क्या मसला उन बातों का जो बीत गया है पिछ्ले पल...
अब याद उन्हें फिर क्यू करना, जो ज़ख्म दे रहा पल दो पल...
फिर से अतीत के दर्पण में जाने वाली बात नहीं...
फिर याद करू मैं क्यू उसको, जो पहले जितना खास नहीं...
फिर से जीना सीख रहा, ज़ख्मों को अपने सींच रहा...
अब नए लगे मरहम मे पहले वाली दाग नहीं...
अब क्या मसला उन बातों का जो लगता इतना "खास" नहीं...
©vikas dev dubey
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