Naresh Chandra

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जीवन की गाड़ी का यही रूप है प्रेम की डोरी है जीवन सहारा।

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रिम-झिम बरखा की फुहार मन में जगी मिलन की आस दिल में उठी उमंग हजार सजन तुम आन मिलो अब रे। मौसम मस्त मतवाला उठी उर-अंतर में ज्वाला बहारें करती यही पुकार सजन तुम आन मिलो अब रे। प्यारा पपीहा धुन ये सुनाये पियू पियू करके दिल है जलाये पिया जी आन मिलो अब रे सजन तुम आन मिलो अब रे। स्वरचित ✍️ नरेशचन्द्र"लक्ष्मी" फरीदाबाद हरियाणा। ©Naresh Chandra

#कविता  रिम-झिम बरखा की फुहार
मन में जगी मिलन की आस
दिल में उठी उमंग हजार
सजन तुम आन मिलो अब रे।

मौसम मस्त मतवाला
उठी उर-अंतर में ज्वाला
बहारें करती यही पुकार
सजन तुम आन मिलो अब रे।

प्यारा पपीहा धुन ये सुनाये
पियू पियू करके दिल है जलाये
पिया जी आन मिलो अब रे
सजन तुम आन मिलो अब रे।
स्वरचित ✍️
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा।

©Naresh Chandra

#Life

11 Love

#कविता #KhulaAasman  मन की विह्वलता को, कैसे समझाऊं 
डूबते-उतराते भाव मन के,कैसे समझाऊं 
व्यथा में व्यथित मन, छ्लनी सा हो रहा
सागर सम कोलाहल को, कैसे समझाऊं।

निरवता ब्याप्त रही, मन के आंगन में
घोर तिमिर अंधकार, छा रहा जीवन में
प्रेम की ज्वाला में,धधक रहा  पोर पोर
तिल तिल मैं मर रही,जीवन की चाह में।

छिन रही है जिंदगी,प्यार की अतिरेक में
पिघल रही चांदनी,चांद की अवहेलना में
धीरे-धीरे चांदनी भी, कुम्हला रही है 
बेवफा चांद भाग रहा,बादलों की ओट में।
स्वरचित ✍️
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा

©Naresh Chandra

#KhulaAasman

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#शायरी  दिल के हालात पर काबू कैसे करे
पास होकर दूर हो कैसे सहन करे 
तनहाईयां सताने लगी जोर जोर से
धड़कने बेकाबू हो रही कैसे सहन करे।

©Naresh Chandra

दिल के हालात पर काबू कैसे करे पास होकर दूर हो कैसे सहन करे तनहाईयां सताने लगी जोर जोर से धड़कने बेकाबू हो रही कैसे सहन करे। ©Naresh Chandra

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मुहब्बतों के खिलाड़ी लाजवंती सी है वो लजाई हुई सुर्ख गालों पे लाली छायी हुई नयन शर्मा के गालों को हैं देखते तबस्सुम से रौनक है छायी हुई। लफ़्ज़ों ने कुछ ऐसा जादू किया मुहब्बत की कैद में फंसती गई पता जब चला देर हो गई बहुत मुहब्बत के टुकड़ों में मैं बंट गई। अम्मा अब्बू ने समझाया था बहुत पढ़ लिखकर भी जाहिलों में फंस गई मुहब्बत थी या फिर हवस जिस्म की अपने इरादों पर न मैं टिक सकी। स्वरचित ✍️ नरेशन्द्र"लक्ष्मी" फरीदाबाद हरियाणा ©Naresh Chandra

#कविता  मुहब्बतों के खिलाड़ी

लाजवंती सी है वो लजाई हुई 
सुर्ख गालों पे लाली छायी हुई
नयन शर्मा के गालों को हैं देखते
तबस्सुम से रौनक है छायी हुई।

लफ़्ज़ों ने कुछ ऐसा जादू किया
मुहब्बत की कैद में फंसती गई 
पता जब चला देर हो गई बहुत
मुहब्बत के टुकड़ों में मैं बंट गई।

अम्मा अब्बू ने समझाया था बहुत
पढ़ लिखकर भी जाहिलों में फंस गई
मुहब्बत थी या फिर हवस जिस्म की
अपने इरादों पर न मैं टिक सकी।
स्वरचित ✍️
नरेशन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा

©Naresh Chandra

मुहब्बतों के खिलाड़ी लाजवंती सी है वो लजाई हुई सुर्ख गालों पे लाली छायी हुई नयन शर्मा के गालों को हैं देखते तबस्सुम से रौनक है छायी हुई। लफ़्ज़ों ने कुछ ऐसा जादू किया मुहब्बत की कैद में फंसती गई पता जब चला देर हो गई बहुत मुहब्बत के टुकड़ों में मैं बंट गई। अम्मा अब्बू ने समझाया था बहुत पढ़ लिखकर भी जाहिलों में फंस गई मुहब्बत थी या फिर हवस जिस्म की अपने इरादों पर न मैं टिक सकी। स्वरचित ✍️ नरेशन्द्र"लक्ष्मी" फरीदाबाद हरियाणा ©Naresh Chandra

8 Love

#कविता #forbiddenlove  रिलेशनशिप से होशियार रहना
😥😥😥😥😥😢
इश्क का दामन पकड़
फिर छोड देता है 
रूसवाईयों के भंवर मे,
अकेले ढ़केल देता है।
मुहब्बत में फंसाकर
कत्लेआम है करता 
जिस्म रौंद कर फिर
बोटी बोटी करता है।
इश्क में जालिम ने मेरे
टुकड़े टुकड़े कर दिए
आत्मा भटकती सभी से
कह रही होशियार रहना है।
स्वरचित ✍️
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा

©Naresh Chandra
#विचार #standout  *“वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता कि उसने कितने पुष्प खो दिए वह सदैव नए फूलों के सृजन में व्यस्त रहता है जीवन में कितना कुछ खो गया इस पीड़ा को भूल कर क्या नया कर सकते हैं इसी में जीवन की सार्थकता है”*

©Naresh Chandra

#standout

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