Naresh Chandra

Naresh Chandra

जीवन की गाड़ी का यही रूप है प्रेम की डोरी है जीवन सहारा।

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video
#शायरी  दिल के हालात पर काबू कैसे करे
पास होकर दूर हो कैसे सहन करे 
तनहाईयां सताने लगी जोर जोर से
धड़कने बेकाबू हो रही कैसे सहन करे।

©Naresh Chandra

दिल के हालात पर काबू कैसे करे पास होकर दूर हो कैसे सहन करे तनहाईयां सताने लगी जोर जोर से धड़कने बेकाबू हो रही कैसे सहन करे। ©Naresh Chandra

171 View

#विचार #standout  *“वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता कि उसने कितने पुष्प खो दिए वह सदैव नए फूलों के सृजन में व्यस्त रहता है जीवन में कितना कुछ खो गया इस पीड़ा को भूल कर क्या नया कर सकते हैं इसी में जीवन की सार्थकता है”*

©Naresh Chandra

#standout

132 View

#शायरी  नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए
होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए।
कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल
लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए।
जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए
रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए।
होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती
हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए।

©Naresh Chandra

नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए। कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए। जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए। होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए।

114 View

#कविता #navratri  🌹माता रानी से एक अरदास 🌹
नववर्ष का नया सवेरा
खुशियां फैली घर आंगन
अपनी संस्कृति से जुड़ा
देवी गीत गुंजा घर आंगन।

चैत्र महीना देवियों वाला
विनय करें सब मिलकर
अच्छा हो खुशहाल रहें सब
मां ऐसा हो मेरा नववर्ष।

मात् भवानी शेरावाली
दे दो भक्तों को वरदान
दुष्टों का न मान करे वो
नारियों का हो सम्मान।

नारियों को शक्ति दो माता
अपनी संस्कृति कभी न भूलें
तर्क कुतर्क में न पड़ करके
संस्कृति का सम्मान करें।

पुरूषों को बुध्दि दो माता
कभी न आते मन ब्याभिचार
सत्कर्मों से मान बढ़ायें
नारी का न करें अपमान।

©Naresh Chandra

#navratri 🌹माता रानी से एक अरदास 🌹 नववर्ष का नया सवेरा खुशियां फैली घर आंगन अपनी संस्कृति से जुड़ा देवी गीत गुंजा घर आंगन। चैत्र महीना देवियों वाला

113 View

#विचार  वीर सावरकर जी को 7 X 11 साईज़ की कोठरी में रखा था, जिसमे सीमेंट की पक्की जमीन थी । ठण्ड हो या गर्मी उसी पर सोना है । इसी कोठरी के एक कोने में खुले में शौच और पेशाब करना है ।  गले-हाथ और पैरों में बेड़ियाँ लगी रहेंगी उसी स्थिति में, जो भी और जैसा भी मिले, वैसा भोजन करना है ।
 फिर इसी स्थिति में बैल की तरह कोल्हू में लगकर तेल निकालना पड़ता था ।

पूरी जेल में बेहद दुबले-पतले सावरकर एकमात्र ऐसे कैदी थे, जिनके गले में अंग्रेजों ने तांबे की पट्टी लटका रखी थी, जिस पर "D" लिखा हुआ था ।
 D यानी Dangerous... वही एकमात्र कैदी थे, जिसे अंग्रेज "डेंजरस" मानते थे और यह चक्र चला पूरे 11 साल तक,
जी हाँ पूरे ग्यारह वर्ष तक.. चला ।।
प्रतिलिपि. 
    
राहुल गांधी तुम 10 जन्म ले लो कभी वीर सावरकर नही बन सकते और हां, रही सही कांग्रेस को जब तक पूरी खत्म नही कर देगा तब तक चैन से नहीं बैठेगा ।

©Naresh Chandra

वीर सावरकर जी को 7 X 11 साईज़ की कोठरी में रखा था, जिसमे सीमेंट की पक्की जमीन थी । ठण्ड हो या गर्मी उसी पर सोना है । इसी कोठरी के एक कोने में खुले में शौच और पेशाब करना है । गले-हाथ और पैरों में बेड़ियाँ लगी रहेंगी उसी स्थिति में, जो भी और जैसा भी मिले, वैसा भोजन करना है । फिर इसी स्थिति में बैल की तरह कोल्हू में लगकर तेल निकालना पड़ता था । पूरी जेल में बेहद दुबले-पतले सावरकर एकमात्र ऐसे कैदी थे, जिनके गले में अंग्रेजों ने तांबे की पट्टी लटका रखी थी, जिस पर "D" लिखा हुआ था । D यानी Dangerous... वही एकमात्र कैदी थे, जिसे अंग्रेज "डेंजरस" मानते थे और यह चक्र चला पूरे 11 साल तक, जी हाँ पूरे ग्यारह वर्ष तक.. चला ।। प्रतिलिपि. राहुल गांधी तुम 10 जन्म ले लो कभी वीर सावरकर नही बन सकते और हां, रही सही कांग्रेस को जब तक पूरी खत्म नही कर देगा तब तक चैन से नहीं बैठेगा । ©Naresh Chandra

190 View

#कविता  प्राणेश के प्रेम में पागल हो 
अंखियां अश्रु टपकाती हैं, 
तुम दूर दूर जो रहते हो, 
यामिनी भी हंसी उड़ाती हैं। 

प्रतिपल हरपल है आस लगी 
अंखिया प्यासी रहती हैं 
मदगंध मे ब्याकुल हृदय हुआ 
तुमको ही ढूंढा करती हैं।

अमंवा की डाली बौर चढ़ी 
बौराईल मोरा जियरवा है
आ भी जाओ प्राणप्रिये 
मधुमास की स्वर्णिम बेला है।

हृदयस्थल से निकली तरंग, 
तरंगों के सहारे आ जाओ 
मनभावन मौसम की पुकार 
हृदय में धूम मचावत है।

 बसंत पंचमी पर आप सभी को हृदयाँचल से शुभकामनाएँ। 
🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐
स्वरचित ✍️
नरेश चन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा

©Naresh Chandra

प्राणेश के प्रेम में पागल हो अंखियां अश्रु टपकाती हैं, तुम दूर दूर जो रहते हो, यामिनी भी हंसी उड़ाती हैं। प्रतिपल हरपल है आस लगी अंखिया प्यासी रहती हैं मदगंध मे ब्याकुल हृदय हुआ

114 View

Trending Topic