दास्तां
मैं कब तक मेरे दिल में रखूं मेरी बातों को
और कब तक झूठ बोलता रहूंगा इन रातों को ।
मैं बंद तो कर लेता हूं मेरी पलकों को
पर सच बताऊं नींद नहीं है मेरी आंखों को ।।
बहुत से राज दफ़न है मेरे सीने में....
अब तू ही बता मैं कैसे रखूं ख्याल मेरा
मैं भी बयां करूं मेरे दिल की एक दास्तां
किसी बहाने कोई पूछे तो हाल मेरा..….!
©#Kūsh_Mēhrã
#Alive