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जब से मेरे ख्वाबों में तू आने लगी है.....! मैं उस दिन से जल्दी सोने लगा हूं ।
जब कमियों से रूबरू हुए हम हमारी बैठ कर अकेले पश्च्ता रहे थे... कहीं न कहीं... बेवजह हद से ज्यादा विचार करना मुझे जला रहे थे...! ©#Kūsh_Mēhrã
#Kūsh_Mēhrã
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मैं कितना बुरा.... मैं कितना बुरा, मैं कितना अच्छा.. कितनी खामियां हैं मुझमें.. मैं झूठा भी हूं.. मगर मैं कितना सच्चा हूं...! अगर दुनियां की नज़रों से देखो.. तो लाखों बुराइयां होंगी मुझमें.. पर देखे जो मुझे मेरी मां... मैं सबसे अच्छा हूं...! ©#Kūsh_Mēhrã
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दास्तां मैं कब तक मेरे दिल में रखूं मेरी बातों को और कब तक झूठ बोलता रहूंगा इन रातों को । मैं बंद तो कर लेता हूं मेरी पलकों को पर सच बताऊं नींद नहीं है मेरी आंखों को ।। बहुत से राज दफ़न है मेरे सीने में.... अब तू ही बता मैं कैसे रखूं ख्याल मेरा मैं भी बयां करूं मेरे दिल की एक दास्तां किसी बहाने कोई पूछे तो हाल मेरा..….! ©#Kūsh_Mēhrã
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रोने की जिद्द करती हैं आंखें मेरी... पर होठ कहते हैं तू मुस्करा कर दिखा.. देख मेरी ज़िंदगी का पैमाना कितना अजीब है। मरने को दिल करता है कभी कभी.. पर जिम्मेवारी कहती है तू जी के दिखा... मैं तन्हा सा ज़िंदगी में... न कोई मेरा हबीब है।। जो देखता हूं ख़्वाब टूट जाते हैं मेरे मनाता हूं मैं अपनों को रूठ जाते हैं मेरे मैं आज बातें कर रहा था मेरे दिल से... उसने भी मुस्करा कर कहा... Kush तू कितना बदनसीब है।। बस यूं ही अल्फ़ाज़ लिख दिए मैंने.... छत पर बैठा था अकेला आज मैं.... तन्हा सा आज मैं...! ©#Kūsh_Mēhrã
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