सुशील राय

सुशील राय "शिवा" Lives in Mumbai, Maharashtra, India

जिंदगी मेरी अपनी है, इसे जीवंत बनाकर जीता हूं जीता रहूंगा। जिन्हें मेरे साथ रहना है रहे, वरना दुनिया में उदासी के रास्ते बहुत हैं।

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हाथों में रच गई मेहंदी पांव में सज गई पायल चमक रही बिंदिया सजनी को इंतजार है अपने 'चांद' की नाम तो उसका है 'करवा' पर रस घोलता है 'मीठा' सिंदूर दमक रहा है माथे पर वो पहचान है उसका गर्व है मान है मर्यादा है उसकी अस्मिता का रक्षक भी है निगाहें जो उठे कातिल उसके लिए तलवार है तरकश की तीर है हरता वो हर पीर है दोस्त बनकर हंसाए माता-पिता की तरह डांटे बहन जैसे गलत-सही ऊंच-नीच समझाए वो हरदम रखे सलामत करता हूं मैं यही कामना समस्त माताओं-बहनों, दोस्तों को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामना।। ©सुशील राय "शिवा"

#कोट्स  हाथों में रच गई मेहंदी
पांव में सज गई पायल
चमक रही बिंदिया
सजनी को इंतजार है 
अपने 'चांद' की
नाम तो उसका है 'करवा' 
पर रस घोलता है 'मीठा'

सिंदूर दमक रहा है माथे पर 
वो पहचान है
उसका गर्व है
मान है मर्यादा है
उसकी अस्मिता का रक्षक भी है 
निगाहें जो उठे कातिल
उसके लिए तलवार है
तरकश की तीर है
हरता वो हर पीर है

दोस्त बनकर हंसाए
माता-पिता की तरह डांटे
बहन जैसे गलत-सही
ऊंच-नीच समझाए
वो हरदम रखे सलामत
करता हूं मैं यही कामना
समस्त माताओं-बहनों, दोस्तों को
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामना।।

©सुशील राय "शिवा"

करवा चौथ

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#विचार #PhisaltaSamay  आसमां उसी का, जमी भी उसी की है! 
बेचने वाला वही, खरीदार भी वही है!!

©सुशील राय "शिवा"
#विचार #sunrisesunset  मुक्कमल मैं नहीं तो आप भी नहीं,
पर्दा हटाकर देखो फिर पता चलेगा।

गुरुर किस बात की करते हो जनाब,
दफन तो सबको मिट्टी में ही होना होगा।

ये जिंदगी मिली है उसकी मेहरबानी है,
बंदर की तरह नचाएगा वो बड़ा मदारी है।

©सुशील राय "शिवा"
#विचार  जिंदा इंसान खुद के पैरों पर चलते हैं,
सहारे की जरूरत तो मुर्दों को होती है!

©सुशील राय "शिवा"

अल्फाज-ए-जिंदगी

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#सफरनामा #विचार  वो साजिशों के जाल बुनते हैं!
हम मंजिल के रास्ते ढूंढ़ते हैं!!

वो पग-पग पर पत्थर फेंकते हैं!
हम दरकिनार कर आगे बढ़ते हैं!!

वो हर तरफ नफरतों के बीज बोते हैं!
हम मोहब्बत की फसल काटते हैं!!

गम नहीं शिकायत भी नहीं करते हैं!
हम तो "शिवा" यूं हीं जिया करते हैं!!

-सुशील राय "शिवा"

©सुशील राय "शिवा"
#ज़िन्दगी #walkalone  जमाने में दर्द तो बहुत हैं, चलो भुलाने की वजह ढूंढ़ते हैं।
हंसते हैं खिलखिलाते हैं, सुकून मिले ऐसी जगह ढूंढ़ते हैं।।

नहीं किसी से गिले-शिकवे, एक दूसरे के दिल की सुनते हैं।
मिट जाए सभी दूरियां, नजदीकियों के ठिकाने ढूंढ़ते हैं।।

तुम आओ तुम आओ, ऐ जरा सुनो उसको भी बुलाना है।
सब कुछ भूल जाते हैं, सिर्फ अपनी मनमर्जियां करते हैं।।

समंदर सी हलचल है दिल में, उसमें जरा ठहराव लाते हैं।
डगमगा रही है हर रिश्ते की कश्ती, उसे किनारे लगाते हैं।।

©सुशील राय "शिवा"

#walkalone

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