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Unsplash मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रों से नहीं, उसके चरित्र से होती हे । ©सूरज

#चरित्र #विचार  Unsplash मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रों से नहीं, उसके चरित्र से होती हे ।

©सूरज

White व्यक्ति अपने पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन उसकी पहचान उसके चरित्र और विनम्र स्वभाव से होती हैं। ©सूरज

#चरित्र #Quotes  White व्यक्ति अपने पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन उसकी
पहचान उसके चरित्र और विनम्र स्वभाव से होती हैं।

©सूरज

संग पार्वती, शक्ति की पहचान, तप का प्रताप और प्रेम का श्रृंगार, उनके मिलन का है दिव्य आधार। वैराग्य में बसा अनंत का प्रकाश, शिव का धैर्य और पार्वती का विश्वास। प्रकृति और पुरुष का यह अनूठा मेल। जो करते ध्यान, उन्हें मिलती राह, शिव-पार्वती बनें हर जीवन की चाह। शिव की जटाओं से जीवन की धारा, पार्वती की ममता से सजी है धरा। जो इनके भजन में मग्न हो जाए, वो सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाए। अमर यह युगल, जग के पालनहार, इनके चरणों में झुके हर संसार। शिव का वैराग्य और शक्ति का रूप, भक्तों के संकट में देते संपूर्ण छूप। ©नवनीत ठाकुर

#भक्ति #शिव  संग पार्वती, शक्ति की पहचान,
तप का प्रताप और प्रेम का श्रृंगार,
उनके मिलन का है दिव्य आधार।

वैराग्य में बसा अनंत का प्रकाश,
शिव का धैर्य और पार्वती का विश्वास।
प्रकृति और पुरुष का यह अनूठा मेल।

जो करते ध्यान, उन्हें मिलती राह,
शिव-पार्वती बनें हर जीवन की चाह।

शिव की जटाओं से जीवन की धारा,
पार्वती की ममता से सजी है धरा।
जो इनके भजन में मग्न हो जाए,
वो सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाए।

अमर यह युगल, जग के पालनहार,
इनके चरणों में झुके हर संसार।
शिव का वैराग्य और शक्ति का रूप,
भक्तों के संकट में देते संपूर्ण छूप।

©नवनीत ठाकुर

#शिव पार्वती

13 Love

#भक्ति #शिव  जटा में गंगा, त्रिशूल की धार,
शिव हैं महादेव, जग के आधार।
भस्म से सजा तन, नीलकंठ का रूप,
माथे पर चांद, गले में सांप,
पहने बज की खाल, बैठे मृगछाल।

शिव की चुप्पी में ब्रह्मांड का शोर,
गले में विष, त्रिनेत्र की ज्वाला,
जो देखे उन्हें, वह पाता उजाला।

कैलाश पर उनका पावन बसेरा,
गण हैं समीप, भूत-प्रेत हैं साये,
हर युग में उनका न्याय जगाये।

ब्रह्मा-विष्णु भी झुकते उनके सामने,
काल भी रुके, जिनके चरणों के दामन।
भांग-धतूरा चढ़े उनके श्रृंगार में,
मृत्यु भी कांपे, उनके संहार में।

काल भी झुके, जिनके चरणों की धूप,
सृष्टि के कण-कण में जिनका स्वरूप।

©नवनीत ठाकुर

#शिव

117 View

Unsplash मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रों से नहीं, उसके चरित्र से होती हे । ©सूरज

#चरित्र #विचार  Unsplash मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रों से नहीं, उसके चरित्र से होती हे ।

©सूरज

White व्यक्ति अपने पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन उसकी पहचान उसके चरित्र और विनम्र स्वभाव से होती हैं। ©सूरज

#चरित्र #Quotes  White व्यक्ति अपने पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन उसकी
पहचान उसके चरित्र और विनम्र स्वभाव से होती हैं।

©सूरज

संग पार्वती, शक्ति की पहचान, तप का प्रताप और प्रेम का श्रृंगार, उनके मिलन का है दिव्य आधार। वैराग्य में बसा अनंत का प्रकाश, शिव का धैर्य और पार्वती का विश्वास। प्रकृति और पुरुष का यह अनूठा मेल। जो करते ध्यान, उन्हें मिलती राह, शिव-पार्वती बनें हर जीवन की चाह। शिव की जटाओं से जीवन की धारा, पार्वती की ममता से सजी है धरा। जो इनके भजन में मग्न हो जाए, वो सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाए। अमर यह युगल, जग के पालनहार, इनके चरणों में झुके हर संसार। शिव का वैराग्य और शक्ति का रूप, भक्तों के संकट में देते संपूर्ण छूप। ©नवनीत ठाकुर

#भक्ति #शिव  संग पार्वती, शक्ति की पहचान,
तप का प्रताप और प्रेम का श्रृंगार,
उनके मिलन का है दिव्य आधार।

वैराग्य में बसा अनंत का प्रकाश,
शिव का धैर्य और पार्वती का विश्वास।
प्रकृति और पुरुष का यह अनूठा मेल।

जो करते ध्यान, उन्हें मिलती राह,
शिव-पार्वती बनें हर जीवन की चाह।

शिव की जटाओं से जीवन की धारा,
पार्वती की ममता से सजी है धरा।
जो इनके भजन में मग्न हो जाए,
वो सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाए।

अमर यह युगल, जग के पालनहार,
इनके चरणों में झुके हर संसार।
शिव का वैराग्य और शक्ति का रूप,
भक्तों के संकट में देते संपूर्ण छूप।

©नवनीत ठाकुर

#शिव पार्वती

13 Love

#भक्ति #शिव  जटा में गंगा, त्रिशूल की धार,
शिव हैं महादेव, जग के आधार।
भस्म से सजा तन, नीलकंठ का रूप,
माथे पर चांद, गले में सांप,
पहने बज की खाल, बैठे मृगछाल।

शिव की चुप्पी में ब्रह्मांड का शोर,
गले में विष, त्रिनेत्र की ज्वाला,
जो देखे उन्हें, वह पाता उजाला।

कैलाश पर उनका पावन बसेरा,
गण हैं समीप, भूत-प्रेत हैं साये,
हर युग में उनका न्याय जगाये।

ब्रह्मा-विष्णु भी झुकते उनके सामने,
काल भी रुके, जिनके चरणों के दामन।
भांग-धतूरा चढ़े उनके श्रृंगार में,
मृत्यु भी कांपे, उनके संहार में।

काल भी झुके, जिनके चरणों की धूप,
सृष्टि के कण-कण में जिनका स्वरूप।

©नवनीत ठाकुर

#शिव

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