PANDIT DEEPAK MISHRA

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PANDIT's Live Show

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Tuesday, 16 April | 02:38 am

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अम्बर में ध्वज लहराने का, है स्वप्न आज साकार हुआ| भारत के आगे नतमस्तक, उस चन्दा का आकार हुआ| उन्नीस में थोड़ा चूके पर, अब तेईस में प्रतिकार हुआ| विक्रम ना आज डिगा पथ से, प्रज्ञान का है दीदार हुआ| जो कई रात के जागे थे, जग में उनका सत्कार हुआ| इसरो दल की उपलब्धि से , है विस्मित यह संसार हुआ| जो दुर्ग जीत ना कोई सका, भारत का वहां प्रसार हुआ| इस विश्व पटल के शीर्ष पर पुनः, इंगित है हिन्द इक बार हुआ|| ©PANDIT DEEPAK MISHRA

#कविता #chandrayaan3  अम्बर में ध्वज लहराने का, 
है स्वप्न आज साकार हुआ|
भारत के आगे नतमस्तक, 
उस चन्दा का आकार हुआ|
उन्नीस में थोड़ा चूके पर, 
अब तेईस में प्रतिकार हुआ|
विक्रम ना आज डिगा पथ से,
प्रज्ञान का है दीदार हुआ|

जो कई रात के जागे थे,
जग में उनका सत्कार हुआ|
इसरो दल की उपलब्धि से ,
है विस्मित यह संसार हुआ|
जो दुर्ग जीत ना कोई सका,
भारत का वहां प्रसार हुआ|
इस विश्व पटल के शीर्ष पर पुनः,
इंगित है हिन्द इक बार हुआ||

©PANDIT DEEPAK MISHRA

#chandrayaan3

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#IndependenceDay #कविता   अविरल अविचल बन कीर्तिमान,
 इस नभ मंडल पर छाया है|
 हो गया है पुलकित मन सबका,
 पुनि ध्वज तिरंग लहराया है ||

यूँ देख तिरंगे की आभा,
मन दुश्मन का थर्राया है|
 क्या चीन और क्या पाक सभी का 
अंतर्मन घबराया है||

 हैं भाग्यवान हम सभी जो ऐसा,
स्वर्णिम अवसर पाया है |
वीरों ने रक्त बहा हम सबको,
यह शुभ दिन दिखलाया है||

 बलिदान उन सभी वीरों का, 
हम मरते दम तक ना भूलेंगे|
 पी ओ के की तो बात ही क्या, 
अक्साई चीन को छीनेंगे||
जय हिन्द||
जय जय भारत||
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

©PANDIT DEEPAK MISHRA

#IndependenceDay "शान तिरंगा"

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ममता हैं याद हमें दिन बचपन के, ना अभी तलक हम भूले हैं| माँ के आँचल की छांव में,हम बढे़ फले और फूले हैं|| उनकी बाहों के झूले पर,हम सब रातोदिन झूले हैं| उस नेह और उस ममता को,हम रत्ती भर भी ना भूले हैं|| हमको है याद अभी तक जब,जोरों की भूख सताती थी| माँ स्वयं बनाकर के खाना,अपने हाथों से खिलाती थी|| अनुशासन की ना रहे कमी,बिस्तर से सुबह उठाती थी| ना स्वयं की थी परवाह जिसे,वह भी तो शीघ्र उठ जाती थी|| यदि कभी व्यथित मैं हो जाता,वह सिर पर हाथ फिराती थी| माँ के पावन स्पर्श मात्र से,सब व्यथा मेरी मिट जाती थी|| है जनम दिया पाला पोषा,पर कभी ना कुछ भी मांगा है| निज पुत्र की उन्नति होय सदा,बस उनकी यह अभिलाषा है|| माँ त्याग की मूरत होती है,माँ से ही मैने जाना है| छोटे से मुझको बडा़ किया,तब मैने उसे पहचाना है|| माँ के इन पावन चरणों में,यह सारा जीवन ही अर्पित है| जो कुछ भी है सब उनसे है,सब कुछ उनको ही समर्पित है|| हर क्षण दोनों प्रसन्न रहे,ईश्वर से इतनी आशा है| ना दुख हो कभी कोई उनको,जीवन की मूल अभिलाषा है|| happy mothers day to all of you ©PANDIT DEEPAK MISHRA

#कविता #ममता  ममता हैं याद हमें दिन बचपन के, ना अभी तलक हम भूले हैं|
 माँ के आँचल की छांव में,हम बढे़ फले और फूले हैं||
उनकी बाहों के झूले पर,हम सब रातोदिन झूले हैं|
उस नेह और उस ममता को,हम रत्ती भर भी ना भूले हैं||
हमको है याद अभी तक जब,जोरों की भूख सताती थी|
माँ स्वयं बनाकर के खाना,अपने हाथों से खिलाती थी||
अनुशासन की ना रहे कमी,बिस्तर से सुबह उठाती थी|
ना स्वयं की थी परवाह जिसे,वह भी तो शीघ्र उठ जाती थी||
यदि कभी व्यथित मैं हो जाता,वह सिर पर हाथ फिराती थी|
माँ के पावन स्पर्श मात्र से,सब व्यथा मेरी मिट जाती थी||
है जनम दिया पाला पोषा,पर कभी ना कुछ भी मांगा है|
निज पुत्र की उन्नति होय सदा,बस उनकी यह अभिलाषा है||
माँ त्याग की मूरत होती है,माँ से ही मैने जाना है|
छोटे से मुझको बडा़ किया,तब मैने उसे पहचाना है||
माँ के इन पावन चरणों में,यह सारा जीवन ही अर्पित है|
जो कुछ भी है सब उनसे है,सब कुछ उनको ही समर्पित है||
हर क्षण दोनों प्रसन्न रहे,ईश्वर से इतनी आशा है|
ना दुख हो कभी कोई उनको,जीवन की मूल अभिलाषा है||


happy mothers day to all of you

©PANDIT DEEPAK MISHRA

है लक्ष्य परिलक्षित हुआ, निज धर्म संरक्षित हुआ, मन्दिर की राह प्रशस्त है, हर कोई अब आश्वस्त है, जो थे विरोधी राम के, अब वो भला किस काम के? आशाएं उनकी ध्वस्त हैं, हम राम भक्त ही मस्त हैं, हिन्दुत्व का यह भाव निश-दिन, यूं ही बढ़ता जाएगा, देखो जगत के पटल पर, फिर आर्यावर्त ही छाएगा|| ||जय जय श्री राम||⛳⛳⛳ ©PANDIT DEEPAK MISHRA

#NojotoRamleela  है लक्ष्य परिलक्षित हुआ,
निज धर्म संरक्षित हुआ,
मन्दिर की राह प्रशस्त है,
हर कोई अब आश्वस्त है,
जो थे विरोधी राम के,
अब वो भला किस काम के?
आशाएं उनकी ध्वस्त हैं,
हम राम भक्त ही मस्त हैं,
हिन्दुत्व का यह भाव निश-दिन,
यूं ही बढ़ता जाएगा,
देखो जगत के पटल पर, 
फिर आर्यावर्त ही छाएगा||
||जय जय श्री राम||⛳⛳⛳

©PANDIT DEEPAK MISHRA

है लक्ष्य परिलक्षित हुआ, निज धर्म संरक्षित हुआ, मन्दिर की राह प्रशस्त है, हर कोई अब आश्वस्त है, जो थे विरोधी राम के, अब वो भला किस काम के? आशाएं उनकी ध्वस्त हैं, हम राम भक्त ही मस्त हैं, हिन्दुत्व का यह भाव निश-दिन, यूं ही बढ़ता जाएगा, देखो जगत के पटल पर, फिर आर्यावर्त ही छाएगा|| ||जय जय श्री राम||⛳⛳⛳ ©PANDIT DEEPAK MISHRA

#NojotoRamleela  है लक्ष्य परिलक्षित हुआ,
निज धर्म संरक्षित हुआ,
मन्दिर की राह प्रशस्त है,
हर कोई अब आश्वस्त है,
जो थे विरोधी राम के,
अब वो भला किस काम के?
आशाएं उनकी ध्वस्त हैं,
हम राम भक्त ही मस्त हैं,
हिन्दुत्व का यह भाव निश-दिन,
यूं ही बढ़ता जाएगा,
देखो जगत के पटल पर, 
फिर आर्यावर्त ही छाएगा||
||जय जय श्री राम||⛳⛳⛳

©PANDIT DEEPAK MISHRA
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