सर्कस सी है जिंदगी, वक्त ठहरा मदारी... कौन समझे, क

"सर्कस सी है जिंदगी, वक्त ठहरा मदारी... कौन समझे, किसको समझाये, अज्ञात है जो, वक्त की जलसाज में... ढूंढ रहा है कवि मन, ख़ुद को ख़ुद की अल्फ़ाज में..!! ~SKY~ ©Shashikant Yadav"

 सर्कस सी है जिंदगी, वक्त ठहरा मदारी...
कौन समझे, किसको समझाये,
अज्ञात है जो, वक्त की जलसाज में...
ढूंढ रहा है कवि मन, ख़ुद को ख़ुद की
अल्फ़ाज में..!!
                     ~SKY~

©Shashikant Yadav

सर्कस सी है जिंदगी, वक्त ठहरा मदारी... कौन समझे, किसको समझाये, अज्ञात है जो, वक्त की जलसाज में... ढूंढ रहा है कवि मन, ख़ुद को ख़ुद की अल्फ़ाज में..!! ~SKY~ ©Shashikant Yadav

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