R #कविता #yaadein #pra #Sa  कौन है जो सूरज को धमका रहा,
कोहरे का जाल यूं फैला रहा?
क्यों उजाले को निगलने चला,
सांसों तक को ठंडा बना रहा?

ठंड में अब पानी भी डरा रहा,
खुद को भाप में बदल रहा।
किसको यह कारीगरी सूझी है,
जो प्रकृति पर कहर ढा रहा?

कौन है जो चुराने चला,
जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा?
समय को घेरने वाला कौन,
जो हर पल को सर्दी में ढल रहा?

उतार दिया है काम का बोझ,
काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा।
सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे,
इंसान बैठा अलाव जला रहा।

निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न,
हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा।
अब तो पानी पीना भी मुश्किल है,
कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा?

©theABHAYSINGH_BIPIN

कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खुद को भाप में बदल रहा। किसको यह कारीगरी सूझी है,

11 Love

अग्नि जलती हुई अग्नि कहती है मेरे भीतर ताप पास बुलाती यदि हो कोई रहा ठंड से कांप मुझे देख भयभीत है कोई किसी को मुझसे प्रीत मेरे ऊपर लिखे गए हैं अगणित सुंदर गीत धधक रही हूँ किसी हृदय में बन नफरत या प्रेम या फिर मैं प्रतिशोध रूप में ज्वाला मेरी देन चूल्हे में जाकर मैं प्रतिदिन सबकी भूख मिटाती मुझसे अहित न होने पाए दुनिया को समझाती बेखुद ईश्वर से विनती है हाथ जोड़कर मेरी परहित में न होने पाए कभी भी मुझसे देरी ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #अग्नि  अग्नि
जलती हुई अग्नि कहती है
मेरे भीतर ताप
पास बुलाती  यदि हो कोई
रहा ठंड से कांप

मुझे देख भयभीत है कोई
किसी को मुझसे प्रीत
मेरे ऊपर लिखे गए हैं
अगणित सुंदर गीत

धधक रही हूँ किसी हृदय में
बन नफरत या प्रेम
या फिर मैं प्रतिशोध रूप में
ज्वाला मेरी देन

चूल्हे में जाकर मैं प्रतिदिन
सबकी भूख मिटाती
मुझसे अहित न होने पाए
दुनिया को समझाती

बेखुद ईश्वर से विनती है
हाथ जोड़कर मेरी
परहित में न होने पाए
कभी भी मुझसे देरी

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

लगी हुई है आग मेरे घर में मैं बिना मरे जल रहा हूं आस में है सब ठीक हो जाएगा सब मैं वो कभी न आने वाला कल रहा हूं हुआ न कभी मन को खुशी का अहसास हर लम्हा दर्द मे पलता जो मैं वो मरा हुआ पल रहा हूं जल उठी है रूह मेरी रोज के दर्द से मैं बिना मरे जल रहा हूं 🚶Awara अम्बर ©Awara अम्बर ,M

 लगी हुई है आग मेरे घर में 
मैं बिना मरे जल रहा हूं 
आस में है सब ठीक हो
जाएगा सब
मैं वो कभी न आने वाला
कल रहा हूं 
हुआ न कभी मन को
खुशी का अहसास 
हर लम्हा दर्द मे पलता जो
मैं वो मरा हुआ पल रहा हूं 
जल उठी है रूह मेरी
रोज के दर्द से 
मैं बिना मरे जल रहा हूं 
🚶Awara अम्बर

©Awara अम्बर ,M

लगी हुई है आग मेरे घर में मैं बिना मरे जल रहा हूं आस में है सब ठीक हो जाएगा सब मैं वो कभी न आने वाला कल रहा हूं हुआ न कभी मन को खुशी का अहसास हर लम्हा दर्द मे पलता जो मैं वो मरा हुआ पल रहा हूं जल उठी है रूह मेरी रोज के दर्द से मैं बिना मरे जल रहा हूं 🚶Awara अम्बर ©Awara अम्बर ,M

18 Love

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