जमाने में दर्द तो बहुत हैं, चलो भुलाने की वजह ढूंढ़ते हैं।
हंसते हैं खिलखिलाते हैं, सुकून मिले ऐसी जगह ढूंढ़ते हैं।।
नहीं किसी से गिले-शिकवे, एक दूसरे के दिल की सुनते हैं।
मिट जाए सभी दूरियां, नजदीकियों के ठिकाने ढूंढ़ते हैं।।
तुम आओ तुम आओ, ऐ जरा सुनो उसको भी बुलाना है।
सब कुछ भूल जाते हैं, सिर्फ अपनी मनमर्जियां करते हैं।।
समंदर सी हलचल है दिल में, उसमें जरा ठहराव लाते हैं।
डगमगा रही है हर रिश्ते की कश्ती, उसे किनारे लगाते हैं।।
©सुशील राय "शिवा"
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