White आयु को या बच्चों पर दोषारोपण करके जीवन क्यों जीना है ? युवा रहते ध्यान देने से स्वयं की सीमाओं का ज्ञान रहता है, और तुलना से बचता हुआ व्यक्ति स्वयं के जीवन की चुनौतियों को सरल बना सकता है ।अभिभावकों के स्वयं के निर्णय अपनी संतान हेतु कभी सुखदाई होते हैं तो कभी दुःखदाई भी होते हैं । इसलिए इन्हीं के परिदृश्य में झांकना आवश्यक है ।
विकास के साथ परिवेश में परिवर्तन आना आवश्यक है । लेकिन किसी की अवस्था या परिस्थिति में मन के विचार , जीवन जीने के अंदाज़ अगर उनमें अनुशासन और सकारात्मकता हो को परिवर्तित कर देते हैं ।इसके लिए पीढ़ी के टकराव के कारण को समझना होगा ताकि दोनों का जीवन एक दूसरे के संरक्षण में शांति से व्यतीत हो सके ।
देखने में आता है कि वृद्ध पुरानी परिपाटी का राग अलापते रहते हैं क्योंकि वह समय के साथ बदलना नहीं चाहते ,इन्हीं बेमेल विचारों के कारण परिवारों में विघटन हो जाता है और वृद्धों को सड़कों पर या वृद्धाश्रम में जीवन काटना पड़ता है । इसलिए वृद्धों को अपने विचार और संतान को अपने संस्कार दोनों का समन्वय बनाकर एक दूसरे का साथ देना चाहिए ।
_____मेरी पुस्तक "वृद्धावस्था ( सामाजिक अध्ययन ) से एक अंश ---- रश्मि
©Lotus banana (Arvind kela)
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