बदनाम

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कुछ ख़ास लिख रहा हूँ....

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White कितने ख़ामोश हैं हम उतने ही खामोश, तुम भी वहा। मन की लहरें गोते खाएं और रातें भी सो जाएं दर्पण निहारे चांदनी रात और नैन बने सूखे ताल श्याही चमके चेहरे पर कोरा कागज़ करे मन की बात ©बदनाम

 White कितने ख़ामोश हैं हम
उतने ही खामोश, तुम भी वहा।
मन की लहरें गोते खाएं 
और रातें भी सो जाएं
दर्पण निहारे चांदनी रात
और नैन बने सूखे ताल
श्याही चमके चेहरे पर
कोरा कागज़ करे मन की बात

©बदनाम

उतने ही खामोश, तुम भी वहा।

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लागी कुत्क्याली।

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 White ज़िंदगी के सफर में
बहुत आगे निकल आया हु
तुम्हारा लिखा हुवा वो खत
आज भी पुराने दिनों की
याद दिलाता है

©बदनाम

सफ़र

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 White आखरी बस से उसे विदा कर आया हु
घर में ख़ामोशी है
और
रातें लंबी
हमारे गांव का
वो आखरी बच्चा
आज शहर
जा रहा है

©बदनाम

गांव

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 White तू साथ है, पर तुझे पा भी न सका,
तेरे पास होते हुए भी, मैं खुद से दूर हूँ।

"वो बोली, "कभी मुझसे नफ़रत की?"
मैंने कहा, "नफ़रत? नहीं, वो भी कहाँ होती है,
तू मेरी नफरत में भी मोहब्बत है,
तेरे बिना ये जख़्म बेमानी है,
और तेरे साथ ये ज़िन्दगी अधूरी है।

"वो चुप हुई, आँखों में एक खामोश सवाल,
मैंने कहा, "तू मदीरा है, पर मैं भी एक शायर हूँ,
हम दोनों अधूरे हैं, पर एक-दूसरे से पूरे,
तू मेरे अशआर की खुशबू है,
और मैं तेरे नशे की तन्हाई।"

©बदनाम

मैं तेरे नशे की तन्हाई

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 White रात की गहराइयों में अक्सर हम मिले,  
दोस्ती के नाम पर ख़्वाबों में गुम हुए।  

किसी रिश्ते का नाम कभी न लिया,  
बस चुपचाप उस खेल में डूबते रहे।  

मुद्दतों तक ये सिलसिला यूँ ही चलता रहा,  
लबों पे हंसी, दिलों में एक अफ़साना रहा।  

मोहब्बत का ज़िक्र हमने कभी किया नहीं,  
दोस्ती की आड़ में खेल चलता रहा कहीं।  

अब जब तन्हाईयों में ख़यालों का जिक्र है,  
दोस्ती के उस लिबास में मोहब्बत की फिक्र है।

©बदनाम

दोस्ती के उस लिबास में मोहब्बत की फिक्र है।

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