Pramod Mishra

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चाँद हो तुम ये हमको पता है, चकोर भी हो किसको पता है, पर मुहब्बत अपनी सबको पता है

#शायरी  चाँद हो तुम  ये हमको पता है,

चकोर भी हो किसको पता है, 

पर मुहब्बत अपनी सबको पता है

मुहब्बत की इम्तिहान_कहां होती आसान

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अजीब दास्ताँ है ये, कहां शुरू कहां खतम, ये मंजिलें हैं कौन सी ना तुम समझ सके ना हम.....!!

#भावनायें #शायरी  अजीब दास्ताँ है ये, कहां शुरू कहां खतम, ये मंजिलें हैं कौन सी
ना तुम समझ सके ना हम.....!!

दर्द क्या होता है ये तुम क्या जानो मुहब्बतों को पढ़ते- पढ़ते मैं कातिब हो गया जब तुमने ठुकराया मुझे, तो सब्र मेरा हर के मुखातिब हो गया रख देती जो हाथ कंन्धे पे मेरी फिर ना कहता तुम्हें तू क्या थी और मैं क्या हो गया

#शायरी  दर्द क्या होता है ये तुम क्या जानो
मुहब्बतों को पढ़ते- पढ़ते मैं कातिब हो गया
जब तुमने ठुकराया मुझे, तो सब्र मेरा
हर के मुखातिब हो गया 
रख देती जो हाथ कंन्धे पे मेरी
फिर ना कहता तुम्हें
तू क्या थी और मैं क्या हो गया

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RIP Sushma Swaraj कश्मीरियों को सुषमा-दी का पैगाम...... खुबसूरत वादियां तेरे दामन बसर कर आए हैं खूनों से सनी धरती को मेंहदी रंग आए हैं तोड़ दी हमने "तीन सौ सत्तर" की जंजीरों को तू रह बसर कर ऐ मेरे........... "हमनवा" अपनी "ज़िगर" तुझे नज़र कर आए हैं ।

 RIP Sushma Swaraj कश्मीरियों को सुषमा-दी का पैगाम......

खुबसूरत वादियां तेरे दामन बसर कर आए हैं
खूनों से सनी धरती को मेंहदी रंग आए हैं
तोड़ दी हमने "तीन सौ सत्तर" की जंजीरों को
तू रह बसर कर ऐ मेरे........... "हमनवा"
अपनी "ज़िगर" तुझे नज़र कर आए हैं ।

अनमोल सपने

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कश्मीरियों को पैगाम...... खुबसूरत वादियां तेरे दामन बसर कर आए हैं खूनों से सनी धरती को मेंहदी रंग आए हैं तोड़ दी हमने "तीन सौ सत्तर" की जंजीरों को तू रह बसर कर ऐ मेरे "हमनवा" अपनी "ज़िगर" तुझे नज़र कर आये हैं

#महफूज़_हो_गई_जन्नत #शायरी  कश्मीरियों को पैगाम......
खुबसूरत वादियां तेरे दामन बसर कर आए हैं
खूनों से सनी धरती को मेंहदी रंग आए हैं
तोड़ दी हमने "तीन सौ सत्तर" की जंजीरों को
तू रह बसर कर ऐ मेरे "हमनवा"
अपनी "ज़िगर" तुझे नज़र कर आये हैं

लभेरिया की फ़ितरत.. आज कल प्यार सिर से उपर बहता जा रहा है कोई मेरा बाबू, सोना, बूच्चू, बेबी, बुला रहा है इश्क़ का फ़तूर उतरा तो शायर बन जा रहा है या बनके कवि, कविता या ग़ज़ल गा रहा है

#इश्क़ #विचार  लभेरिया की फ़ितरत..
आज कल प्यार सिर से उपर बहता जा रहा है
कोई मेरा बाबू, सोना, बूच्चू, बेबी, बुला रहा है
इश्क़ का फ़तूर उतरा तो शायर बन जा रहा है
या  बनके कवि, कविता  या  ग़ज़ल गा रहा है

#इश्क़ का फ़ितरत

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