लभेरिया की फ़ितरत.. आज कल प्यार सिर से उपर बहता जा | हिंदी विचार
"लभेरिया की फ़ितरत..
आज कल प्यार सिर से उपर बहता जा रहा है
कोई मेरा बाबू, सोना, बूच्चू, बेबी, बुला रहा है
इश्क़ का फ़तूर उतरा तो शायर बन जा रहा है
या बनके कवि, कविता या ग़ज़ल गा रहा है"
लभेरिया की फ़ितरत..
आज कल प्यार सिर से उपर बहता जा रहा है
कोई मेरा बाबू, सोना, बूच्चू, बेबी, बुला रहा है
इश्क़ का फ़तूर उतरा तो शायर बन जा रहा है
या बनके कवि, कविता या ग़ज़ल गा रहा है