Ruchi Jha

Ruchi Jha Lives in Noida, Uttar Pradesh, India

एक नाव वो मयस्सर जिसे किनारा नहीं.........

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White नये मकानों को ढूंढ रहे हैं, अपना घर छोड़ने के बाद। गैरों पर ऐतबार बढ़ चला हैं, अपनों का साथ छोड़ने के बाद। काली रातों की ठंडक अच्छी लगने लगी हैं, दिन में जलते सूरज के ताप से तपने के बाद। मोड़दार रास्तों के आदी हो चुके हैं, सीधे पथों पर चलकर भी खोने के बाद। गुमनाम होने में मज़ा आने लगा हैं, कभी महफ़िलों की शान होने के बाद। उम्मीद की लकीरें कोरे कागज़ों पर भी दिखने लगी हैं, उम्दा हर्फ से सजे किताबों से नाउम्मीदी के बाद। ©Ruchi Jha

#कविता #hindipoetry #moonlight #Random #sukun  White नये मकानों को ढूंढ रहे हैं,
अपना घर छोड़ने के बाद।

गैरों पर ऐतबार बढ़ चला हैं,
अपनों का साथ छोड़ने के बाद।

काली रातों की ठंडक अच्छी लगने लगी हैं,
दिन में जलते सूरज के ताप से तपने के बाद।

मोड़दार रास्तों के आदी हो चुके हैं,
सीधे पथों पर चलकर भी खोने के बाद।

गुमनाम होने में मज़ा आने लगा हैं,
कभी महफ़िलों की शान होने के बाद।

उम्मीद की लकीरें कोरे कागज़ों पर भी दिखने लगी हैं,
उम्दा हर्फ से सजे किताबों से नाउम्मीदी के बाद।

©Ruchi Jha

एक बाग हैं अनोखा, जिसके माली हैं हम, खिल रही हैं कुछ कलियां, पहले से खिले हुए हैं कुछ फूल, नाजुक कुछ इतने, महज फूंक से भी, जमीं पर आ गिरे, कुछ कठोर इस कदर, आ जाए तूफान भी तो, टस से मस न हो, मुख मोड़ना हैं, किसी का, करनी हैं जगह में, तब्दीली किसी की, मिल पाए सबको जरूरतों से, खाद, मिट्टी, धूप, हवा, पानी, सींचने की ये कला हैं सीखनी। ©Ruchi Jha

#Blooming #Flower #Deep  एक बाग हैं अनोखा,
 जिसके माली हैं हम,
खिल रही हैं कुछ कलियां,
पहले से खिले हुए हैं कुछ फूल,
नाजुक कुछ इतने,
महज फूंक से भी,
जमीं पर आ गिरे,
कुछ कठोर इस कदर,
आ जाए तूफान भी तो,
टस से मस न हो,
मुख मोड़ना हैं,
किसी का,
करनी हैं जगह में,
तब्दीली किसी की,
मिल पाए सबको जरूरतों से,
खाद, मिट्टी, धूप, हवा, पानी,
सींचने की ये कला हैं सीखनी।

©Ruchi Jha

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#कविता #दीवार  दीवारें

तुम्हारी अहमियत बहुत हैं,
बेशकीमती जरूरत हो तुम,
हमारे न जाने कितने,
राज़ दफन करते हो तुम।

जमाना गुजरा, वक्त बदला,
अनेक रूप में हमे मिले तुम,
ठोकरें जब भी लगी हो,
मरहम लगाने आए तुम,

निःसंकोच सब कह देते हैं,
सामने जब होते तुम,
चट्टान बनकर सदा रहना,
किसी राह में अलहदा न कर देना तुम।

©Ruchi Jha

#दीवार कविताएं हिंदी कविता हिंदी कविता कविता कोश

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#शायरी #RandomThought #Randomlife #Hindi  White जुड़ा हैं वो कुछ इस कदर,
की अब टूटा तो सिर्फ बिखरेंगे,
गुंजाइश संभल कर चलने की नहीं,
या तो डूबेंगे या डुबा देंगे।

या तो कमज़ोर करने की साजिशें ही होंगी,
या एक मुकम्मल जहां बनाएंगे,
बीच का सौदा होगा नहीं,
एक किनारे पर कश्ती को थमायेंगे।

©Ruchi Jha
#विचार #Death  मृत्यु 

एक शाश्वत सत्य,

जिसे न नकारा जा सका कभी,
न नकार सकते कभी,

तय तो कुछ भी नहीं,
न उम्र, न जगह, न हालात ...

अपेक्षायें फिर भी इस मानव शरीर से,
आए हैं जब इस लौकिक संसार में,

पूरे करे अपने हिस्से की 
जिम्मेदारियां, सब नहीं, तो आधी, 

फिर आए, तो आए ये, 
एक उम्र के बाद।

©Ruchi Jha

#Death

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#कोट्स #Afsane #kisse  White तेरी इनायत से खुद को
 नवाज़ने चले थे,
कुछ पल के लिए,
बक्श दी तूने ऐसी सज़ा कि,
किनारा करने लगे अब,
तुझसे हर पल के लिए।

©Ruchi Jha

#Afsane #kisse

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