"जलता दिया ना बुझा देना"
बेसुमार तमन्नाएं भरे हुए, हर दिल लालिमा से तर-बतर रहता है ,
अरमानों की एक लौ प्रज्वलित किये, भीतर प्रकाश से भरा रहता है,
उन आशाओं और अभिलाषाओं से, बाकी दुनिया निर्मोही रहती है,
पर जिस कलेवर में वो धधकते हैं, उस जान से भी प्रियतम बन जाते है।
इसलिए कभी नादानी में, किसी के बढ़ते कदम देख,उसे गिरा ना देना,
कहीं जाने-अनजाने, अपनी बेसुधी में,किसी की सांसो को तुम छीन ना लेना,
बड़ी ही जहमत से,तिनका-तिनका बुन कर,कोई दशकों से सपने संजोता हैं,
कहीं बिन सोचे-समझे,अपनी रोब में, उन्हें छन में चकनाचूर ना कर देना।
बेशक़, बेहद सरल है,किसी को बस देख, बेधड़क एक राय बना लेना,
आलोचनाएं एवं व्यंग करने पर भी,बदले में कोई कीमतें नहीं चुकानी होती,
पर किसी की दास्तान से जो हो बेख़बर ,तो कोई टिपन्नियां उसपे न कर देना,
कहीं किसी नाज़ुक दिल के धड़कन की, थमने की वज़ह, ना बन जाना।
अपेक्षाओं और तुलनाओं की जो फितरतें हैं, उनका त्याग अब कर देना,
किसी की ज़िंदगी से भी बढ़ के,अगर गुरुर हो जाएं,तो उन्हें दफन कर देना,
बहुत ही अनमोल हर एक जीवन है उसे हार-जीत के तराजू पर न तौल देना,
चाहे खेल तुम जो भी खेलने जाओ,कभी कोई जीवन को दावं पे न लगा देना।
©puja kashyap
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