White "जाति का जाल"
अच्छे हैं हमसे जानवर,
सादगी से जीते हैं जीवन।
न जात-पात का करते बखान,
न मन में रखते किसी का अपमान।
वे तो जंगल में भी साथ रहते हैं,
एकता के सुर में गीत कहते हैं।
न भेदभाव, न कोई दीवार,
सबका जीवन समान अधिकार।
पर इंसान ने बनाई ये रेखाएँ,
जाति-धर्म की ऊँची दीवारें खड़ी कराएँ।
अपने ही हाथों बँधा ये संसार,
हर कोने में छूट रहा है प्यार।
क्यों भूल गए हम इंसानियत को,
क्यों बाँट दिया अपने ईश्वर को?
नदी, पहाड़, ये धरती सिखाती,
सबके लिए है ये प्रकृति बाँटी।
चलो, अब तोड़ें ये जंजीरें,
जाति-धर्म की सब दीवारें।
फिर से गाएँ एकता का गीत,
सजाएँ मिलकर एक नया मीत।
अच्छे हैं हमसे जानवर,
पर इंसान हो सकता है बेहतर।
प्यार और समानता का संदेश फैलाएँ,
इस दुनिया को सचमुच इंसान बनाएँ।
💙जय भीम जय संविधान 🙏🏻
©Writer Mamta Ambedkar
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here