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.......................... ©Pramod Pandey
Pramod Pandey
13 Love
स्याह अंधेरी सी हवाओं की सहेली वो रात मुझे मिलती नहीं जिसके आग़ोश में दोनो बैठे बुझी -बुझी सी राख में इक चिंगारी धूंडा करते वो रात अब मुझे मिलती नहीं वो रात जिसके स्याह सन्नाटे में कुछ शब्द बुनते वहीं बैठे थे वो रात मुझे अब मिलती नहीं मैं खोजता हूँ ख़ुद को और ख़ुद में कहीं तुमको इस सफ़र में एक रश्मि बिंदु देखने की कोशिश करता दिन के उजाले चकाचौंध कर देते है छीन लेते है जुगनुओं का सारा प्रकाश भर देते हैं बेइंतहा न ख़त्म होने वाला शोर मै रात की तनहाइयों की गुफ़्तगू सोचता हूँ मै सोचता हूँ जुगनुओं का मद्धम आलोक स्याह का मौन मै जनता हूँ तुम्हें पाना शांत होना है चकचौध नहीं, व्यग्रता नहीं मुझे वो रात नहीं मिलती जिसके आग़ोश में दोनो बैठे….. ©Pramod Pandey
7 Love
चांद की भी अपनी मजबूरियां है हर किसी की बातें सुन चुप-चाप रह जाना इतना आसां नहीं किसी की आखों में उतर जाना इतना आसां नहीं बादलों से लड़-झगड़ कर किसी तरह खुद को रोशन कर जाना इतना आसां नही कई दाग ले कर चेहरे पर किसी निगाह का चांद बन जान इतना आसां नहीं चांद की भी अपनी मजबूरियां हैं ©Pramod Pandey
9 Love
कुछ 'कही' गयी सा मै हूं और कुछ 'अनकही' इस धुंध सी मेरे आस पास छायी रहती है मेरे चारों तरफ मुझे घेरे और हर कदम मेरे साथ चलती है मेरे साथ- साथ आगे बढ़ती है और मैं बस खुद को देख पाता हूँ इस 'अनकही' में मैं तुमको कहीं नहीं ©Pramod Pandey
10 Love
गर तू कयामत है तो हम भी दिन की तरह हैं देखेंगें तू कब आती है देखेंगें हम कब गुजरते है ©Pramod Pandey
वो ज़िंदगी ही क्या जिसमें कोई ख्वाहिश न हो और वो ख्वाहिश ही क्या जिसमें ज़िंदगी तबाह न हो ©Pramod Pandey
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