ममता हैं याद हमें दिन बचपन के, ना अभी तलक हम भूले हैं|
माँ के आँचल की छांव में,हम बढे़ फले और फूले हैं||
उनकी बाहों के झूले पर,हम सब रातोदिन झूले हैं|
उस नेह और उस ममता को,हम रत्ती भर भी ना भूले हैं||
हमको है याद अभी तक जब,जोरों की भूख सताती थी|
माँ स्वयं बनाकर के खाना,अपने हाथों से खिलाती थी||
अनुशासन की ना रहे कमी,बिस्तर से सुबह उठाती थी|
ना स्वयं की थी परवाह जिसे,वह भी तो शीघ्र उठ जाती थी||
यदि कभी व्यथित मैं हो जाता,वह सिर पर हाथ फिराती थी|
माँ के पावन स्पर्श मात्र से,सब व्यथा मेरी मिट जाती थी||
है जनम दिया पाला पोषा,पर कभी ना कुछ भी मांगा है|
निज पुत्र की उन्नति होय सदा,बस उनकी यह अभिलाषा है||
माँ त्याग की मूरत होती है,माँ से ही मैने जाना है|
छोटे से मुझको बडा़ किया,तब मैने उसे पहचाना है||
माँ के इन पावन चरणों में,यह सारा जीवन ही अर्पित है|
जो कुछ भी है सब उनसे है,सब कुछ उनको ही समर्पित है||
हर क्षण दोनों प्रसन्न रहे,ईश्वर से इतनी आशा है|
ना दुख हो कभी कोई उनको,जीवन की मूल अभिलाषा है||
happy mothers day to all of you
©PANDIT DEEPAK MISHRA
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