चलो मिलकर दिवाली हम मनाते हैं
कथा श्री राम जी की हम सुनाते है
सभी सुख छोड़कर वो चल दिये वन को
चलो वापस उन्हें फिर हम बुलाते हैं
🙏दिपावली की हार्दिक शुभकामनाए🙏
मुसाफिर रोहित पाल
मिला करते थे जहाँ हम तुम ठिकाना याद है तुमको
सुना है उस जगह कोई नही अब और जाता है
तुम्हारी पैर की पायल खनकती है वहाँ अब भी
गुजरता हूँ वहाँ से जब सुनाई शोर आता है
मुसाफिर रोहित पाल
तुम्हारी बात करता हूँ जमाने से
जमाना फिर मुझे शायर समझता है
4 Love
मैं क्यो लिखता हूँ
जब घर से दूर
एक बंद कमरे में
खुद को अकेला महसूस करता हूँ
मैं तब लिखता हूँ
जब रात को नींद नही आती
करवटें बदलते हुये
सोने की कोशिश करता हूँ
फिर माँ की सुनाई लोरियाँ याद आती है
मैं तब लिखता हूँ
जब मुझे चारो ओर से
परेशानीयां जकड लेती है
अपने कार्य में बार बार असफल होता हूँ
फिर पिता का दिया हौसला याद आता है
मैं तब लिखता हूँ।
मुसाफिर रोहित पाल
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