White बात करें तो किस्से करें,
चाँद से कहें या तारे गिनें।
दिल की बातें दिल में रहीं,
कहने को अब किसको चुनें।
सन्नाटा संग बैठा है,
खामोशी की ये गहरी धुनें।
साया भी अब दूर खड़ा,
सुनने को तैयार न सुनें।
दरख़्तों से कहें या हवाओं से,
पत्तों की सरगोशियों से गुनें।
मगर ये सच्चाई कोई जाने,
शब्द नहीं बस आहें बुनें।
मन के भीतर ज्वालामुखी,
मगर बाहर न कोई कहें।
जो कह दें, तो क्या होगा,
कोई क्या समझे, कोई क्या सहें।
तो बात करें तो किस्से करें,
खुद से कहें या खुद को सुनें।
शायद ये चुप्पी भी बोल उठे,
और गहरे सवाल सुलझें।
©Avinash Jha
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