मन अटका अपना इस भवसागर में, मैं बिखरा, न जाने किस | हिंदी Poetry

"मन अटका अपना इस भवसागर में, मैं बिखरा, न जाने किस किनारे पर ©Shashikant Yadav"

 मन अटका अपना इस भवसागर में,
मैं बिखरा, न जाने किस किनारे पर

©Shashikant Yadav

मन अटका अपना इस भवसागर में, मैं बिखरा, न जाने किस किनारे पर ©Shashikant Yadav

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