चाय और तुम न जाने बिछड़े हुए तुमसे, किनते बरस हो ग | हिंदी Love

"चाय और तुम न जाने बिछड़े हुए तुमसे, किनते बरस हो गए फिर भी ये बेचैनी क्यों छायी है... तुम मिलो किसी मोड़ पर... संग तुम्हारे एक कप चाय, पिने की तलब आयी है।। ©Shashikant Yadav"

 चाय और तुम

न जाने बिछड़े हुए तुमसे, किनते बरस हो गए
फिर भी ये बेचैनी क्यों छायी है...
तुम मिलो किसी मोड़ पर...
संग तुम्हारे एक कप चाय, पिने की तलब आयी है।।

©Shashikant Yadav

चाय और तुम न जाने बिछड़े हुए तुमसे, किनते बरस हो गए फिर भी ये बेचैनी क्यों छायी है... तुम मिलो किसी मोड़ पर... संग तुम्हारे एक कप चाय, पिने की तलब आयी है।। ©Shashikant Yadav

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