नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए
होठों को अपनी
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#शायरी  नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए
होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए।
कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल
लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए।
जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए
रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए।
होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती
हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए।

©Naresh Chandra

नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए। कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए। जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए। होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए।

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