Umeedein
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#मोटिवेशनल #umeedein  माफ़ी के हकदार सिर्फ
गलती करने वाले होते है 
चालाकी करने वाले नही
इन्हे अपनी जिंदगी से 
हमेशा दूर रखें

©Rajesh kohli

#umeedein

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#विचार #umeedein  भूगोल की कक्षा में पृथ्वी के विषय में और 
चांद की कलाकृतियों के विषय में
पढ़ते हुए उस कक्षा में अव्वल आने वाली लड़कियां 
धीरे-धीरे मां के साथ रसोई में ,
गोल-गोल पृथ्वी और चांद जैसीरोटियां पकाना सीख लेती हैं
और वो गोल रोटियां खाने वाले लोग कहते हैं!.. 
तुम्हें रोटियां सेंकने के अतिरिक्त करना ही क्या है!
स्तब्ध होकर देखती रह जाती हैं वो सपनों से भरी निरीह आँखें
एकटक उन्हें और फिर अपनी मां को।

©Manvi Singh Manu

#umeedein

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#umeedein  हर राह पर तेरा नाम लिख दूंगी 
तेरी ख्वाहिश बन तुझे अपनी दुआओं में बसा लूंगी 
बंद काले मोती को पिरोकर डोर में तेरी हो जाऊंगी 
सात फेरों का रंग अपनी मांग में सज़ा अपना 
हर अंग तेरे नाम कर तेरे बनाएं पगों पर चल जाऊंगी 
बस तू एक बार मुझे तो खोज ला, जा किनारों से 
उतर समुद्र से स्त्री होने का अर्थ तो समझ आ।

©Rakhi Saroj

#umeedein

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#मोटिवेशनल #उद्देश्य #संतोष #आनन्द  जीवन में संतुष्टि क्या है ???...  त्वरित व क्षणिक इच्छाओं की पूर्ति !.....
फिर ... आनंद क्या है .??..
संतोष का प्रसाद ! .........

©niharika nilam singh
#umeedein #love❤ #Life❤ #Kismat #Sharm  शर्मा के मुंह न फेर नज़र के सवाल पर 
लाती है ऐसे मोड़ पे किस्मत कभी कभी ।।

©love you zindagi

#भूल_न_पाता_मन_कभी भूल ना पाता मन कभी,वो आंचल की छाॅंव। जहाॅं सुबह से शाम तक, नेह बरसता ठाॅंव।। अॅंगुली पकड़ी जिस पिता,सीखी जीवन चाल। अब उन्हीं की झुकी कमर,थकित हो गये पाॅंव।। भूल ना पाता मन कभी,बचपन वाले खेल। कागज की कश्ती कभी, छुक-छुक करती रेल। प्यारे दिन मस्ती भरे,बचपन के सब दोस्त- हुई लड़ाई एक पल,अगले ही पल मेल।। भूल ना पाता मन कभी, किलकारी की गुंज। सुत आया जब गोद में,मन खुशियों का कुंज। मुदित हुआ मन मां बनी,दिल में खुशी अपार - यह सुख जग सबसे बड़ा,बाकी सब सुख मुंज।। वीणा खंडेलवाल तुमसर महाराष्ट्र ©veena khandelwal

#भूल_न_पाता_मन_कभी #कविता #umeedein  #भूल_न_पाता_मन_कभी

भूल ना पाता मन कभी,वो आंचल की छाॅंव।
जहाॅं सुबह से शाम तक, नेह बरसता ठाॅंव।।
अॅंगुली पकड़ी जिस पिता,सीखी जीवन चाल।
अब उन्हीं की झुकी कमर,थकित हो गये पाॅंव।।

भूल ना पाता मन कभी,बचपन वाले खेल।
कागज की कश्ती कभी, छुक-छुक करती रेल।
प्यारे दिन मस्ती भरे,बचपन के सब दोस्त-
हुई लड़ाई एक पल,अगले ही पल मेल।।

भूल ना पाता मन  कभी, किलकारी की गुंज।
सुत आया जब गोद में,मन खुशियों का कुंज।
मुदित हुआ मन मां बनी,दिल में खुशी अपार -
यह सुख जग सबसे बड़ा,बाकी सब सुख मुंज।।

                              वीणा खंडेलवाल 
                        तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal

#umeedein

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