कल तलक ठीक था, आज बदला बदला क्यों है ?
ये तेरे बोलने का अंदाज, बदला बदला क्यों है ?
आपके इस रवैये ने मुझे, हैरत में डाल रखा है ,
हुजूर आपका ये मिज़ाज, बदला बदला क्यों है ?
मनीष 'मयूर'
चाहत थी उछल के छूने की आसमां को,
पर उसके वास्ते बौना बना दिया ख़ुद को ।
उसे तो बस मुझसे खेलने की ख्वाईश थी, इसलिये मैंने खिलौना बना दिया ख़ुद को ॥
मनीष 'मयूर'
दिन में मुझको ख़्वाब दिखा कर चला गया ।
नींद मेरी आंखों से....उड़ा कर चला गया ॥
ये बात कल रात से समझा रहा हूँ दिल को ।
वो एक हवा का झोंका था आकर चला गया ॥
मनीष 'मयूर'
वास्ते तेरे अब दुनियाँ भूलाना चाहता हूँ ॥
तुझे इस क़दर दिल में बसाना चाहता हूँ ।
ला पीला दे मुझे चाहत की शराब सनम ।
तेरे इश्क़ के नशे में डूब जाना चाहता हूँ ॥
मनीष 'मयूर'
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