Shashikant Yadav

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मुस्कुराहट पर तुम्हारी कई मरते होंगे, मगर मैं जी जाता हूँ। 😍

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When someone asks, how's life going... ? Me - जवाब नहीं , बस यही प्यास है... आज को बेहतर कल की तलाश है और मुस्कुराते हैं ये चेहरे की पड़ रही झुर्रियां... कुछ बाल सफेद है, और क्या बताए तुम्हे, क्या क्लेश है। मूक हैं मेरा दर्पण , जो कभी ख़ुद से गुफ्तगू किया करता था तल्ख़ की जार में डूबा मै, अर्थ की खोजें में खाली जेब है, और कैसे बताएं तुम्हे, क्या क्लेश है। ©Shashikant Yadav

 When someone asks,  how's life going... ?


Me -                       
जवाब नहीं , बस यही प्यास है...
आज को बेहतर कल की तलाश है
और मुस्कुराते हैं ये चेहरे की पड़ रही झुर्रियां...
कुछ बाल सफेद है, और 
क्या बताए तुम्हे, क्या क्लेश है।

मूक हैं मेरा दर्पण , 
जो कभी ख़ुद से गुफ्तगू किया करता था
तल्ख़ की जार में डूबा मै, 
अर्थ की खोजें में खाली जेब है, और 
कैसे बताएं तुम्हे, क्या क्लेश है।

©Shashikant Yadav

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12 Love

मन अटका अपना इस भवसागर में, मैं बिखरा, न जाने किस किनारे पर ©Shashikant Yadav

#thought #Poet  मन अटका अपना इस भवसागर में,
मैं बिखरा, न जाने किस किनारे पर

©Shashikant Yadav

#Poet #thought

17 Love

अर्ज किया है - यू ना नजरें झुकाकर, तिरक्षी निगाहों से देखा करो... दिल मे आघात होता है। मुस्कुराहट ही तेरी कातिलाना है... नजरों का वॉर, कहा बर्दास्त होता है। ©Shashikant Yadav

 अर्ज किया है -
यू ना नजरें झुकाकर, तिरक्षी निगाहों से देखा करो...
दिल मे आघात होता है।
मुस्कुराहट ही तेरी कातिलाना है...
नजरों का वॉर, कहा बर्दास्त होता है।

©Shashikant Yadav

#Poetry

9 Love

चाय और तुम न जाने बिछड़े हुए तुमसे, किनते बरस हो गए फिर भी ये बेचैनी क्यों छायी है... तुम मिलो किसी मोड़ पर... संग तुम्हारे एक कप चाय, पिने की तलब आयी है।। ©Shashikant Yadav

 चाय और तुम

न जाने बिछड़े हुए तुमसे, किनते बरस हो गए
फिर भी ये बेचैनी क्यों छायी है...
तुम मिलो किसी मोड़ पर...
संग तुम्हारे एक कप चाय, पिने की तलब आयी है।।

©Shashikant Yadav

चाय और तुम न जाने बिछड़े हुए तुमसे, किनते बरस हो गए फिर भी ये बेचैनी क्यों छायी है... तुम मिलो किसी मोड़ पर... संग तुम्हारे एक कप चाय, पिने की तलब आयी है।। ©Shashikant Yadav

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सर्कस सी है जिंदगी, वक्त ठहरा मदारी... कौन समझे, किसको समझाये, अज्ञात है जो, वक्त की जलसाज में... ढूंढ रहा है कवि मन, ख़ुद को ख़ुद की अल्फ़ाज में..!! ~SKY~ ©Shashikant Yadav

#TLASH❤️  सर्कस सी है जिंदगी, वक्त ठहरा मदारी...
कौन समझे, किसको समझाये,
अज्ञात है जो, वक्त की जलसाज में...
ढूंढ रहा है कवि मन, ख़ुद को ख़ुद की
अल्फ़ाज में..!!
                     ~SKY~

©Shashikant Yadav

तेरी झलक में दशासुमेध की आरती, अभाव में दूर समाहित ज़मीं-आसमाँ हो तुम... गोधुल में बिखरा शाम मैं, रवि के पहले किरण की पयाम हो तुम...।। ©Shashikant Yadav

#ख्यालात #Quotes  तेरी झलक में दशासुमेध की आरती,
अभाव में दूर समाहित ज़मीं-आसमाँ हो तुम...
गोधुल में बिखरा शाम मैं, रवि के पहले किरण की पयाम हो तुम...।।

©Shashikant Yadav
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