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Ruchi Jha

Ruchi Jha Lives in Noida, Uttar Pradesh, India

एक नाव वो मयस्सर जिसे किनारा नहीं.........

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#कविता #deep_thoughts #HindiPoem #quaotes #Hindi  उथल- पुथल

करवटें बदलते रहे,
पर नींद कहां आनी हैं,
मस्तिष्क में तरंगों की,
 उथल- पुथल मच चुकी,
वो कहां इतनी जल्दी भला,
शांत होने वाली हैं।

जुल्म, बेबसी, हैवानियत,
मक्कारी,अराजकता, शोषण
कि दुनिया में अभी तो,
कुछ कदम ही चले हो बस,
इतनी जल्दी टूट कर गर बिखर जाओगे,
तो मैदान-ए-जंग फतह कैसे कर पाओगे।

आवाज बुलंद करना न सीखा हो,
किसी कोने में सिसकियों की आदत हो,
सब कुछ भूल कर फिर से सीखना तुम,
तोड़ना उन सब बंदिशों को,
जो बस एक जिंदा लाश बनकर,
गर नहीं रहना चाहते तुम।

©Ruchi Jha
#कविता #hindiquotes #HindiPoem #Hindi  Unsplash गुनहगार 

नए हो, कमजोर हो,
 ईमानदार हो,
धोखेबाज़ नहीं, 
गैर- जिम्मेदार नहीं,
.........................
.........................
.........................
तो समझ लो
वो तुम ही हो
जो गुनहगार हो,

©Ruchi Jha
#कविता #हकीकत #HindiPoem #Hindi #poems  White हकीकत 

पहली नज़र का धोखा हैं सब,
जो सब तुमको अच्छा लगा,
निगाहें चील की भी क्यों न हो,
वक्त से पहले हकीकत का पता न चला।

ढ़ेर हो जाओगे गर संभले नहीं,
बड़े बड़े फरेबी हैं यहां,
तुम भी यें हुनर सीख आओ,
जो गर बने रहना चाहते इस बाज़ार में भला।

नोच खायेंगे किसी नरभक्षी के जैसे,
तुम अपनी पकड़ को ढील देकर तो देखों,
नाम-ओ-निशान यूं मिटा देंगे,
हैरान ही रहोंगे की कल तक तुम भी थे यहां।

©Ruchi Jha
#कविता #hindikavita #HindiPoem #hindipoet #Hindi  दुनिया करती हैं तो मैं भी कर दूंगा,
इस ख़ुशफहमी में न रहना,
किसी भी भीड़ में साथ चल दूं,
यें पूछ कर शर्मिंदा न करना,
जिद्दी, हटी या अक्ल से पैदल,
जो भी कहना हो तुम्हें वो कह देना,
आज़ाद हो तुम भी मेरी तरह,
बंदिशों में खुद को न रखना,
दम घुट जाए मेरा या तुम्हारा,
मंजूर इन में से कुछ भी नहीं,
चुनाव अलग पथों का कर लेना,
किसी मोड़ पर मिल जाए तो,
क्षण भर का साथ ,
 साथ में तय कर लेना,
गलत सही तय करने से पहले,
कभी खुद को मेरी जगह,
तो मुझे कभी अपनी जगह रख लेना।

©Ruchi Jha

White नये मकानों को ढूंढ रहे हैं, अपना घर छोड़ने के बाद। गैरों पर ऐतबार बढ़ चला हैं, अपनों का साथ छोड़ने के बाद। काली रातों की ठंडक अच्छी लगने लगी हैं, दिन में जलते सूरज के ताप से तपने के बाद। मोड़दार रास्तों के आदी हो चुके हैं, सीधे पथों पर चलकर भी खोने के बाद। गुमनाम होने में मज़ा आने लगा हैं, कभी महफ़िलों की शान होने के बाद। उम्मीद की लकीरें कोरे कागज़ों पर भी दिखने लगी हैं, उम्दा हर्फ से सजे किताबों से नाउम्मीदी के बाद। ©Ruchi Jha

#कविता #hindipoetry #moonlight #Random #sukun  White नये मकानों को ढूंढ रहे हैं,
अपना घर छोड़ने के बाद।

गैरों पर ऐतबार बढ़ चला हैं,
अपनों का साथ छोड़ने के बाद।

काली रातों की ठंडक अच्छी लगने लगी हैं,
दिन में जलते सूरज के ताप से तपने के बाद।

मोड़दार रास्तों के आदी हो चुके हैं,
सीधे पथों पर चलकर भी खोने के बाद।

गुमनाम होने में मज़ा आने लगा हैं,
कभी महफ़िलों की शान होने के बाद।

उम्मीद की लकीरें कोरे कागज़ों पर भी दिखने लगी हैं,
उम्दा हर्फ से सजे किताबों से नाउम्मीदी के बाद।

©Ruchi Jha

एक बाग हैं अनोखा, जिसके माली हैं हम, खिल रही हैं कुछ कलियां, पहले से खिले हुए हैं कुछ फूल, नाजुक कुछ इतने, महज फूंक से भी, जमीं पर आ गिरे, कुछ कठोर इस कदर, आ जाए तूफान भी तो, टस से मस न हो, मुख मोड़ना हैं, किसी का, करनी हैं जगह में, तब्दीली किसी की, मिल पाए सबको जरूरतों से, खाद, मिट्टी, धूप, हवा, पानी, सींचने की ये कला हैं सीखनी। ©Ruchi Jha

#Blooming #Flower #Deep  एक बाग हैं अनोखा,
 जिसके माली हैं हम,
खिल रही हैं कुछ कलियां,
पहले से खिले हुए हैं कुछ फूल,
नाजुक कुछ इतने,
महज फूंक से भी,
जमीं पर आ गिरे,
कुछ कठोर इस कदर,
आ जाए तूफान भी तो,
टस से मस न हो,
मुख मोड़ना हैं,
किसी का,
करनी हैं जगह में,
तब्दीली किसी की,
मिल पाए सबको जरूरतों से,
खाद, मिट्टी, धूप, हवा, पानी,
सींचने की ये कला हैं सीखनी।

©Ruchi Jha

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