हम क्यू बिछड़े यह सवाल, साथ चलता है
बस मुझ मे तेरा खयाल, साथ चलता है
जिन मे कुछ कर सकते थे वो यूं ही गँवा लिए
मुझमें बीते लम्हों का मलाल, साथ चलता है
रास्ते बदले, मंजिल बदली,कुछ हमसफ़र बदल गए
बस तेरा दिया वो रूमाल, साथ साथ चलता है
कसमे, वादों की तरह हम कभी शिकवे नहीं भूलें
बस दिलों में रहा यो उबाल, साथ चलता है
सच है ,चाह कर भी किसी ओर को चाह नहीं पाए
अबतक तेरी जुलफो का जाल,साथ चलता है
©Baljit Singh Buttar
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