चांद की भी अपनी मजबूरियां है हर किसी की बातें सुन | हिंदी कविता

"चांद की भी अपनी मजबूरियां है हर किसी की बातें सुन चुप-चाप रह जाना इतना आसां नहीं किसी की आखों में उतर जाना इतना आसां नहीं बादलों से लड़-झगड़ कर किसी तरह खुद को रोशन कर जाना इतना आसां नही कई दाग ले कर चेहरे पर किसी निगाह का चांद बन जान इतना आसां नहीं चांद की भी अपनी मजबूरियां हैं ©Pramod Pandey"

 चांद की भी अपनी मजबूरियां है
हर किसी की
बातें सुन चुप-चाप रह जाना
इतना आसां नहीं
किसी की आखों में उतर जाना
इतना आसां नहीं
बादलों से लड़-झगड़ कर
किसी तरह
खुद को 
रोशन कर जाना 
इतना आसां नही
कई दाग ले कर चेहरे पर
किसी निगाह का चांद 
बन जान
 इतना आसां नहीं
चांद की भी अपनी मजबूरियां हैं

©Pramod Pandey

चांद की भी अपनी मजबूरियां है हर किसी की बातें सुन चुप-चाप रह जाना इतना आसां नहीं किसी की आखों में उतर जाना इतना आसां नहीं बादलों से लड़-झगड़ कर किसी तरह खुद को रोशन कर जाना इतना आसां नही कई दाग ले कर चेहरे पर किसी निगाह का चांद बन जान इतना आसां नहीं चांद की भी अपनी मजबूरियां हैं ©Pramod Pandey

#Chand ban jama

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