Rajiv

Rajiv

DOCTOR

  • Latest
  • Popular
  • Video
#कविता

81 View

#कविता

3,575 View

#कविता

3,538 View

#कविता

1,930 View

#कविता  तेरे सज़दे में आसमां को, 
तकती उदास निग़ाहों में,
मैंने आरज़ू बड़े शिद्दतो से की थीं।
बदलते पैरहन के शिकंजे में,
फिसलती बन्द मुठ्टीयों का सपना..
क्यों?अधूरा रह जाता है।
मैं जानता हूँ...कभी न कभी
मकसद पूरा हो न हो...
ज़िंदगी को जीने का सब़ब,
फिर से आ ही जाता है।
बन्द लिफाफे में पढ़ने को,
अभी बहुत कुछ है।
ज़िंदगी को जीने का सब़ब,
फिर से आ ही जाता है।
कल तक तन्हाई से डरता था,
तन्हाई में जीना आ ही जाता है।
एक तरफ है खुला आसमां,
उसपे है तेरी नज़रों का सरुर।
रंग बदलती इस दूनियां के,
बदलते पैरहन के शिकंजे में,
फिसलती.. बन्द मुठ्टीयों का सपना,
क्यों?अधूरा रह जाता है।-राजीव

©Rajiv

तेरे सज़दे में आसमां को, तकती उदास निग़ाहों में, मैंने आरज़ू बड़े शिद्दतो से की थीं। बदलते पैरहन के शिकंजे में, फिसलती बन्द मुठ्टीयों का सपना.. क्यों?अधूरा रह जाता है। मैं जानता हूँ...कभी न कभी मकसद पूरा हो न हो... ज़िंदगी को जीने का सब़ब, फिर से आ ही जाता है। बन्द लिफाफे में पढ़ने को, अभी बहुत कुछ है। ज़िंदगी को जीने का सब़ब, फिर से आ ही जाता है। कल तक तन्हाई से डरता था, तन्हाई में जीना आ ही जाता है। एक तरफ है खुला आसमां, उसपे है तेरी नज़रों का सरुर। रंग बदलती इस दूनियां के, बदलते पैरहन के शिकंजे में, फिसलती.. बन्द मुठ्टीयों का सपना, क्यों?अधूरा रह जाता है।-राजीव ©Rajiv

6,178 View

#कविता  कभी आकर तो देखो,
तुम्हारे दिए शब्द.. 
मेरे सामने कैसे और..
किस तरह इठलाती हैं। 
मेरे सामने नाचती हैं,
झुमती हैं और.....
मन्द-मन्द मुस्कुराती हैं।
तुम्हारा जिस्म और वो सांसें, 
तुम्हें दूर से छूकर,
कविता में तुम्हारे शब्दों में,
निस्तेज होकर..
मेरे पन्नों पर  लेट जाती हैं
जैसे पूछती हों ?
क्या तुम मुझे भूल गए हो ?
                               -राजीव.

©Rajiv

कभी आकर तो देखो, तुम्हारे दिए शब्द.. मेरे सामने कैसे और.. किस तरह इठलाती हैं। मेरे सामने नाचती हैं, झुमती हैं और..... मन्द-मन्द मुस्कुराती हैं। तुम्हारा जिस्म और वो सांसें, तुम्हें दूर से छूकर, कविता में तुम्हारे शब्दों में, निस्तेज होकर.. मेरे पन्नों पर लेट जाती हैं जैसे पूछती हों ? क्या तुम मुझे भूल गए हो ? -राजीव. ©Rajiv

14,868 View

Trending Topic