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White तू मलमल की मुलायम मसलन सी, मैं दरिया के किनारे का कंकड़। तू तितली के कोमल पंखों सी, मैं सूखे पेड़ की छाल कोई ।। तेरे दो नीले गहरे नैन, मेरी आंखे दो बीहड़ सी। तेरा नख शीष मनभावन है, मेरी काया कुछ फूहड़ सी।। मेरी स्वप्न शकुन्तला तू बन जाए, मिल जाए जो तेरा प्रेम अधर। जो मुझको छूले तू आज अगर, बन इत्र सुवास मैं जाऊं बिखर।। ©ANKIT

#लव #Shiva  White तू मलमल की मुलायम मसलन सी, मैं दरिया के किनारे का कंकड़।
तू तितली के कोमल पंखों सी, मैं सूखे पेड़ की छाल कोई ।।

तेरे दो नीले गहरे नैन, मेरी आंखे दो बीहड़ सी।
तेरा नख शीष मनभावन है, मेरी काया कुछ फूहड़ सी।।

मेरी स्वप्न शकुन्तला तू बन जाए, मिल जाए जो तेरा प्रेम अधर।
जो मुझको छूले तू आज अगर, बन इत्र सुवास मैं जाऊं बिखर।।

©ANKIT

#Shiva

12 Love

White शाश्वत, सिंह, शर्पान बना मैं, उभचर, नभचर, श्वान बना मैं। बना कभी गोचर नभतारा, कभी निर्जीव पाषाण बना मैं।। कभी जीव जीवचर खान लगा, कभी बल बुद्धि का अभिमान लगा।। कभी दंतक दो में विष लिए, कभी हाथ पैर छत्तीस लिए।। मदकल, मूस्टक, नन्ही बिलैया, कीट- कीटाणु, शुद्धक गैया।। हस्त, पद, काया आकार, नश्वर शरीर, नाना प्रकार।। वाचाल, मंद और मौनियों में, लाख चौरासी योनियां में।। मन भटक भटक, तन भटक भटक मायासागर में, मैं गया अटक।। मेरी निराधार कश्ती को, हे भगवन आधार लगाओ, मोहन प्यारे उद्धार लगाओ, मेरी नौका अब पर लगाओ।। जीव विक्षिप्त हुआ अब, इस तन से, पुनर पुनर जीवन मरण से। एक आखिरी अरदास है प्यारे, निर्बल तेरा दास है प्यारे, अपने कर से इसे संभाल, नेकि कर दरिया में डाल।। पुनरपि जननं पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनम् | इह संसारे बहु दुस्तारे, कृपयाऽपारे पाहि मुरारे ‖ ©ANKIT

#कविता #GoodMorning  White शाश्वत, सिंह, शर्पान बना मैं,
उभचर, नभचर, श्वान बना मैं।
बना कभी गोचर नभतारा,
कभी निर्जीव पाषाण बना मैं।।

कभी जीव जीवचर खान लगा,
कभी बल बुद्धि का अभिमान लगा।।

कभी दंतक दो में विष लिए, 
कभी हाथ पैर छत्तीस लिए।।
मदकल, मूस्टक, नन्ही बिलैया,
कीट- कीटाणु, शुद्धक गैया।।

हस्त, पद, काया आकार, 
नश्वर शरीर, नाना प्रकार।।

वाचाल, मंद और मौनियों में,
लाख चौरासी योनियां में।।
मन भटक भटक, तन भटक भटक
मायासागर में, मैं गया अटक।।

मेरी निराधार कश्ती को, हे भगवन आधार लगाओ,
मोहन प्यारे उद्धार लगाओ, मेरी नौका अब पर लगाओ।।

जीव विक्षिप्त हुआ अब, इस तन से, 
पुनर पुनर जीवन मरण से।

एक आखिरी अरदास है प्यारे, निर्बल तेरा दास है प्यारे,
अपने कर से इसे संभाल, नेकि कर दरिया में डाल।।

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनम् |
इह संसारे बहु दुस्तारे, कृपयाऽपारे पाहि मुरारे ‖

©ANKIT

#GoodMorning

9 Love

#मोटिवेशनल #Moon  White गहरे जख्मों को जो पीछे अब तुम छोड़ आए हो, नयी चोंटो के घावों को मुसलसल छोड़ ही दोगे।

निश्छल प्रेम बंधन की, निरंतर धार को है छोड़ा, दिखावटी रिश्तों को भी तुम एक दिन छोड़ ही दोगे।

छोड़ आए हो बेबाक जहाजो को तूफ़ानी दरिया में, इन डगमगाती नौकाओं को यकीनन छोड़ ही दोगे।

ना गुरुर कर मुर्शीद खरीते के चार आने पर, उम्र भर की कमाई तुम पीछे छोड़ आए हो।

वो मकसद जिसके खातिर छोड़ी है, चौखट पर बिलखती माँ तुमने, दुनिया भर के एबों को क्या पीछे छोड़ पाओगे..?

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#Moon

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#कविता

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