अक्सर जीवन से किसी के चले के बाद, कुछ दिनों-महीनों में हम आखिर कोशिश करते है सब ठीक हो जाये। और धीरे धीरे पुरानी यादें धुंधली पड़ने लगती है। हम फिर से वही दिनचर्या का हिस्सा बनने लगते है, फिर से लोगो से घुलने मिलने लगते है, बातें करते है, हँसते है, घूमते है। सब कुछ ऐसा लगने लगता, असल मे दिखने लगता कि सब नॉर्मल हो गया है। हम पिछली बातों को भुलाकर आगे बढ़ रहे है।
......लेकिन वास्तविकता में अधिकतर लोग दो दुनिया मे जीने लगते है। एक जो सबको दिखाई दे रही, और एक जिसमे केवल और केवल वो और उनकी यादें होती। जो हरपल साथ ही जुड़ी होती और जैसे ही आसपास लोग छटने लगते, उनका खालीपन हावी हो जाता, जैसे कभी कुछ नॉर्मल हुआ ही नही था,,,, वो अब भी उस व्यक्ति के चले जाने से टूटे हुए, बिखरे हुए जस के तस खड़े होते है,,इंतज़ार में.....जीवन से चले जाने वाले लोग छोड़े गए व्यक्ति को बाइपोलर कर के चले जाते है।
......आज दुनिया ऐसे बाइपोलर लोगो से भरी पड़ी है......शायद हम में से हर दूसरा व्यक्ति दो जिंदगी ही जी रहा है, एक खुद की जो शून्य समान है, दूसरी दुनिया के लिए,,,,जहां हम केवल सांस ले रहे है, मशीन की तरह काम कर रहे है......!!!?
©CA Priyan Pandey
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