उस चमकते हुए #सूरज की #धूप में जल जाते हैं सभी, तुम उस आग में तप कर, एक बार फिर से जीना सीखो, #ऊँची #उड़ान भर कर डर से लौट जाते हैं सभी, तुम #आसमां में उड़ कर उसमें गुम हो जाना सीखो, बेशक है पैरों में बेड़ियां बंधी, #जख्मी पैरों तुम दुबारा दौड़ जाना तो सीखो, #मजबूर सही पर वक़्त से हारना नहीं तुम, एक बार इस #वक़्त को तुम भी हराना तो सीखो, उजालों में तो हर लम्हा साथ है ज़माना,
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#झूठी शान के #परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं , #तरक्की के बाज़ की #उड़ान में कभी आवाज नहीं होती. #आशिकी #शुभरात्रि #हंसिये_और_हंसाइए
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