"ठंड और बारिश"
ठंड में जब-जब बारिश होती,
गरीबों की मरन को और बढ़ाती,
पहले तो शीतलहर और कोहरा ही था घना,
चारों ओर सन्नाटा और वीरानी था पड़ा,
पर जब आसमा ने भी सितम ढाया,
तो तकलीफ उन्होंने कई गुना बढ़ा पाया,
अब तक तो ले अपनी झोपड़ी की शरण,
कुछ लकड़ियां जला,भर लेते ऊष्मा अपने भीतर,
पर अब तो छत भी चुने लगी टप-टप,
लकड़ियां भी गीली पड़ी हैं लथपथ,
किस चीज़ का सहारा ले वो खुद को छुपाए,
क्या चीज़ जला कर थोड़ी गर्मी पाए,
दौ जोड़ी कपड़े उनके सुख नहीं पाते,
ठंड में अधनंगा हुए, वे ठिठुरे जाते,
दौ वक्त की रोटी भी नसीब ना होती,
आधा पेट भरा,थर-थर काँपते जाते,
गरज-गरज जहाँ बादल खूब तेज बरसता,
आँखों से टप-टप उनके आँसू की धारा बरसता।
#kashyaps_diary
©puja kashyap
#Dark