रूठूंगा में तुमसे एक दिन इस बात पे;
जब रूठा था तो मानाया क्यू नहीं ।
कहते थे तुम तो करते हो प्यार मुझसे
जो दिखाया मैने नखरा तो उठाया क्यू नहीं ।।
मुहँ फेर कर जब खड़ा था मैं वहां;
बुलाकर पास सीने से लगाया क्यू नहीं ।
पकड़ कर तेरा हाथ पूछूंगा तुमसे:
हक अपना मुझ पर तुमने जताया क्यू नहीं।।
इस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो था ,
उलझा था अगर मुझसे तो तुमने सुलझाया क्यू नहीं
©CA Priyan Pandey
#samay