अगर एक 'दिन' का अर्थ ही जीवन होता,
और बाकी दिन जो मिलता वो बोनस होता,
तो हर एक दिन से मोह थोड़ा ज्यादा होता,
साल की नहीं बल्कि हर सेकेंड की क़ीमत होती,
कोई टाल-मटोल,अगर-मगर की ना गुंजाईश होती,
हर मसला फटाफट सुलझा लिया जाता,
मतभेद और द्वेष को सालों ना घसीटा जाता,
प्यार के इजहार में अर्सा ना गवाया जाता,
झटपट विवादों का हल निकाल लिया जाता,
एक-दूसरे को जी भरकर झप्पी ले लिया जाता,
जब तब कोई किसी को आड़े हाथों ना लेता,
हिंसा और नफ़रत का बाजार कम लगाया जाता,
ये तेरा,ये मेरा का शोर, हर तरफ कम उठाया जाता,
प्यार, मुस्कान, दरियादिल चारों और निखरता जाता,
अगर मन में 'समय ही समय है' का भ्रम ना होता!
#kashyap's_diary
©puja kashyap
#kashyaps_diary
ye jeewan