नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए
होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए।
कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल
लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए।
जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए
रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए।
होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती
हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए।
प्राणेश के प्रेम में पागल हो
अंखियां अश्रु टपकाती हैं,
तुम दूर दूर जो रहते हो,
यामिनी भी हंसी उड़ाती हैं।
प्रतिपल हरपल है आस लगी
अंखिया प्यासी रहती हैं
मदगंध मे ब्याकुल हृदय हुआ
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