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New इंसानियत का अर्थ Status, Photo, Video

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New Year 2024-25 ["इंसानियत का सवाल"] जो धर्म के नाम पर जंग कराते हैं, एक भाई को दूजे से लड़ाते हैं। अपनी सियासत के खेल में अक्सर, मासूमों का खून बहाते हैं। मगर ये ज़मीं और हवा कहेगी, इंसान का धर्म इंसानियत है। नफरत को मिटाकर, प्यार बोएंगे, यही तो असली इबादत है। ©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

#Newyear2024  New Year 2024-25    ["इंसानियत का सवाल"]
जो धर्म के नाम पर जंग कराते हैं,
एक भाई को दूजे से लड़ाते हैं।
अपनी सियासत के खेल में अक्सर,
मासूमों का खून बहाते हैं।
मगर ये ज़मीं और हवा कहेगी,
इंसान का धर्म इंसानियत है।
नफरत को मिटाकर, प्यार बोएंगे,
यही तो असली इबादत है।

©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

#Newyear2024-25 #["इंसानियत का सवाल"] sad shayari shayari on life

12 Love

Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ डुंडा जा सकता है ©Parasram Arora

 Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों 
अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ  डुंडा जा सकता है

©Parasram Arora

अर्थ अनर्थ

18 Love

White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
कब छटेगे दुविधाओं के बादल
साफ कभी अरमानो का आसमान होगा
खता हमने कुछ की नही
फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है
कण कण में भगवान रहते
फिर सर्वे कर गुमराह कियो है
सियासी दाँव मजहब बन गया
इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा

29 Love

शादी का सही अर्थ..

153 View

ये दौर है या इंसानियत का जनाजा, जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा। सच का चेहरा धुंध में गुम सा है, हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है। मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में, अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में। हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया, सच और झूठ का फर्क मिटा दिया। खून पसीने से जो पहचान बनाई थी, आज उसी पर सौदे की बारी आई थी। वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम, अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम। ©नवनीत ठाकुर

#इंसानियत #शायरी  ये दौर है या इंसानियत का जनाजा,
जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा।
सच का चेहरा धुंध में गुम सा है,
हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है।

मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में,
अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में।
हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया,
सच और झूठ का फर्क मिटा दिया।


खून पसीने से जो पहचान बनाई थी,
आज उसी पर सौदे की बारी आई थी।
वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम,
अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम।

©नवनीत ठाकुर

#इंसानियत का ज़नाजा

17 Love

#मौहम्मद_इब्राहीम_सुल्तान_मिर्जा #mohammad_ibraheem_sultan_mirza #मोटिवेशनल #इंसानियत #Insaniyat

New Year 2024-25 ["इंसानियत का सवाल"] जो धर्म के नाम पर जंग कराते हैं, एक भाई को दूजे से लड़ाते हैं। अपनी सियासत के खेल में अक्सर, मासूमों का खून बहाते हैं। मगर ये ज़मीं और हवा कहेगी, इंसान का धर्म इंसानियत है। नफरत को मिटाकर, प्यार बोएंगे, यही तो असली इबादत है। ©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

#Newyear2024  New Year 2024-25    ["इंसानियत का सवाल"]
जो धर्म के नाम पर जंग कराते हैं,
एक भाई को दूजे से लड़ाते हैं।
अपनी सियासत के खेल में अक्सर,
मासूमों का खून बहाते हैं।
मगर ये ज़मीं और हवा कहेगी,
इंसान का धर्म इंसानियत है।
नफरत को मिटाकर, प्यार बोएंगे,
यही तो असली इबादत है।

©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

#Newyear2024-25 #["इंसानियत का सवाल"] sad shayari shayari on life

12 Love

Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ डुंडा जा सकता है ©Parasram Arora

 Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों 
अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ  डुंडा जा सकता है

©Parasram Arora

अर्थ अनर्थ

18 Love

White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
कब छटेगे दुविधाओं के बादल
साफ कभी अरमानो का आसमान होगा
खता हमने कुछ की नही
फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है
कण कण में भगवान रहते
फिर सर्वे कर गुमराह कियो है
सियासी दाँव मजहब बन गया
इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा

29 Love

शादी का सही अर्थ..

153 View

ये दौर है या इंसानियत का जनाजा, जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा। सच का चेहरा धुंध में गुम सा है, हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है। मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में, अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में। हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया, सच और झूठ का फर्क मिटा दिया। खून पसीने से जो पहचान बनाई थी, आज उसी पर सौदे की बारी आई थी। वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम, अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम। ©नवनीत ठाकुर

#इंसानियत #शायरी  ये दौर है या इंसानियत का जनाजा,
जहाँ दौलत ने रिश्तों को बना दिया तमाशा।
सच का चेहरा धुंध में गुम सा है,
हर दिल अब झूठ के संग चुप सा है।

मोहरे बन गए हैं इन्साफ के दरबार में,
अब सच के शब्द भी बिकते बाज़ार में।
हर उसूल को, हर कसम को भुला दिया,
सच और झूठ का फर्क मिटा दिया।


खून पसीने से जो पहचान बनाई थी,
आज उसी पर सौदे की बारी आई थी।
वो मेहनत, वो इज्जत, वो सच्चाई का नाम,
अब बिक रहा है झूठ के इल्जाम।

©नवनीत ठाकुर

#इंसानियत का ज़नाजा

17 Love

#मौहम्मद_इब्राहीम_सुल्तान_मिर्जा #mohammad_ibraheem_sultan_mirza #मोटिवेशनल #इंसानियत #Insaniyat
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