White मैं मंदिर वहां बनाऊंगा!,
जहाँ मिले दीन का संग!,
मैं ढूंढू ईश्वर को उस जगह !,
जहाँ होती हो ना कोई जंग!,
मैं सदन उसी को बताऊंगा!,
जहाँ मिले वृद्ध को मान!,
मैं समाज तभी कहलाऊंगा!,
जब मुझ में हो नारी सम्मान!,
मैं मानव को वहीँ बसाउंगा!,
जहाँ हो मानवता में विश्वास!,
मैं भविष्य वही देख पाउंगा!,
जहाँ सच्चाई लेती हो साँस!
मैं उस सभ्यता का होके रह जाऊंगा!
शांति हो जिसकी पहचान!,
मैं हर दिन त्यौहार मनाऊंगा!,
जो विश्व हो जाए एक करने विश्वकल्याण!
©Abhishek Jha
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